---विज्ञापन---

Religion

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई यूपी सरकार के बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट पर रोक, केस हाईकोर्ट में किया ट्रांसफर

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यूपी के वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट पर अस्थाई रोक लगाते हुए सरकार को एक बड़ झटका दिया है। यूपी सरकार ने 26 मई को अध्यादेश-2025 जारी किया था। इसमें मंदिर की देखभाल के लिए ट्रस्ट बनाया जाना था। यह ट्रस्ट मंदिर को मैनेजमेंट और भक्तों की सुविधाओं को सुनिश्चित करने का काम करना था। इसके खिलाफ 27 मई को याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी।

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Mohit Tiwari Updated: Aug 8, 2025 17:45
Banke Bihari

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025 के तहत बनी कमेटी के संचालन को निलंबित करने का आदेश दे दिया है। यह कमेटी मंदिर के प्रबंधन की जिम्मेदारी संभाल रही थी। इसके साथ ही, कोर्ट ने इस मामले को इलाहाबाद हाई कोर्ट को भेजने का फैसला किया, ताकि इस अध्यादेश की संवैधानिक वैधता की जांच हो सके।

बनेगी नई कमेटी

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्या कांत और जोयमाल्या बागची की बेंच ने स्पष्ट किया कि जब तक इलाहाबाद हाई कोर्ट इस अध्यादेश की वैधता पर फैसला नहीं ले लेता, तब तक उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी का काम रुका रहेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि मंदिर के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए एक नई कमेटी गठित की जाएगी। इस नई कमेटी की अध्यक्षता हाईकोर्ट के एक पूर्व जज करेंगे। इस कमेटी में कुछ सरकारी अधिकारी और गोस्वामी परिवार के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे, जो परंपरागत रूप से मंदिर की देखभाल करते आए हैं। गोस्वामी परिवार लंबे समय से मंदिर के प्रबंधन से जुड़ा हुआ है।

---विज्ञापन---

इसके अलावा, कोर्ट ने अपने 15 मई 2025 के उस फैसले को वापस लेने का प्रस्ताव रखा, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार को मंदिर के फंड का उपयोग कॉरिडोर के विकास के लिए करने की अनुमति दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि वह शनिवार तक इस मामले में लिखित आदेश जारी करने की कोशिश करेगा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं को इस अध्यादेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती देने की अनुमति होगी तब तक नई कमेटी मंदिर के विकास कार्यों और प्रशासन को देखेगी।

गोस्वामी परिवार ने डाली थी याचिका

बीती 27 मई को देवेंद्र नाथ गोस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने दावा किया था कि वह मंदिर के संस्थापक स्वामी हरिदास गोस्वामी के वंशज हैं और उनका परिवार पिछले 500 साल से मंदिर के प्रबंधन का काम संभालता आ रहा है। उन्होंने कहा कि वह मंदिर के दैनिक धार्मिक और प्रशासनिक कार्यों में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। उनकी याचिका में कहा गया कि मंदिर के पुनर्विकास की प्रस्तावित योजना को लागू करना व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि मंदिर से ऐतिहासिक और संचालनात्मक रूप से जुड़े लोगों की सलाह के बिना कोई भी बदलाव करने से प्रशासनिक अव्यवस्था हो सकती है।

---विज्ञापन---

उत्तर प्रदेश सरकार ने 2025 में श्री बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश लाकर मंदिर का प्रबंधन एक नए वैधानिक ट्रस्ट, ‘श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास’, को सौंप दिया था। इस अध्यादेश के अनुसार, ट्रस्ट में 11 ट्रस्टी नियुक्त किए जाने थे, जिनमें से अधिकतम 7 लोग सरकारी और गैर-सरकारी सदस्य हो सकते थे। सभी सदस्यों को सनातन धर्म का अनुयायी होना अनिवार्य था। इस ट्रस्ट को मंदिर के प्रबंधन और भक्तों के लिए सुविधाओं की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर सवाल उठाए और कहा कि उसने दो निजी पक्षों के बीच चल रहे मुकदमे को ‘हाईजैक’ करने की कोशिश की।

ट्रस्ट के फंड का उपयोग कर सकती थी सरकार

इससे पहले, 15 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को मंदिर के ट्रस्ट के फंड का उपयोग करने की अनुमति दी थी। सरकार को मंदिर के आसपास 5 एकड़ जमीन खरीदने और कॉरिडोर के विकास के लिए मंदिर के फिक्स्ड डिपॉजिट का उपयोग करने की मंजूरी दी गई थी। यह फैसला इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश को बदलते हुए लिया गया, जिसमें मंदिर के फंड का उपयोग जमीन खरीदने के लिए करने पर रोक थी।

उत्तर प्रदेश सरकार ने कॉरिडोर के लिए 500 करोड़ रुपये की एक विस्तृत योजना पेश की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दी थी। यह योजना 2022 में बांके बिहारी मंदिर में हुई भगदड़ जैसी घटनाओं को ध्यान में रखकर बनाई गई थी। उस भगदड़ में कई भक्त घायल हुए थे और इस घटना ने मंदिर के प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने उस समय यह भी नोट किया था कि ब्रज क्षेत्र के मंदिरों में कुप्रबंधन की समस्या है। कोर्ट ने जोर देकर कहा था कि प्रभावी मंदिर प्रशासन न केवल कानूनी आवश्यकता है, बल्कि यह जनता और आध्यात्मिक कल्याण के लिए भी जरूरी है।

लिखित आदेश जारी करेगा सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह शनिवार तक इस मामले में अपना लिखित आदेश जारी करने की कोशिश करेगा तब तक, मंदिर का प्रबंधन नई कमेटी के पास रहेगा, जिसका गठन सुप्रीम कोर्ट करेगा। अध्यादेश के तहत बनी पुरानी कमेटी का काम तब तक रुका रहेगा। इलाहाबाद हाई कोर्ट इस अध्यादेश की संवैधानिक वैधता की जांच करेगा और जब तक उसका फैसला नहीं आ जाता, यह व्यवस्था लागू रहेगी।

यह फैसला बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन और इसके भविष्य के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह देखना होगा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट इस अध्यादेश पर क्या फैसला लेता है और मंदिर का प्रबंधन किस दिशा में आगे बढ़ता है।

यह भी पढ़ें- कथावाचक अनिरुद्धाचार्य की बढ़ी मुश्किलें, वृंदावन में आयोजित हुई चेतावनी सभा

First published on: Aug 08, 2025 05:40 PM

संबंधित खबरें