Sharadiya Navratri 2024 Day 5: मातृ वंदना और शक्ति पूजा का सबसे महान पर्व नवरात्रि का त्योहार 3 अक्टूबर से शुरू हुआ और 12 अक्टूबर तक चलेगा। यह देश भर में मनाए जाने वाला सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। नवरात्रि का शाब्दिक अर्थ है- नौ रातें। नौ दिन और नौ रातों तक मनाया जाने वाला इस महापर्व में हर दिन देवी दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा होती है।
देवी दुर्गा के नौ रूप हैं – मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कुष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री। 7 अक्टूबर को नवरात्रि का पांचवा दिन मनाया जाएगा। दुर्गासप्तशती ग्रंथ के अनुसार नवरात्रि के पांचवें दिन देवी दुर्गा के पांचवें स्वरुप मां स्कंदमाता की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
कैसा है स्कंदमाता का स्वरूप?
मार्कंडेय पुराना के अनुसार, देवी स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं। जिसमें से ये दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से भगवान स्कंद को गोद में ली हुई हैं। साथ ही नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है। बाईं तरफ ऊपर वाली भुजा वरदमुद्रा में है। ये कमल पर विराजमान रहती हैं। इसलिए इन्हें पद्मासना देवी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि स्कंदमाता अपने भक्तों से बहुत जल्द प्रसन्न होती हैं। इसके अलावा मान्यता यह भी है कि माता की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ऐसे करें स्कंदमाता की पूजा
- नवरात्रि के पांचवें दिन सबसे पहले स्नान करें। उसके बाद पीले या सफेद वस्त्र धारण कर माता की पूजा की तैयारी करें।
- मां स्कंदमाता की मूर्ति, फोटो या प्रतिमा को गंगाजल से पवित्र करें। इसके बाद माता को कुमकुम, अक्षत, फूल, फल आदि अर्पित करें।
- फिर माता के समक्ष घी का दीपक या दीया जलाएं। फिर मिठाई का भोग लगाएं।
- इसके बाद सच्ची निष्ठा से मां स्कंदमाता की पूजा करें। पूजन के अंत में घंटी बजाते हुए माता की आरती करें।
- स्कंदमाता की कथा पाठ करें। आखिर में मां स्कंदमाता के मंत्रों का जाप करें।
स्कंदमाता का पूजा मंत्र
1. सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया |
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ||
2. या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
स्कंदमाता का भोग
स्कंदमाता को भोग स्वरूप केला अर्पित करना चाहिए। मां को पीली वस्तुएं प्रिय हैं, इसलिए केसर डालकर खीर बनाएं और उसका भी भोग लगा सकते हैं। नवरात्र के पांचवें दिन लाल वस्त्र में सुहाग की सभी सामग्री लाल फूल और अक्षत के समेत मां को अर्पित करने से महिलाओं को सौभाग्य और संतान की प्राप्ति होती है। जो भक्त देवी स्कंद माता का भक्ति-भाव से पूजन करते हैं उसे देवी की कृपा प्राप्त होती है। देवी की कृपा से भक्त की मुराद पूरी होती है और घर में सुख, शांति एवं समृद्धि रहती है।
स्कंदमाता की आरती
जय तेरी हो स्कंद माता।
पांचवां नाम तुम्हारा आता॥
सबके मन की जानन हारी।
जग जननी सबकी महतारी॥
तेरी जोत जलाता रहू मैं।
हरदम तुझे ध्याता रहू मै॥
कई नामों से तुझे पुकारा।
मुझे एक है तेरा सहारा॥
कही पहाडो पर है डेरा।
कई शहरों में तेरा बसेरा॥
हर मंदिर में तेरे नजारे।
गुण गाए तेरे भक्त प्यारे॥
भक्ति अपनी मुझे दिला दो।
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥
इंद्र आदि देवता मिल सारे।
करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।
तू ही खंडा हाथ उठाए॥
दासों को सदा बचाने आयी।
भक्त की आस पुजाने आयी॥
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