माता-पिता अपने बच्चे को खुश रखने के लिए तमाम प्रयास करते हैं। अक्सर देखा जाता है कि पेरेंट्स बच्चों की खुशी के लिए अपने सुख और सेहत को नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन जब वो ही बच्चा बड़ा होकर अपने माता-पिता का अपमान करता है तो उनके दिल पर क्या गुजरती होगी? उन्हें कितना दुख होता होगा। जिस बच्चे को उच्चवल भविष्य देने के लिए उन्होंने अपनी हर खुशी को नजरअंदाज कर दिया, आज वो ही उनका विरोध कर रहा है। यदि अपनी ही संतान अपमान करें तो क्या उसे इसका दंड मिलता है? जब ये ही सवाल के साधक ने प्रसिद्ध कथावाचक संत श्री प्रेमानंद महाराज से पूछा तो उन्होंने क्या जवाब दिया, आइए इस बारे में जानते हैं।
पेरेंट्स का अपमान करने पर क्या मिलता है दंड?
प्रसिद्ध कथावाचक संत प्रेमानंद महाराज से एक भक्त ने सवाल किया कि, ‘माता-पिता का अपमान करने पर क्या बच्चों को दंड मिलता है?’ इस सवाल का जवाब देते हुए प्रेमानंद महाराज ने कहा, ‘यदि कोई बच्चा अपने माता-पिता को दंड दे रहा है या उनका अपमान कर रहा है तो वो अपने पूर्व जन्म के कर्म भोग रहे हैं। लेकिन उनका बच्चा नया कर्म कर रहा है। इस कारण उसकी दुर्दशा होगी।’
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नाम जाप का महत्व
इसके आगे भक्त ने कहा, ‘ऐसी परिस्थिति में माता-पिता क्या कर सकते हैं?’ इस सवाल का जवाब देते हुए महाराज ने कहा, ‘माता-पिता को भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए कि उनके बच्चे की बुद्धि शुद्ध हो जाए। उसे नाम जाप करने को कहें। जब उसकी बुद्धि शुद्ध होगी तो वो अपराध नहीं करेगा। नाम जाप से बुद्धि शुद्ध होती है और शुद्ध बुद्धि से अपराध नहीं होते हैं। शुद्ध बुद्धि में इतनी क्षमता होती है कि व्यक्ति दूसरों को दुख देने के बारे में नहीं सोचता है। इसलिए कहा जाता है कि जो लोग नाम जाप करते हैं उनका हृदय कोमल होता है। जबकि अपवित्र बुद्धि के कारण दूसरों का अपमान, हिंसा और दूसरों को दुख पहुंचाने के भाव उत्पन्न होते हैं।’
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