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सोम प्रदोष व्रत आज, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Pradosh Vrat 2025: 23 जून 2025 को आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर सोम प्रदोष व्रत है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है, जो सुख, समृद्धि, और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए विशेष माना जाता है। आइए जानें इस व्रत के दिन पर शुभ मुहूर्त, पूजा विधि क्या है?

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Mohit Tiwari Updated: Jun 23, 2025 02:11
Pradosh Vrat 2025
प्रदोष व्रत पर ऐसे करें पूजा credit- pexels

Pradosh Vrat 2025: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष स्थान है, क्योंकि इसे भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करने का पवित्र अवसर माना जाता है। हर माह की त्रयोदशी तिथि को पड़ने वाला यह व्रत शुक्ल और कृष्ण पक्ष मिलाकर महीने में दो बार मनाया जाता है। 23 जून 2025 को आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत है। जो सोमवार को पड़ने के कारण और भी शुभ है।

सोमवार के दिन पड़ने वाली त्रयोदशी पर सोम प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस दिन मासिक शिवरात्रि का संयोग भी बन रहा है, जिससे इस व्रत का महत्व कई गुना बढ़ गया है। मान्यता है कि सोम प्रदोष व्रत को करने से भगवान शिव की कृपा से जीवन के सभी कष्ट, रोग और बाधाएं दूर हो जाती हैं। यह व्रत खास तौर पर वैवाहिक सुख, संतान प्राप्ति और करियर में सफलता के लिए किया जाता है। आइए जानते हैं इस व्रत के दिन पर पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि क्या है?

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क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त?

23 जून 2025 को आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 22 जून की मध्यरात्रि 1:21 बजे से शुरू होगी और 23 जून को रात 10:09 बजे तक रहेगी। प्रदोष काल का समय इस दिन पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है। इस दिन प्रदोष काल शाम 7:22 बजे से रात 9:23 बजे तक रहेगा, जो लगभग 2 घंटे और 1 मिनट की अवधि है। प्रदोष काल, सूर्यास्त के बाद और रात्रि के आगमन से पहले का समय होता है।

इसके अलावा, मासिक शिवरात्रि के लिए पूजा का शुभ मुहूर्त रात 12:03 बजे से 12:44 बजे तक है, जो भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त करने का समय है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग दोपहर 3:16 बजे से अगले दिन सुबह 5:25 बजे तक रहेगा, जो पूजा और नए कार्यों के लिए शुभ रहेगा। इन शुभ मुहूर्तों में पूजा करने से भक्तों को भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ ही उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि

सोम प्रदोष व्रत की पूजा श्रद्धा और विधि-विधान के साथ की जानी चाहिए। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ और सफेद या हल्के रंग के वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें और एक चौकी पर सफेद या लाल वस्त्र बिछाकर उस पर शिवलिंग या भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति अथवा चित्र स्थापित करें।

घर पर पूजा कर रहे हैं तो एक पात्र में शिवलिंग रखें और कच्चे दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से प्रभु का अभिषेक करें। अभिषेक के बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, शमी पत्र, चंदन, अक्षत और कनेर, चमेली या सफेद मदार के फूल अर्पित करें। इसके साथ ही मिठाई और फल चढ़ाएं। इसके बाद ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जाप करें या ‘श्री शिवाय नमस्तुभ्यं’ मंत्र का पाठ करें। इसके बाद प्रदोष व्रत कथा को पढ़ें या सुनें। पूजा के अंत में शिव चालीसा का पाठ करें और भगवान शिव व माता पार्वती की आरती करें। पूजा के बाद प्रसाद परिवार और जरूरतमंदों में बांटें।

क्या है इस दिन का महत्व?

प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक है। मान्यता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर्वत पर नृत्य करते हैं और इस समय उनकी पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। सोमवार को पड़ने वाला यह व्रत विशेष रूप से वैवाहिक सुख, संतान प्राप्ति और नौकरी या व्यापार में उन्नति के लिए शुभ माना जाता है।

मासिक शिवरात्रि का संयोग इस व्रत को और प्रभावशाली बनाता है, क्योंकि इस समय भगवान शिव की आराधना से मानसिक शांति मिलती है। इसके साथ ही रोगों और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति भी मिल जाती है। यह व्रत भक्तों को भौतिक और आध्यात्मिक दोनों स्तरों पर सकारात्मकता प्रदान करता है।

सोम प्रदोष व्रत पर करें ये उपाय

सोम प्रदोष व्रत के प्रभाव को बढ़ाने के लिए कुछ ज्योतिषीय उपाय किए जा सकते हैं। इस दिन ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए, जो भगवान शिव को प्रसन्न करता है। इसके अलावा, ‘महामृत्युंजय मंत्र’ का 21 बार जाप करने से स्वास्थ्य और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।

शिवलिंग पर कच्चा दूध और बेलपत्र चढ़ाना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। जरूरतमंदों को कच्चा दूध, सफेद मिठाई, या सफेद वस्त्र दान करने से पुण्य प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। मंदिर में रुद्राभिषेक करवाना भी एक प्रभावी उपाय है, इससे कष्टों से मुक्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। व्रत रखें तो दिनभर फलाहार करें और पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करें, ताकि व्रत का पूरा फल प्राप्त हो।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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First published on: Jun 23, 2025 02:11 AM

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