शास्त्रों के अनुसार भगवान राम का पूजन जीवन की हर मनोकामना पूरी करता है। भगवान राम की पूजा करने से माता सीता और भगवान हनुमान की भी कृपा प्राप्त होती है। भगवान राम श्रीहरिविष्णु और माता सीता देवी लक्ष्मी का अवतार है। इस कारण इनके पूजन से जीवन सफल होता है और व्यक्ति आध्यात्मिक और भौतिक सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं।
भगवान राम को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए सबसे सरल माध्यम उनके एक शक्तिशाली स्तोत्र का पाठ करना है। इस स्तोत्र का नाम राम रक्षास्त्रोत है। यह स्त्रोत इतना ज्यादा पावरफुल है कि अगर इसे कोई व्यक्ति कंठस्थ कर ले तो उसके हाथ में सभी सिद्धियां निवास करने लगती हैं।
भगवान शिव के कहने पर हुई थी रचना
‘आदिष्टवान्यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हर:।
तथा लिखितवान् प्रात: प्रबुद्धो बुधकौशिक:॥’
राम रक्षास्तोत्र की रचना स्वयं भगवान शिव के कहने पर हुई है। शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव ने बुधकौशिक ऋषि को सपने में यह स्तोत्र बताया था। सुबह जागने पर बुधकौशिक ऋषि ने उस स्तोत्र को ज्यों का त्यों लिख दिया था।
नकारात्मक शक्तियों से होती है रक्षा
पातालभूतलव्योम चारिणश्छद्मचारिण:।
न द्र्ष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभि:॥
राम रक्षास्तोत्र के 11वें श्लोक के अनुसार जो पाताल, पृथ्वी और आकाश में घूमने वाले और छद्म वेशधारी जीव (भूत-प्रेत), इस रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करने वाले मनुष्य को देख भी नहीं सकते हैं।
मिलती है लंबी उम्र
एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृती पठेत्।
स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत्॥
रामरक्षा स्तोत्र के 10 वें श्लोक के अनुसार जो भी मनुष्य भक्ति और श्रद्धा के साथ इस स्तोत्र का पाठ करता है। वह दीर्घायु, सुखी , पुत्रवान और विजयी व विनम्र बो जाता है।
मिलते हैं सभी सुख और मोक्ष
रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन्।
नरो न लिप्यते पापै भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति॥
इस श्लोक के अनुसार जो भी व्यक्ति श्री राम, श्री रामभद्र तथा श्री रामचंद्र आदि नामों का स्मरण करता है, वह पाप नहीं करता है और जीवन के सभी भोगों को भोगकर मोक्ष को प्राप्त होता है।
मिलती है धन-संपत्ति और दूर होती हैं संकट
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसंपदाम्।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्॥
रामरक्षा स्तोत्र के 35वें श्लोक के अनुसार जो भी व्यक्ति इसका पाठ करता है। उसकी विपत्तियां दूर होती है और उसे सुख-संपत्ति, धन मिलता है।
भगवान शिव और हनुमान की भी मिलती है कृपा
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने॥
भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा है कि वे हमेशा राम नाम में ही निवास करते हैं। इस कारण यह राम नाम भगवान विष्णु के सहस्त्रनाम के समान हो जाता है। इसके कारण जो भी मनुष्य इसको पढ़ता है उसको भगवान शिव और हनुमान की भी कृपा मिलती है।
भगवान राम और लक्ष्मण करते हैं रक्षा
संनद्ध: कवची खड्गी चापबाणधरो युवा।
गच्छन्मनोरथोSस्माकं राम: पातु सलक्ष्मण:॥
रामरक्षा स्तोत्र के 21 श्लोक में कहा गया है कि कवचधारी, हाथ में खड्ग तथा धनुष-बाण धारण करने वाले भगवान श्री राम, लक्ष्मण सहित आगे-आगे चलकर हमारी रक्षा करें।
मिलते हैं ये भी लाभ
- इस स्तोत्र का पाठ करने वाले के ऊपर मंगल का कुप्रभाव खत्म हो जाता है।
- इसका पाठ करने से हर रोग से मुक्ति मिल जाती है।
- इस स्तोत्र का पाठ करने वाले बात हर जगह मानी जाती है। ऐसे व्यक्ति को दौलत और शोहरत प्राप्त होती है।
- इस पाठ को करने से जीवन के सभी शोक और दुख दूर हो जाती हैं।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्रों की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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