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Pitru Paksh 2024: श्राद्ध पक्ष में रोजाना इन 3 उपायों से प्रसन्न होते हैं पितर, सदैव बनी रहती है कृपा!

Pitru Paksh 2024: हिंदू धर्म में पितृपक्ष या श्राद्ध पक्ष पूर्वजों और पितरों की आत्मा का शांति का महाअनुष्ठान है. इस पक्ष में रोजाना 3 उपायों को करने से वे बेहद प्रसन्न होते हैं और घर-परिवार पर अपनी कृपादृष्टि बनाए रखते हैं. आइए जानते हैं, क्या हैं ये ख़ास उपाय?

Edited By : Shyam Nandan | Updated: Sep 18, 2024 12:11
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Pitru Paksh 2024: हिंदू धर्म में साल के 365 दिनों में से 16 दिन पूर्वजों को याद करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्रद्धांजलि देने के लिए निश्चित किया गया है। यह तथ्य अपने आप में हिंदू धर्म में पितृपक्ष या श्राद्ध पक्ष के महत्व को स्थापित करता है। मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान पितर लोक से पूर्वज और पितर पृथ्वी पर आते हैं और उनके लिए किए गए तर्पण, पिंडदान और भोज को ग्रहण कर तृप्त होते हैं। इस साल पितृपक्ष 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक है। आइए जानते हैं, श्राद्ध पक्ष में रोजाना किन 3 उपायों करने से पितर सदैव प्रसन्न रहते हैं और घर-परिवार पानी कृपादृष्टि बनाए रखते हैं।

पितरों की प्रसन्नता और शांति के उपाय

गीता के 11वें अध्याय का पाठ

श्रीमद्भगवद्गीता हिंदू धर्म का सबसे पवित्र ग्रंथ माना गया है। इसके 11वें अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने विश्वरूप का विराट दर्शन दिया है। मान्यता कि पितृपक्ष में एक लोटे में जल, काला तिल और सिद्ध यंत्र रखकर गीता के 11वें अध्याय का पाठ करने के बाद लोटे के जल पीपल पेड़ की जड़ में डालना चाहिए। इसे नियम पूर्वक श्राद्ध के सभी दिनों में करने से पितर से प्रसन्न होते है।

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सिद्ध शांति यंत्र का पूजन

पितृपक्ष के दिनों में एक दोने में एक सिद्ध शांति यंत्र, एक फल, कुछ पुष्प और गंगाजल डालकर रोजाना पूजा कर जल में प्रवाहित करने से लाभ होता है। वहीं, पितृपक्ष की अमावस्या तिथि यानी सर्वपितृ अमावस्या को अपने सब पितरों की आत्मा की शांति के लिए 16 सिद्ध शांति यंत्रों को 16 दोनों में पुष्प और  गंगाजल डालकर बहते जल में विसर्जित कर देने से सभी प्रकार के पितृदोष समाप्त हो जाते हैं।

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पितर समेत इनको भी दें भोजन का अंश

पितृपक्ष में अपने भोजन का अंशदान एक अनिवार्य हिंदू रिवाज है। इस रिवाज के मुताबिक श्राद्ध के दिनों में रोजाना अपनी भोजन की थाली यानी संपूर्ण भोजन में से इस प्रकार अंश निकालना चाहिए:

  • पहला अंश – अग्नि देवता के लिए
  • दूसरा अंश – गऊ माता के लिए
  • तीसरा अंश – पक्षियों के लिए
  • चौथा अंश – कुत्ते के लिए
  • पांचवां अंश – चींटियों एक लिए
  • छठा अंश – ब्राह्मण के लिए

संपूर्ण भोजन में से इस प्रकार अंश निकालने के बाद जल का अर्घ्य देना चाहिए और इसके बाद भोजन करना चाहिए। शास्त्रों के मुताबिक इससे पूर्वजों और पितरों की आत्मा सदैव तृप्त रहती है और घर-परिवार पर सदैव उनकी कृपा बनी रहती है।

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Edited By

Shyam Nandan

First published on: Sep 18, 2024 12:11 PM

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