Shani Pradosh Vrat: भाद्रपद महीने का पहला प्रदोष व्रत शनिवार 31 अगस्त को रखा जाएगा। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना और व्रत रखने का विशेष विधान है। वहीं, त्रयोदशी तिथि का शनिवार से संयोग होने से यह तिथि एक शनि त्रयोदशी भी है, जो शनि पूजा का विशेष दिन होता है। प्रदोष व्रत के दिन शनि त्रयोदशी के संयोग से भाद्रपद कृष्ण पक्ष का शनि प्रदोष व्रत विशेष फलदायी बन गया है। आइए जानते है, इन मौके पर किन उपायों से भगवान शिव और शनिदेव को प्रसन्न कर मनोकामनाएं पूरी कर सकते हैं?
भाद्रपद शनि प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त
शनिवार को पड़ने के कारण भाद्रपद कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत एक शनि प्रदोष व्रत है, जिसे रखने से भगवान शिव के साथ शनिदेव को भी प्रसन्न किया जा सकता है। भाद्रपद कृष्ण त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 31 अगस्त को 02:25 AM से हो रही है, जो 1 सितंबर को 03:40 AM पर समाप्त हो जाएगी।
वहीं शनि प्रदोष व्रत पर पूजा का शुभ मुहुर्त शाम में 06:43 PM से 08:59 PM तक है। मान्यता है कि इस दिन 3 देवताओं की पूजा पूरे विधि-विधान से करनी चाहिए। ये देवता हैं- भगवान शिव, हनुमान जी और शनिदेव। बता दें, शनिदेव स्वयं भगवान शिव और हनुमान ज़ी की पूजा करते हैं।
शनि प्रदोष व्रत पर करें ये उपाय
1- भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा अपराजिता फूल करें। भगवान शिव को नीले रंग वाली 27 अपराजिता फूल मंत्रोच्चार के साथ अर्पित करें। कहते हैं, रावण ने अपराजिता फूल से भगवान शिव को प्रसन्न कर ज्ञान और बल प्राप्त किया था, जिससे वह तीनों लोकों को जीतने में सफल हुआ था।
2- शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शनिदेव की विधिवत पूजा करें और उनको अपराजिता के फूलों से बनी माला अर्पित करें। भगवान शनिदेव को नीला रंग बहुत प्रिय है। मान्यता है कि अपराजित के नीले रंग के फूल अर्पित करने पर वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
3- शनि प्रदोष व्रत के दिन शमी वृक्ष की पत्तियों के उपाय से हर प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत के दिन हनुमान जी, शनिदेव और भगवान शिव, इन तीनों के चरणों में शमी की 9-9 पत्तियां अर्पित कर तीनों देवों की चालीसा का पाठ करें। इस उपाय से जल्द ही शुभ समाचार प्राप्त होंगे।
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