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Maha Kumbh 2025: मौनी अमावस्या से पहले नागा संन्यासी की पर्ची कटना शुरू, 3 हजार से ज्यादा साधु बनेंगे नागा

Maha Kumbh 2025: मौनी अमावस्या से पहले नागा संन्यासी बनने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। बताया जा रहा है कि 3 हजार से ज्यादा नागा साधु बन रहे हैं।

Edited By : Simran Singh | Updated: Jan 17, 2025 13:51
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Maha Kumbh 2025 Before Mauni Amavasya, Naga Saints slips start being cut more than 3 thousand saints will become Nagas
महा कुंभ 2025

दीपक दुबे,

प्रयागराज: Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में बड़ी संख्या में साधु संतों, महात्माओं और नागा संन्यासियों का प्रयागराज की पावन धरा पर अलग-अलग अखाड़ों में जमावड़ा लगा हुआ है। महाकुंभ के दूसरे दिन 3 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने स्नान किया तो वहीं भव्य अमृत स्नान साधु-संतों, नागा संन्यासियों ने किया। इनके लिए ये अमृत स्नान भर नहीं बल्कि अलग-अलग अखाड़ों के बड़े विस्तार का भी शुभ अवसर होता है यानी अखाड़ा में संन्यासी को आधिकारिक रूप से नागा साधु बना दिया जाता है।

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आसान नहीं है नागा साधु बनने की प्रक्रिया

नागा साधु बनने की प्रक्रिया बड़ी कठिन होती है। छह से बारह सालों तक गुरु जनों के के सानिध्य में शास्त्र, शस्त्र विद्या, धर्म के प्रति आस्था और जागरूक बनना पड़ता है कि जब भी जरूरत पड़े तो शास्त्र और शस्त्र के साथ यह सदा रक्षा के लिए खड़े रहें।

सिद्ध पुरुषों ने कहा है धुना और पानी जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। धुना पानी सिद्धों की वाणी, जहां यह दोनों चीज नहीं है वहां जीवन नहीं है। आग और जल के बिना जीवन संभव नहीं है इसमें साक्षात ईश्वर का वास होता है। अग्नि देव साक्षात देव है। अग्नि की पत्नी का नाम स्वाहा है। संतों का काम है देवताओं को प्रसन्न करना है।

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नागा संन्यासी भारत ही नहीं अनादि देशों और पहाड़ी इलाकों में ज्यादा रहते हैं। दशनाम शिव के अंग से उत्पन्न है। नागा देव दिगंबर, नागा शिव के रूप है यह एक शिशु के रूप में होते है। यह बालक की तरह रहते है रोना हंसना, गुस्सा होना जैसे भोले बाबा है। गुस्सा हो गए तो तांडव कर देंगे। नागा संन्यासी अपने भाव में इष्ट देव में लीन रहते है यह तंत्र मंत्र नहीं करते ।

सर्वोपरि यह अपने गुरु की आराधना और भगवान शंकर को पूजते है। नागा का हठ योग बहुत घातक होता है बालक जिद कर ले तो पिता को पूरा करना पड़ता है वैसे नागा संन्यासी हठ करते है। संत राम के पूत है राम संत के पिता है। जब पुत्र पर कोई आपदा विपदा आएगी तो पिता को पूरा करना होगा तो भगवान अपने पूत की रक्षा करते हैं।

इसी क्रम में जुना अखाड़ा में नागा संन्यासी बनाने की प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है। जहां छह से बारह वर्षों के कठिन तप जप, धर्म विद्या सीखने के बाद अब इन्हें आधिकारिक रूप से नागा संन्यासी की मान्यता दे दी जाएगी। आपको बता दें कि महाकुंभ में ही नए नागा संन्यासियों की दीक्षा होती है। प्रशिक्षु साधुओं के लिए प्रयागराज कुंभ की नागा दीक्षा दी जाएगी।

अलग-अलग अखाड़ा में अब नागा साधु बनने के लिए पर्ची कटना शुरू हो चुका है। मौनी अमावस्या से पूर्व सातों शैव समेत दोनों उदासीन अखाड़े अपने परिवार में नए नागा साधु शामिल करेंगे। जूना अखाड़े में आज से यह प्रक्रिया शुरू हो गई है ।

News24 से खास बातचीत में अष्ट कौशल महंत डॉक्टर योगानंद गिरी जी महाराज जुना अखाड़ा ने बताया कि 48 घंटे बाद तंग तोड़ क्रिया के साथ यह पूरी होगी। महानिर्वाणी, निरंजनी, अटल, अग्नि, आह्वान समेत उदासीन अखाड़े में भी मौनी अमावस्या से नागा साधु बनाए जाएंगे। सभी अखाड़ों में तीन हजार से अधिक साधुओं को नागा बनाया जाएगा। संस्कार पूरा होने के बाद मौनी अमावस्या पर सभी नवदीक्षित नागा पहला अमृत स्नान करेंगे।

बदल जाता है गोत्र

इनका मुंडन संस्कार, दंड कमंडल का संस्कार, यज्ञोपवीत किया जाएगा, पूरी रात्रि भजन करेंगे धर्म ध्वजा के नीचे, मिर्जा हवन का विधान किया जाएगा। उसके बाद तिलांजलि और जीवनजलि दी जाएगी। फिर पिछली जिंदगी को पूर्ण रूप से त्याग कर नई जिंदगी संन्यासियों की तरह जिएंगे। यह अपने प्राण को न्यौछावर करने में भी पीछे नहीं रहेंगे। यह संन्यासी पिंडदान करने के बाद पिछला कुल गोत्र सब कुछ समाप्त हो जाता है। जैसा कन्या की शादी के बाद कुल गोत्र बदल जाता है वैसे ही इनका सब कुछ बदल जाएगा

कौशल महंत डॉक्टर योगानंद गिरी जी महाराज ने बताया कि नागा दीक्षा अहम होती है। जूना अखाड़े के महंत रमेश गिरि के मुताबिक 17 जनवरी को धर्म ध्वजा के नीचे तपस्या के साथ संस्कार की शुरुआत होगी। 24 घंटे तक बिना भोजन-पानी के यह तपस्या करनी होगी। इसके बाद अखाड़ा कोतवाल के साथ सभी को गंगा तट पर ले जाया जाएगा ।

इस दौरान गंगा में 108 डुबकी लगाने के बाद क्षौर कर्म और विजय हवन किया जाएगा । जहां पांच अलग अलग गुरुजनों के द्वारा इन्हें भेट के तौर पर कुछ चीजें दी जाएंगी। संन्यास की दीक्षा अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर देंगे। इसके बाद हवन होगा। 19 जनवरी की सुबह लंगोट खोलकर उन्हें नागा बना दिया जाएगा।

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Edited By

Simran Singh

First published on: Jan 17, 2025 01:51 PM

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