Mohini Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है। इसके साथ ही वैशाख माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली मोहिनी एकादशी को अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। यह दिन भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार को समर्पित होता है। भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन के दौरान असुरों को मोहित कर देवताओं को अमृत प्रदान किया था। वर्ष 2025 में मोहिनी एकादशी 8 मई को मनाई जाएगी। यह व्रत पापों से मुक्ति, सुख-समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन में जब असुरों और देवताओं के बीच अमृत को लेकर युद्ध होने लगा था तब भगवान श्रीहरिविष्णु ने मोहिनी अवतार लिया था। इसके बाद उन्होंने अपने रूप रूप से असुरों को मोहित किया और देवताओं को अमृत पान कराया था।
इस कारण यह व्रत सत्य, धर्म और मोह-माया से मुक्ति का प्रतीक है। शास्त्रों में इसे हजार गायों के दान और अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्यदायी बताया गया है। एक मान्यता के अनुसार त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने भी इस व्रत को रखा था, जिससे उन्हें बाधाओं से मुक्ति और विजय प्राप्त हुई। वैशाख माह की पवित्रता के कारण इस एकादशी का महत्व और बढ़ जाता है। यह व्रत व्यक्ति को आत्मशुद्धि, संयम और भक्ति का मार्ग दिखाता है, जो उन्हें सांसारिक बंधनों से मुक्त करता है।
मोहिनी एकादशी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
मोहिनी एकादशी 2025 वैशाख माह के शुक्ल पक्ष में 8 मई, गुरुवार को मनाई जाएगी। वैदिक पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि 7 मई की सुबह 10:19 बजे शुरू होगी और 8 मई को दोपहर 12:29 बजे समाप्त होगी। व्रत का पारण 9 मई को सुबह 5:34 बजे से 8:16 बजे के बीच होगा। इस दिन भद्रवास योग बन रहा है, जो पूजा, जप और व्रत को और अधिक प्रभावशाली बनाता है। गुरुवार भगवान विष्णु का प्रिय दिन है, इसलिए इस दिन का व्रत विशेष फलदायी होगा।
मोहिनी एकादशी व्रत से मिलते हैं ये लाभ
- इस व्रत को रखने से जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश होता है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा से धन-धान्य और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
- सांसारिक मोह और माया से मुक्ति मिलती है, जिससे मानसिक शांति प्राप्त होती है।
- करियर, रिलेशनशिप्स और स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
- हजार गायों के दान और सौ यज्ञों के समान पुण्य प्राप्त होता है।
- मानसिक तनाव, चिंता और संकटों से राहत मिलती है।
- वैवाहिक जीवन में प्रेम, समझदारी और सामंजस्य बढ़ता है।
- आर्थिक तंगी दूर होती है और फाइनेंशियल ग्रोथ का रास्ता खुलता है।
- कॉन्फिडेंस और इमोशनल बैलेंस बढ़ता है, जिससे निर्णय लेने की क्षमता सुधरती है।
- सुखी और समृद्ध भविष्य का निर्माण होता है।
मोहिनी एकादशी व्रत की पूजा विधि
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। नहाने के पानी में गंगाजल मिलाएं। इसके बाद पीले या सफेद वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के सामने व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र को साफ जगह पर स्थापित करें। चंदन, तुलसी, पीले फूल, धूप, दीप और नैवेद्य (खीर, मक्खन, मिश्री, पंचामृत) अर्पित करें। ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का 108 बार जाप करें। विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी किया जा सकता है।
मोहिनी एकादशी की कथा पढ़ें या सुनें, जिसमें धृष्टबुद्धि की कहानी है। गरीबों को अन्न, गुड़, जल, फल, वस्त्र या मिठाई दान करें। रात में भगवान विष्णु की आरती करें। तुलसी के पास गाय के घी का दीपक जलाएं। 9 मई को सुबह 5:34 से 8:16 बजे के बीच अन्न दान के बाद व्रत खोलें। तुलसी के पास दीपक जलाएं और लाल चुनरी चढ़ाएं। यह माता लक्ष्मी को प्रसन्न करता है। पवित्र नदी या तालाब में दीपदान करें। यह पापों से मुक्ति दिलाता है।
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