भारत की पावन भूमि पर अनेक दिव्य तीर्थ हैं, लेकिन उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित बद्रीनाथ धाम का स्थान विशेष है। इसे धरती का बैकुंठ कहा जाता है, यानी भगवान विष्णु का दूसरा निवास। मान्यता है कि यहां एक बार दर्शन करने मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है। बद्रीनाथ धाम समुद्र तल से करीब 3,133 मीटर (10,279 फीट) की ऊंचाई पर, अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है। यह मंदिर नर-नारायण पर्वतों के बीच बसा हुआ है, जो इसे एक दिव्य और अलौकिक वातावरण प्रदान करते हैं।
पौराणिक और धार्मिक महत्व
शास्त्रों के अनुसार, क्षीर सागर के बाद बद्रीनाथ ही वह स्थान है, जहां भगवान विष्णु वास करते हैं। यहां उनकी स्वयंभू मूर्ति योगमुद्रा में विराजमान है, जो दर्शाती है कि वे इस स्थान पर तपस्या में लीन रहे हैं।
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इसलिए कहलाते हैं बद्रीनाथ
एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, जब भगवान विष्णु कठोर तप कर रहे थे, तब उनकी रक्षा के लिए माता लक्ष्मी ने बद्री वृक्ष का रूप धारण किया और विष्णु को तप में सहयोग दिया। इसी कारण उन्हें ‘बद्रीनाथ’ कहा गया।
मोक्ष का द्वार है बद्रीनाथ धाम
हिंदू धर्म में बद्रीनाथ धाम को मोक्ष प्राप्ति का द्वार माना गया है। एक पुरानी कहावत है: ‘जो जाए बद्री, वो ना आए ओदरी’ अर्थात जो व्यक्ति बद्रीनाथ के दर्शन कर लेता है, उसका गर्भ से दोबारा जन्म नहीं होता है और वह मोक्ष को प्राप्त कर लेता है।
अखंड ज्योति का रहस्य
बद्रीनाथ मंदिर में एक अखंड ज्योति लगातार जलती है, जिसे करीब 5000 वर्षों से प्रज्वलित माना जाता है। कहा जाता है कि इसके दर्शन से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और मन को दिव्य शांति प्राप्त होती है।
आदि शंकराचार्य की पहल
महान संत आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में बद्रीनाथ को पुनः जागृत किया। उन्होंने नारद कुंड से शालिग्राम शिला की मूर्ति निकालकर इसे मंदिर में स्थापित किया। इसके बाद बद्रीनाथ की ख्याति और आध्यात्मिक महत्व और भी बढ़ गया।
पंच बद्री की परंपरा
बद्रीनाथ के साथ चार अन्य मंदिर– योगध्यान बद्री, भविष्य बद्री, वृद्ध बद्री और आदि बद्री मिलकर ‘पंच बद्री’ कहलाते हैं। चार धाम की यात्रा के बाद इन पांचों तीर्थों की यात्रा करने से संपूर्ण पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
क्यों जाएं बद्रीनाथ?
बद्रीनाथ केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा है– मन, आत्मा और जीवन के शुद्धिकरण की यात्रा। भगवान विष्णु का निवास, अखंड ज्योति की चमत्कारी शक्ति, पौराणिक कथाएं और प्राकृतिक सौंदर्य इसे धरती का बैकुंठ बनाते हैं।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।