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Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा के दिन जरूर करें इस व्रत कथा का पाठ, वरना अधूरा रह जाएगा आपका पूजा-पाठ

Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा के व्रत के दौरान आपको इसकी कथा को जरूर पढ़ना चाहिए. इसके बिना व्रत और पूजन अधूरा माना जाता है. चलिए आपको शरद पूर्णिमा की कथा के बारे में बताते हैं.

Author Written By: Aman Maheshwari Author Published By : Aman Maheshwari Updated: Oct 5, 2025 18:05
Sharad Purnima 2025
Credit- News24 Graphics

Sharad Purnima Vrat Katha: शरद पूर्णिमा का पर्व आश्विन माह की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस बार शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर को पड़ रही है. शरद पूर्णिमा पर व्रत करने का महत्व होता है. इस दिन भक्त मां लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा करते हैं. शरद पूर्णिमा पर खीर बनाने का भी महत्व होता है. शरद पूर्णिमा पर खीर को चंद्रमा के नीचे खुले आसमान के नीचे रखना होता है. ऐसी मान्यता है कि, इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है. शरद पूर्णिमा के व्रत के दौरान आपको इसकी कथा को जरूर पढ़ना चाहिए. चलिए आपको शरद पूर्णिमा की कथा के बारे में बताते हैं.

शरद पूर्णिमा व्रत कथा

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शरद पूर्णिमा की कथा कुछ इस प्रकार है कि, एक व्यापारी के दो बेटियां थीं. दोनों ही धर्म-कर्म में रुचि रखती थीं. वह रोज विष्णु जी की पूजा करती और हर पूर्णिमा को व्रत रखतीं. भगवान विष्णु की कृपा से दोनों का विवाह अच्छे परिवार में हो गया. दोनों ही बहनें पूर्णिमा का व्रत रखती थी लेकिन छोटी बहन शाम के समय भोजन कर लेती थी जिसकी वजह से उसे पुण्य फल नहीं मिलता था.

ये भी पढ़ें- Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा पर किस मुहूर्त में करें पूजा? जानें चन्द्रोदय का समय

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दोनों बहनों को व्रत के फल से पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. लेकिन छोटी बहन का पुत्र दीर्घायु न होने के कारण मर जाता है. तभी बड़ी बहन आती है और उसके छूने से पुत्र जीवित हो जाता है. जब ऐसा हुआ तो बड़ी बहन ने शरद पूर्णिमा के व्रत की महिमा बताई. तभी से हर साल पूर्णिमा का व्रत विधि-विधान से किया जाने लगा.

शरद पूर्णिमा का महत्व

शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का पूजन किया जाता है. ऐसी भी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन ही समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं. इस दिन खीर बनाने और इसे खुले आसमान के नीचे रखने की परंपरा है. ऐसी मान्यता है शरद पूर्णिमा की रात का प्रकाश अन्य दिनों की तुलना में अधिक पवित्र और शक्तिशाली होता है. शरद पूर्णिमा पर आपको चंद्रोदय के बाद मां लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा कर खीर का भोग लगाना चाहिए. इसके बाद खीर को आसमान के नीचे रखने के बाद प्रसाद के रूप में ग्रहण करना चाहिए.

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.

First published on: Oct 05, 2025 06:05 PM

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