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Religion

Shani Jayanti 2025: क्या शनि जयंती पर रहेगी भद्रा की काली छाया? जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

भद्रा काल को अशुभ माना जाता है, जिस दौरान शुभ कार्य करने से बचना चाहिए। दरअसल, भद्रा सूर्य देव की पुत्री और शनिदेव की बहन हैं। चलिए जानते हैं इस साल शनि जयंती पर भद्रा का साया है या नहीं। साथ ही आपको शनि देव की पूजा के शुभ मुहूर्त के बारे में पता चलेगा।

Author Edited By : Nidhi Jain Updated: May 17, 2025 08:59
Shani Jayanti 2025
जानें भद्रा काल का सही समय...

सनातन धर्म के लोगों के लिए शनि जयंती के दिन का खास महत्व है, जिस दिन शनिदेव की पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, प्राचीन काल में ज्येष्ठ माह में आने वाली अमावस्या तिथि पर शनि देव का जन्म हुआ था। इसलिए हर साल इस तिथि पर शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है, जिसे शनि जन्मोत्सव के नाम से भी जाना जाता है।

इस साल 27 मई 2025, वार मंगलवार को शनि जयंती मनाई जाएगी। चलिए जानते हैं इस साल शनि जयंती पर भद्रा की काली छाया रहेगी या नहीं।

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शनि जयंती पर कब तक रहेगा भद्रा काल?

वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार, इस साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि का आरंभ 26 मई 2025 को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन 27 मई 2025 को सुबह 08 बजकर 31 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर साल 2025 में 27 मई को शनि जयंती मनाई जाएगी।

जबकि भद्रा काल 25 मई 2025 को दोपहर 03 बजकर 51 मिनट से लेकर 26 मई 2025 को प्रात: काल 02 बजकर 01 मिनट तक रहेगा। 26 मई 2025 को अमावस्या तिथि के आरंभ होने से पहले ही भद्रा काल का समापन हो जाएगा, जिसके कारण भद्रा की काली छाया शनि जयंती पर नहीं पड़ेगी।

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शनिदेव की पूजा के शुभ मुहूर्त

  • सूर्योदय- प्रात: काल 5 बजकर 45 मिनट पर
  • ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: काल में 04 बजकर 09 मिनट से लेकर 04 बजकर 57 मिनट तक
  • राहुकाल- दोपहर 3 बजकर 43 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 22 मिनट तक
  • अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 57 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक
  • सर्वार्थसिद्धि योग- प्रात: काल में 05 बजकर 32 मिनट से लेकर 05 बजकर 45 मिनट तक
  • सुकर्मा योग- प्रात: काल 02 बजकर 54 मिनट से लेकर देर रात 10 बजकर 54 मिनट तक

शनिदेव की पूजा से जुड़े नियम

  • शनिदेव की मूर्ति के ठीक सामने खड़े होकर पूजा नहीं करनी चाहिए।
  • शनिदेव की आंखों में देखकर पूजा नहीं करनी चाहिए।
  • शनिदेव के सामने हाथ जोड़कर प्रणाम नहीं करना चाहिए। इससे आपको पाप लग सकता है। उन्हें सिर झुकाकर और हाथ कमर के पीछे बांधकर प्रणाम करना चाहिए।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: May 17, 2025 08:59 AM

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