Sharadiya Navratri 2024 Day 4: नवरात्रि के नौ दिनों में माता रानी के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है और प्रत्येक दिन का अपना विशेष महत्व और विधान होता है। 3 अक्टूबर को शुरू हुए शक्ति पूजा और मातृ उपासना के इस पर्व का आज पांचवां दिन है, लेकिन आज सोमवार 7 अक्टूबर, 2024 को देवी दुर्गा के चौथे रूप मां कूष्माण्डा की पूजा की जाएगी। आइए जानते हैं, देवी कूष्माण्डा का पूजन विधि, उनके मंत्र, आरती और उनको प्रसन्न करने के लिए भोग की सारी जानकारी।
मां कूष्माण्डा कौन हैं?
मां कूष्माण्डा देवी दुर्गा का चतुर्थ रूप हैं। कहते हैं, जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब मां कूष्मांडा ने अपनी मंद मुस्कान से ही संपूर्ण ब्रह्मांड की रचना की थी। इसलिए इनको आदि शक्ति माना जाता है। इनका शरीर सूर्य के समान दैदीप्यमान है, जो इनकी असीम शक्ति का प्रतीक है। इनकी शक्ति इतनी असीम है कि वे सूर्यमंडल के भीतर के लोक में निवास करती हैं, जहां कोई अन्य देवी-देवता नहीं जा सकते हैं।
मां कूष्माण्डा की आठ भुजाएं हैं, जो अस्त्र-शस्त्र से सुशोभित हैं और उनके एक हाथ में कमंडल है। इसलिए उनका एक नाम ‘अष्टभुजा देवी’ है। देवी मां कुम्हड़े की बलि इन्हें सर्वाधिक प्रिय है। इस कारण से भी वे मां कूष्माण्डा कहलाती हैं।
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मां कुष्मांडा की पूजा विधि
- मां कुष्मांडा की पूजा करने से पहले प्रात:काल उठकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद पीले रंग के वस्त्र धारण करना चाहिए और पूजा के दौरान पीला चंदन लगाने चाहिए।
- इसके बाद देवी मां को कुमकुम, मौली, अक्षत अर्पित करें। इन सब के बाद पान के पत्ते पर थोड़ा केसर लेकर ऊँ बृं बृहस्पतये नम: मंत्र का जाप करना चाहिए इसके बाद केसर को माता के चरणों में अर्पित करना चाहिए।
- पूजा के दौरान मां कुष्मांडा के मंत्र ॐ कूष्माण्डायै नम: का एक माला जाप करना चाहिए और दुर्गा सप्तशती या सिद्धि कुंजिका स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां कुष्मांडा का पीला रंग बेहद ही प्रिय होता है। इसलिए पूजा करते समय पीले रंग के वस्त्र, पीली चूड़ियां और पीली मिठाई चढ़ाना चाहिए।
- यदि संभव हो तो पीले कमल का फूल अर्पित करें। साथ पीले रंग का भोग अर्पित करना चाहिए।
- मान्यता है कि जो जातक इस तरह से माता कुष्मांडा की पूजा करता है, उसे अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है।
मां कुष्मांडा को लगाएं ये भोग
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग बेहद पसंद है. इसलिए साधक और भक्ति को माता रानी को मालुपुआ अर्पित करना चाहिए। मान्यता है कि जो जातक इस मां को मालुपुआ के भोग अर्पित करता है, उसके बुद्धि और यश में वृद्धि होती है और वह निर्णय लेने की क्षमता में बढ़ोतरी होती है।
मां कूष्मांडा की स्तुति मंत्र (Maa Kushmanda Ki Stuti Mantra)
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां कूष्मांडा की प्रार्थना मंत्र
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
मां कूष्मांडा बीज मंत्र
ऐं ह्री देव्यै नम:
मां कूष्मांडा की आरती
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी मां भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदम्बे।
सुख पहुंचती हो मां अम्बे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
मां के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो मां संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
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