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Religion

रंक से राजा बनाता है भगवान गणेश का ये स्तोत्र, पल में होता है हर संकट दूर!

Ganesh Puja: शास्त्रों के अनुसार नारद पुराण में भगवान गणेश का एक ऐसा स्तोत्र दिया गया है, जिसका पाठ मात्र करने से सभी प्रकार से संकट दूर हो जाते हैं। इस स्तोत्र को इतना अधिक पावरफुल माना गया है कि इसका प्रतिदिन जाप करने से व्यक्ति रंक से राजा बन सकता है। इस साथ ही इस स्तोत्र से बुद्धि, विद्या और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होता है।

Author Edited By : Mohit Tiwari Updated: Apr 23, 2025 14:19
Ganesh Puja

Ganesh Puja: किसी भी शुभ काम से पहले भगवान गणेश का पूजन करना आवश्यक होता है। माना जाता है कि भगवान गणेश विघ्नहर्ता हैं। इस कारण इनके नाम मात्र से विघ्न दूर हो जाते हैं। नारद पुराण में भगवान गणेश का एक बेहद शक्तिशाली स्तोत्र दिया गया है। माना जाता है कि इस स्तोत्र का पाठ करने मात्र से गरीब भी अमीर बन जाता है। उस व्यक्ति को धन-धान्य की कमी नहीं रहती है।

भगवान गणेश के इस स्तोत्र को संकटनाशन गणेश स्तोत्र के नाम से जाना जाता है। इसमें भगवान गणेश के 12 नामों का वर्णन किया गया है। माना गया है कि भगवान गणेश के इन 12 नामों का जो कोई भी सुबह, दोपहर और शाम के समय पाठ करता है। उसके जीवन में कभी भी किसी प्रकार की विघ्न नहीं आती है। अगर कोई आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति इसका पाठ करता है तो वो धनवान बनता है। अगर कोई नौकरी करने वाला इस स्तोत्र का पाठ करता है तो उसका करियर बुलंदियों पर पहुंचता है। अगर कोई भी व्यक्ति स्टूडेंट इसका पाठ करता है तो उसको विद्या प्राप्त होती है।

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संकटनाशन गणेश स्तोत्र

प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्।
भक्तावासं स्मरेनित्यं आयुःकामार्थसिद्धये॥

प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम्।
तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम्॥

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लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च।
सप्तमं विघ्नराजं च धूम्रवर्णं तथाष्टमम्॥

नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम्।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम्॥

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो॥

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम्॥

जपेद्गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासैः फलं लभेत्।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशयः॥

अष्टेभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत्।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः॥

इति श्रीनारदपुराणे संकटनाशन गणेशस्तोत्रम् संपूर्णम्।

क्या है इसका अर्थ?

इस स्तोत्र को देवर्षि नारद द्वारा रचित नारद पुराण से लिया गया है। इस स्तोत्र का अर्थ कुछ इस प्रकार से है।

मैं भगवान गणेश को सिर झुकाकर प्रणाम करता हूं। जो मां गौरी के पुत्र हैं, जो भक्तों के हृदय में निवास करते हैं। आयु, सुख व सिद्धि प्रदान करते हैं। भगवान गणेश के 12 नाम क्रतुण्ड, एकदंत, कृष्णपिंगाक्ष, गजवक्त्र, लम्बोदर, विकट, विघ्नराज, धूम्रवर्ण, भालचंद्र, विनायक, गणपति और गजानन हैं।

जो व्यक्ति इन बारह नामों का नियमित रूप से तीनों संधियों (सुबह, दोपहर और शाम) में पाठ करता है, उसे जीवन में कोई विघ्न (रुकावट) नहीं आती है और उसके सभी कार्य सिद्ध होते हैं।

मिलते हैं ये लाभ

जो विद्यार्थी इस स्तोत्र का पाठ करता है उसे ज्ञान और बुद्धि प्राप्त होती है। जो भी व्यक्ति धन चाहता है, उसे धन प्राप्त होता है। संतान की इच्छा से इस स्तोत्र का पाठ किया जाए तो व्यक्ति को अच्छी संतान प्राप्त होती है। जो भी व्यक्ति मोक्ष चाहता उसे इस स्तोत्र का पाठ करने से आध्यात्मिक शांति और जीवन का सही मार्ग प्राप्त होता है। अगर कोई व्यक्ति इस स्तोत्र का जाप 6 महीने तक नियमित करता है तो उसे लाभ मिलना शुरू हो जाते हैं। एक वर्ष के अंदर वह व्यक्ति सिद्धियां प्राप्त कर लेता है।

इस स्तोत्र को लिखकर 8 ब्राह्मणों को भेंट करें तो पाठ करने वाले व्यक्ति को सभी प्रकार की विद्या प्राप्त होती है। इसके साथ ही भगवान गणेश की कृपा बनी रहती है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्रों पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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First published on: Apr 23, 2025 02:19 PM

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