Religious Beliefs: हिंदू धर्म में स्वच्छता और पवित्रता को अत्यंत महत्व दिया गया है। शास्त्रों और ग्रंथों में टॉयलेट करने के लिए उचित स्थानों और नियमों के बारे में बताया गया है। जो न केवल शारीरिक स्वच्छता बल्कि आध्यात्मिक शुद्धता को भी बनाए रखने के लिए बताए गए हैं। आपातकालीन स्थिति (इमरजेंसी) में भी कुछ स्थान ऐसे हैं जहां टॉयलेट करना वर्जित माना गया है, क्योंकि इन स्थानों को पवित्र या शुद्ध माना जाता है। वहीं, कुछ और ऐसे स्थान होते हैं, जहां पर टॉयलेट करना आपके लिए खतरा बन सकता है। धार्मिक ग्रंथों में इन जगहों पर टॉयलेट करना वर्जित माना गया है। आइए जानते हैं कि वे कौन सी जगह हैं, जहां पर टॉयलेट नहीं करनी चाहिए।
पवित्र स्थानों और मंदिरों के पास
हिंदू शास्त्रों में मंदिर, तीर्थस्थल, या अन्य पवित्र स्थानों के पास टॉयलेट करना अपराध माना गया है। ऐसा करना मंदिर में स्थापित देवी-देवता का अपमान माना जाता है। मनुस्मृति के अध्याय 4, श्लोक 45-46 में कहा गया है कि पवित्र स्थानों, जैसे मंदिरों, यज्ञशालाओं, या तीर्थों के निकट टॉयलेट करना अशुद्धता को जन्म देता है। ऐसी जगहों पर टॉयलेट करने से न केवल स्थान की पवित्रता भंग होती है, बल्कि यह धार्मिक अपराध भी माना जाता है। इसके गंभीर परिणाम व्यक्ति को झेलने पड़ सकते हैं। माना जाता है ऐसा करने से देवी-देवताओं का अपमान होता है और व्यक्ति को इसका गंभीर दंड मिलता है।
जलाशयों या नदियों के पास
मनुस्मृति अध्याय 4, श्लोक 56 में जलाशयों, नदियों, तालाबों, या अन्य जल स्रोतों जैसे कुएं या हैंडपंप के पास टॉयलेट करने की मनाही है। जल को हिंदू धर्म में पवित्र और जीवन का आधार माना जाता है। नदियों और जलाशयों को देवी और देवताओं के रूप में पूजा जाता है। इनके पास या इनमें नहाते समय टॉयलेट करने से व्यक्ति को जीवन में गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इनके पास टॉयलेट करने से जल की शुद्धता नष्ट होती है और यह पर्यावरण के लिए भी हानिकारक है।
रास्तों या आवासीय क्षेत्रों के पास
शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि लोगों के आवागमन वाले रास्तों, गांवों, या आवासीय क्षेत्रों के पास टॉयलेट करना अनुचित है। ऐसी जगहों पर टॉयलेट करने से घर में विपत्तियां आने लगती हैं।
छायादार वृक्षों के नीचे
मनुस्मृति अध्याय 4, श्लोक 46 में छायादार वृक्षों के नीचे टॉयलेट करने की मनाही है, क्योंकि वृक्षों को प्रकृति का आशीर्वाद माना जाता है और लोग इनके नीचे विश्राम करते हैं। यह स्थान सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी शुद्ध रखा जाना चाहिए।
वहीं, पीपल, बरगद, या अन्य पवित्र वृक्षों के नीचे इमरजेंसी में भी टॉयलेट न करें क्योंकि इनमें भगवान का वास माना जाता है। इन जगहों पर टॉयलेट करने से पाप लगता है।
अग्नि के पास
मनुस्मृति और अन्य ग्रंथों में अग्नि को अत्यंत पवित्र माना गया है। यज्ञशाला या अग्नि स्थल के पास टॉयलेट करना पाप माना जाता है। विश्वामित्र स्मृति में भी इसका उल्लेख है कि अग्नि की पवित्रता को बनाए रखने के लिए उसके आसपास टॉयलेट करने से बचना चाहिए।
कब्रिस्तान या श्मशान
भूलकर भी कभी कब्रिस्तान या श्मशान के पास टॉयलेट नहीं करना चाहिए। ऐसा करना वहां उपस्थित आत्माओं का अपमान माना जाता है। ऐसे में व्यक्ति नकारात्मक शक्तियों का शिकार हो सकता है।
चौराहों के किनारे
चौराहों के किनारे भी कभी टॉयलेट नहीं करना चाहिए। चौराहों पर नकारात्मक शक्तियों की अधिकता मानी जाती है। ऐसे में नकारात्मक शक्तियां कई प्रकार से आपको नुकसान पहुंचा सकती हैं।
कर सकते हैं ये उपाय
यदि इमरजेंसी में गलती से किसी वर्जित स्थान पर टॉयलेट कर दें तो मनुस्मृति के अध्याय 5 में इसको लेकर उपाय बताया गया है। इस उपाय के अनुसार अगर ऐसी गलती हो जाए तो घर आकर नहां लें। इसके बाद गंगाजल से खुद को शुद्ध करें और प्रायश्चित के लिए मंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करें।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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