Surya Grahan 2024 Date: हिन्दू पंचांग के अनुसार, साल 2024 में दो सूर्य ग्रहण लगने योग है। इसमें से पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल, 2024 को लग चुका है। यह ग्रहण एक खग्रास यानी पूर्ण सूर्य ग्रहण था, जो भारत एक अधिकांश जगहों पर दिखा था। जहां तक इस साल के दूसरे सूर्य ग्रहण की बात है, यह तो अक्टूबर महीने में पड़ रही आश्विन माह की अमावस्या तिथि को लग रही है। आइए जानते हैं, सूर्य ग्रहण लगने का धार्मिक कारण, साल का यह दूसरा सूर्य ग्रहण कब लगेगा, किस प्रकार का है, भारत में दिखेगा या नहीं और इसका सूतक काल क्या है?
सूर्य ग्रहण लगने का धार्मिक कारण
पुराणों के अनुसार, सूर्य ग्रहण लगने की घटना का संबंध समुद्र मंथन से जुड़ा है, जब अमृत का बंटवारा हो रहा था। कहते हैं, भगवान विष्णु मोहिनी रूप में अमृत बांट रहे थे, तभी स्वरभानु नामक एक दानव रूप बदलकर देवताओं के साथ बैठ गया था। मोहिनीरूपी विष्णु ने उसे भी अमृत दे दिया। लेकिन तभी उसके अगल-बगल बैठे चंद्रमा और सूर्य ने उसे पहचान लिया और भगवान विष्णु को इशारा किया। भगवान विष्णु ने तत्काल अपने चक्र से दानव का सिर उसके धड़ से अलग कर दिया।
अमृत के असर से वह नष्ट नहीं हो सकता था। उसके सिर वाले भाग को ‘राहु’ और धड़ वाले हिस्से को ‘केतु’ कहते हैं। कहते हैं, तब से हर साल राहु और केतु बदला लेने के लिए चंद्रमा और सूर्य को खाने के लिए आते हैं, जिसे ‘ग्रसना’ कहते हैं। बता दें, राहु के कारण चंद्र ग्रहण और केतु के कारण सूर्य ग्रहण लगता है।
कब है साल का दूसरा सूर्य ग्रहण?
साल 2024 का यह दूसरा सूर्य ग्रहण अंग्रेजी तारीख के अनुसार, 2 अक्टूबर को लगने लगने जा रहा है। जहां तक टाइम की बात है, तो यह भारतीय समय के अनुसार, रात 9 बजकर 13 मिनट से शुरू होकर देर रात 3 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगा। यदि कुल अवधि की बात की जाए, तो यह अवधि 6 घंटे 4 मिनट की है।
किस प्रकार का है यह सूर्य ग्रहण?
सूर्य ग्रहण के विशेष खगोलीय घटना है, जो ग्रहों की चाल से संयोग से एक निश्चित अंतराल पर घटित होते हैं। ग्रहण लगने की प्रक्रिया के आधार पर ग्रहण मुख्यतः दो प्रकार के होते है। पूर्ण सूर्य ग्रहण और वलयाकार सूर्य ग्रहण। 8 अप्रैल, 2024 को लगा साल पहला ग्रहण एक खग्रास यानी पूर्ण सूर्य ग्रहण था। वहीं, 2 अक्टूबर को लगने वाला ग्रहण वलयाकार सूर्य ग्रहण है। इसे अंग्रेजी में रिंग ऑफ फॉयर एक्लिप्स (Ring of Fire Eclipse) कहते हैं।
सूर्य ग्रहण भारत में दिखेगा या नहीं?
2 अक्टूबर, 2024 को लगने वाला इस साल का दूसरा सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, क्योंकि यह रात में लग रहा है। इसलिए इसे भारत में नहीं देख सकते हैं। आपका बता दें, यह ग्रहण ब्राजील, चिली, पेरू, अर्जेन्टीना और फिजी में स्पष्ट रूप दृष्टिगोचर होगा। वहीं, आर्कटिक, अंटार्कटिका और प्रशांत महासागर के भी कुछ प्रदेशों में भी इसे आंशिक रूप से देखा जा सकता है।
सूर्य ग्रहण का सूतक काल
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के शुरू होने से पहले, उसके दौरान और उसके बाद एक निश्चित समय तक की अवधि बहुत अशुभ होती है। इसे सूतक काल कहते है। सूर्य ग्रहण के लिए सूतक काल 12 घंटे का होता है, जिसके दौरान मध्य काल में ग्रहण लगता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, जिस ग्रहण को आंखों से देखा जा सकता है केवल उन्हीं ग्रहण का सूतक समय होता है। जिस ग्रहण को आंखों से नहीं देख सकते, उनका कोई सूतक काल नहीं होता है। चूंकि अक्टूबर में लगने वाला सूर्य ग्रहण रात में लगने के कारण भारत में नहीं दिखेगा, इसलिए इसका कोई सूतक काल नहीं है।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।