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50, 100, 500 की जगह शगुन में 51, 101 या 501 रुपये देना ही शुभ क्यों है? जाने शगुन के 1 रु. का महत्व

Shagun Ka Sikka: हिन्दू धर्म में शुभ कार्यों और खास अवसरों पर किसी को शगुन में 21, 51, 101 या 501 रुपये दिए जाने की परंपरा है। क्या आप जानते हैं, शगुन में एक रुपया बढ़ाकर क्यों दिया जाता है? यदि ऐसा करना शुभ है, तो शुभ क्यों है? आइए जानते हैं, इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व...

Edited By : Shyam Nandan | Updated: May 17, 2024 13:22
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Shagun ka sikka

Shagun Ka Sikka:अक्सर आपने देखा होगा या किया भी होगा कि जब भी शादी, गृह प्रवेश, मुंडन आदि शुभ कार्यों और खास अवसरों पर किसी को शगुन में रुपये या शगुन के लिफाफे दिए जाते हैं, तो उनमें 11, 21, 51, 101 या 501, या फिर सम यानी पूर्णांक संख्या से एक रुपया अधिक होता है। आइए इस आर्टिकल में जानते हैं कि इस चलन के पीछे धार्मिक और सांस्कृतिक कारण क्या हैं? यह रिवाज है, तो क्यों है? यदि यह शुभ है, तो क्यों है?

अधिकतम शुभता की प्रतीक हैं ये संख्याएं

हिन्दू धर्म में शगुन के तौर पर +1 को अधिकतम शुभता की प्रतीक माना गया है। 21, 51, 101, 501, 1001 आदि को अधिकतम शुभ और अनुकूल संख्या मानी जाती है, जो भाग्योदय में सहायक होती हैं।

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+1 की शुभता का सांस्कृतिक संदर्भ

जब कोई किसी शुभ कार्य में +1 रुपया शगुन देते हैं, तो उसमें यह शुभकामना निहित होती है कि जो भी दिया है, जितना भी दिया है, वह आपके जीवन में हर चीज में हमेशा एक अंक आगे हो और यह आपकी जिंदगी संवार देने में आपके लिए सहायक हो। दरअसल, इनमें सांस्कृतिक रूप में शुभता और समृद्धि के साथ सुरक्षा की कामना निहित होती हैं।

शुभता और समृद्धि का प्रतीक

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हिन्दू धर्म में धातु के एकल सिक्के को, चाहे वह स्वर्ण मुद्रा के रूप में हो या वर्तमान में एक रुपये के रूप, इनमें धन की देवी लक्ष्मी का वास होता है। मान्यता है कि शगुन में एक रुपये का सिक्का देने से लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो सुख-समृद्धि लाता है। साथ ही, 11, 21, 51, 101 या 501 जैसी संख्याएं प्रतीकात्मक और शुभ मानी गई हैं।

नकारात्मकता का निवारण

हिन्दू धर्म में पूर्णांक राशि, जैसे 100, 200, 500 आदि देना अशुभ माना गया है। इन्हें पूर्णता और समाप्ति की प्रतीक माना गया है, जो नई शुरुआत के लिए अवसर नहीं देती हैं। यही कारण है कि इन पूर्णांक राशियों में +1 यानी एक रुपया बढ़ाकर नकारात्मकता दूर करने की परंपरा है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

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Written By

Shyam Nandan

First published on: May 17, 2024 01:00 PM

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