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Shani Pradosh Vrat 2024: आज है साल 2024 का पहला शनि प्रदोष व्रत, जानें पूजा करने की सही विधि

Shani Pradosh Vrat 2024: वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। तो आज इस खबर में जानेंगे कि शनि प्रदोष कब है, किस समय भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं। साथ ही पूजा की विधि विधान क्या है।

Edited By : Raghvendra Tiwari | Updated: Apr 6, 2024 07:44
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Shani Pradosh Vrat

Shani Pradosh Vrat 2024: वैदिक पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। ऐसे में अप्रैल माह में प्रदोष व्रत आज यानी 6 अप्रैल को है। यह प्रदोष व्रत साल 2024 का पहला प्रदोष व्रत है क्योंकि यह व्रत शनिवार को रखा जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनिवार को प्रदोष व्रत पड़ने की वजह से इसे शनि प्रदोष के नाम से जाना जाता है।

वैदिक पंचांग के अनुसार, शनि प्रदोष व्रत चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 6 अप्रैल को है। प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा और उपासना की जाती है। मान्यता है कि जो लोग विधि-विधान से पूजा-अर्चना के साथ उपासना करते हैं उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। तो आज इस खबर में जानेंगे कि शनि प्रदोष व्रत कब है। साथ ही प्रदोष व्रत का महत्व और पूजा विधि क्या है।

शनि प्रदोष कब

पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 6 अप्रैल को सुबह 10 बजकर 20 मिनट से हो रही है और समाप्ति अगले दिन यानी 7 अप्रैल 2024 दिन शनिवार को सुबह 6 बजकर 54 मिनट पर होगी। ज्योतिषियों के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन शाम में पूजा करने का विधान है। इसलिए शनि प्रदोष के दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम को 6 बजकर 41 मिनट से लेकर 7 बजकर 04 मिनट तक है।

शनि प्रदोष की पूजा विधि

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनि प्रदोष वाले दिन सुबह-सुबह उठें और स्नान करें। इसके बाद संध्या के समय में शुभ मुहूर्त में पूजा करें। पूजा में गाय के कच्चे दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल आदि लेकर भगवान शिव का अभिषेक करें। अभिषेक करने के बाद बेलपत्र पर चंदन लगाकर भगवान शिव पर अर्पित करें। उसके बाद पुष्प, धतूरा, आक के फूल आदि शिवलिंग पर अर्पित करें। इन सभी चीजों को अर्पित करने के बाद भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शनि प्रदोष व्रत का कथा करें। कथा का पाठ करने के बाद भगवान शिव की आरती उतारें।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

First published on: Apr 05, 2024 08:53 AM

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