Ramadan 2025: मार्च के महीने से रमजान का महीना शुरू हो गया है। इस दौरान मस्जिदों में आम दिनों के मुकाबले ज्यादा रौनक दिख रही है। वहीं, बाजारों में भी रात भर लोगों का आना जाना लगा हुआ है। रमजान के महीने में रोजेदार नमाज और कुरान की तिलावत पाबंदी के साथ करते हैं। दरअसल, रमजान के पूरे महीने को तीन हिस्सों में बांटा गया है, जिसे अशरा कहते हैं। जिसमें से एक अशरा खत्म हो गया है, जिसके बाद से दूसरे अशरा की शुरुआत हो गई है। इस दौरान रोजेदारों के लिए क्या हिदायत दी गई है? जानें उनको दूसरे अशरे के 10 दिनों में क्या करना चाहिए, जिससे उनको ज्यादा से ज्यादा सवाब मिल सके?
दूसरे अशरे की शुरुआत
रमजान के 10वें रोजे तक पहला अशरा रहता है। वहीं, 11वें रोजे से दूसरा अशरा शुरू हो जाता है। अभी रमजान का दूसरा अशरा शुरू हो चुका है, जो 20वें रोजे तक चलेगा। इस अशरे में रोजेदार अपने गुनाहों की माफी के लिए अल्लाह की इबादत करते हैं। माफी लिए अल्लाह से बार-बार ‘अस्तगफिरुल्लाह’(मैं अल्लाह से माफी मांगता हूं) पढ़ा जाता है। दूसरे अशरे के दौरान जितना ज्यादा हो सके, उतनी ज्यादा गरीब लोगों की मदद करने की हिदायत दी जाती है। हालांकि, रमजान के पूरे महीने में भी गरीबों की मदद की जाती है। दूसरे अशरे में पढ़ी जाने वाली दुआ:
‘اَسْتَغْفِرُ اللہَ رَبِّی مِنْ کُلِّ زَنْبٍ وَّ اَتُوْبُ اِلَیْہِ’
हिंदी अनुवाद: मैं अल्लाह से अपने सभी गुनाहों के लिए माफी मांगता हूं और उसकी ओर उन्मुख होता हूं।
कुरआन की तिलावत
रमजान की शुरुआत में कुरआन की तिलावत खूब की जाती है। जिस लगन के साथ इसको शुरू किया जाता है, वह उसी तरह से इन 10 दिनों में भी रहनी चाहिए। जितना हो सके इस दौरान कुरआन पाक की तिलावत करें। जो लोग घर पर रहते हैं, वह ज्यादा से ज्यादा कुरआन की तिलावत करें। वहीं, जिन लोगों को घर से बाहर काम पर जाना होता है, वह भी दिन में समय निकालकर कुरआन जरूर पढ़ें। इसके अलावा, कुरआन को हिंदी मायनों के साथ भी पढ़ने की कोशिश करें, इससे पता चलता है कि आपका रब आपसे क्या कह रहा है।
कौन से काम करने हैं?
रमजान के महीने में अगर यह तीनों काम शुरू नहीं किए हैं, तो इस दूसरे अशरे से शुरू कर सकते हैं। कुरआन पाक की तिलावत, दुआ के लिए वक्त और दुरूद शरीफ की कसरत आज से ही शुरू कर सकते हैं। इस इबादत को रमजान खत्म होने तक या उसके बाद भी जारी रख सकते हैं।
दुआ के लिए निकालें वक्त
रमजान के महीने में मांगी गईं दुआ में बहुत असर होता है। कहा जाता है, जब रोजेदार इफ्तार के वक्त दुआ मांगता है, तो उसके और अल्लाह के बीच कोई पर्दा नहीं होता है। जब आप दुआ करते हैं, तो अल्लाह आपको सुन रहा होता है। केवल इफ्तार ही नहीं, दिन में रोजेदार को थोड़ा वक्त दुआ के लिए भी निकालना चाहिए। इस महीने में जितनी दुआएं मांग सकते हो मांग लो। अपने गुनाहों की माफी के लिए, परिवार के लिए और रोजी-रोटी के लिए तमाम दुआएं मांगी जाती हैं। इस दौरान अपनी इबादत से खुदा को राजी करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए। जितना हो सके दुआ के लिए वक्त निकालना चाहिए।
तहज्जुद का वक्त (सुबह फज्र से पहले पढ़ी जाने वाली नमाज) दुआ कबूल होने का सबसे अच्छा वक्त कहा जाता है। रमजान के महीने में अगर आप इस वक्त पर दुआ के लिए हाथ उठाते हैं, तो अल्लाह बेशक सुनने वाला है।
दुरूद शरीफ पढ़ना
इन 10 दिनों के अलावा पूरे रमजान के महीने में तीसरा सबसे जरूरी काम दुरूद शरीफ पढ़ने का करना है। जितना हो सके हुजूर के लिए दुरूद शरीफ की कसरत करनी है। इसके लिए भी एक वक्त बना लीजिए, जिसमें 100 से लेकर 1000 बार जितना आपसे हो सके उतना दुरूद शरीफ पढ़कर हुजूर पर भेजिए। इस कसरत को अपनी नमाजों में भी कर सकते हैं या फिर अलग से तस्बीह में पढ़ते रहें।
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