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Sharad Purnima 2024: चांद की रोशनी में क्यों रखते हैं खीर? जानें महत्व और नियम

Sharad Purnima 2024: शरद पूर्णिमा के दिन सुबह धन की देवी माता लक्ष्मी और रात में चंद्र देव की उपासना करना शुभ होता है। इसी के साथ इस दिन चांद की रोशनी में खीर भी रखी जाती है, जिसका अगले दिन सेवन किया जाता है। आज हम आपको इस दिन खुले आसमान के नीचे खीर रखने के महत्व और नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं।

Edited By : Nidhi Jain | Updated: Sep 12, 2024 09:21
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Sharad Purnima 2024
शरद पूर्णिमा 2024

Sharad Purnima 2024: साल में आने वाली प्रत्येक तिथि के दिन पूजा-पाठ करने का खास महत्व है। खासतौर पर शरद पूर्णिमा के दिन देवी-देवताओं की उपासना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि के दिन शरद पूर्णिमा की पूजा की जाती है। इस दिन प्रात: काल धन की देवी माता लक्ष्मी की आराधना करने से पैसों से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। वहीं रात में चांद की रोशनी में चंद्र देवता की पूजा करने से सेहत अच्छी रहती है। साथ ही घर-परिवार में खुशहाली बनी रहती है।

शरद पूर्णिमा के शुभ दिन घर में खीर बनाना और उसे रात में चांद की रोशनी में रखने का भी खास महत्व है। आज हम आपको इस दिन खीर बनाने से जुड़ी मान्यता और नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं।

शरद पूर्णिमा कब है?

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 16 अक्टूबर को सुबह 12:19 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन रात 08:40 मिनट पर होगा। 16 अक्टूबर को शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि का समापन होते ही शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि आरंभ हो जाएगी, जिसका समापन 17 अक्टूबर 2024 को दोपहर 04:56 मिनट पर होगा। इसलिए 16 अक्टूबर 2024 को कोजागरी पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा।

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sharad purnima

शरद पूर्णिमा का महत्व

शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र देव अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होते हैं। इसी के साथ धन की देवी माता लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करने के लिए आती हैं। साथ ही भगवान आसमान से अमृत की वर्षा करते हैं। इसलिए इस दिन पूजा-पाठ करने से पैसों की कमी से छुटकारा मिलता है।

शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चन्द्र ग्रह मन और औषधि के देवता हैं। जो शरद पूर्णिमा की रात 16 कलाओं से परिपूर्ण होते हैं, जिसके प्रभाव से पृथ्वी पर अमृत की वर्षा होती है। इस खास दिन चांद की रोशनी में दूध से बनी खीर को रखने से उसमें मौजूद विषाणु खत्म हो जाते हैं। इससे खीर शुद्ध हो जाती है, जिसे प्रसाद के रूप में खाया जा सकता है।

इसके अलावा दूध, चावल और चीनी के कारक भी चन्द्र देव हैं। इसलिए इनमें चन्द्रमा का प्रभाव सबसे अधिक होता है। शरद पूर्णिमा की रात जब खुले आसमान के नीचे आप खीर को रखेंगे, तो चन्द्रमा की किरणें से ये खीर अमृत तुल्य हो जाएगी। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस खीर के सेवन से गंभीर बीमारियों के होने का खतरा कम होता है।

शरद पूर्णिमा की पूजा विधि

  • शरद पूर्णिमा के दिन प्रात: काल धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा करें।
  • दिन के समय अपने हाथों से चावल, दूध और चीनी से खीर बनाएं।
  • रात के समय चंद्र देव की आराधना करें।
  • उसके बाद चांदी के बर्तन में खीर को निकालें और उसे खुले आसमान के नीचे रख दें।
  • इसी के साथ कुछ घंटे चंद्रमा की शीतल चांदनी में बैठें।
  • अगले दिन स्नान आदि कार्य करने के बाद शुद्ध कपड़े धारण करें और प्रात: काल माता लक्ष्मी व चंद्र देव की उपासना करें।
  • उसके बाद खीर का सेवन करें।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Written By

Nidhi Jain

First published on: Sep 12, 2024 09:21 AM

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