Why four Temple open during lunar eclipse: चंद्रग्रहण इस बार 7-8 सितंबर की मध्यरात्रि लगेगा। चंद्रग्रहण से 9 घंटे पहले लगने वाले सूतक काल में देश के चार प्रमुख मंदिर के कपाट खुले रहेंगे। इनके पीछे पौराणिक मान्यताएं हैं। इन मंदिरों में केरल का तिरुवरप्पु श्री कृष्ण मंदिर, बिहार के गया में स्थित विष्णुपद मंदिर, आंध्र प्रदेश का कालहस्तीश्वर मंदिर और मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर का मंदिर शामिल हैं। सभी जगह अलग-अलग पौराणिक मान्यताएं हैं।
भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा तदनुसार दिनांक ७ सितम्बर २०२५ रविवार को नियोजित चन्द्रग्रहण के कारण श्री राम जन्मभूमि मंदिर में दर्शन अपराह्न १२:३० बजे तक ही होंगे।
तत्पश्चात अगले दिन सोमवार ८ सितम्बर २०२५ को प्रातः मंगला आरती पश्चात ही मंदिर के पट भक्तों के लिए खुलेंगे।
On Bhadrapada…---विज्ञापन---— Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth) September 4, 2025
केरल का तिरुवरप्पु श्री कृष्ण मंदिर
भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित केरल का तिरुवरप्पु श्री कृष्ण मंदिर सूतक काल के दौरान खुला रहता है। पौराणिक मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान कृष्ण निरंतर भूख की अवस्था में रहते हैं। एक बार ग्रहण के दौरान जब मंदिर के द्वार बंद थे तो एक पुजारी ने पाया कि कृष्ण की कमर ढीली हो गई थी जो उनकी भूख का संकेत था। उस दिन से यह मंदिर ग्रहण के दौरान नियमित पूजा और भगवान को भोग अर्पित करने के लिए खुला रहता है।
Due to the Lunar Eclipse on September 07, Tirumala Temple doors will remain closed:
Sept 07, 3:30 PM – Sept 08, 3:00 AM
Darshan resumes at 6:00 AM on Sept 08.
Devotees are requested to plan their visit accordingly.#Tirumala #TTD pic.twitter.com/wytEuEus5z---विज्ञापन---— Tirumala Tirupati Devasthanams (@TTDevasthanams) August 28, 2025
बिहार के गया का विष्णुपद मंदिर
भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर पूर्वजों के लिए पिंडदान करने हेतु एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। परंपरा के अनुसार, ग्रहण के दौरान यह अनुष्ठान करना अत्यंत शुभ होता है, इसलिए यह मंदिर सूतक काल के दौरान भी भक्तों के लिए खुला रहता है।
यह भी पढ़ें: Chandra Grahan 2025: भारत के किन 15 शहरों में दिखेगा चंद्र ग्रहण? मौसम पर काफी-कुछ निर्भर
आंध्र प्रदेश का कालहस्तीश्वर मंदिर
भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर पर सूतक काल का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। ऐसा माना जाता है कि ग्रहण कारक ग्रह, राहु और केतु, भगवान शिव की पूजा करते हैं, इसलिए इस मंदिर पर उनका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। भक्तगणग्रहण के दौरान राहु-केतु की विशेष पूजा करने भी आते हैं।
Jai Srimannarayana!!
— Statue of Equality (@StatueEquality) September 4, 2025
On account of the Total Lunar Eclipse on September 7th, devotees are requested to kindly note the revised visiting hours at the Statue of Equality :
September 7th: Darshan available up to 12:00 noon only.
September 8th: From 11:00 AM onwards, devotees may… pic.twitter.com/6ou6FNnnfE
मध्यप्रदेश में उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर
भगवान शिव को समर्पित महाकाल मंदिर में चंद्र ग्रहण के दौरान नियमों में बदलाव होता है, लेकिन मंदिर के कपाट खुले रहते हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ही महाकाल हैं। समय और मृत्यु पर सर्वोच्च अधिकार होने के कारण महाकाल ग्रहण के नियंत्रण में नहीं हैं और इसलिए उन्हें इससे सुरक्षा की आवश्यकता नहीं है। सूर्य और चंद्रमा स्वयं महाकाल के अंश हैं, इसलिए ग्रहण का देवता पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है।
सूतक काल के दौरान नियमों में क्या बदलाव
#WATCH | Ujjain, Madhya Pradesh: Priests perform 'Bhasma Aarti' at Shri Mahakaleshwar Temple after the lunar eclipse pic.twitter.com/qYpZkiOqil
— ANI (@ANI) October 29, 2023
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में सूतक काल के दौरान भक्तों और पुजारियों को ज्योतिर्लिंग को छूने की अनुमति नहीं होती। दर्शन दूर से ही किए जाते हैं। ग्रहण के दौरान आरती और अन्य अनुष्ठानों के नियमित कार्यक्रम में बदलाव किया जा सकता है या उन्हें स्थगित किया जा सकता है। ग्रहण खत्म होने के बाद, नियमित पूजा शुरू करने से पहले पूरे मंदिर को पवित्र नदी के जल से धोया और शुद्ध किया जाता है। शुद्धिकरण पूरा होने के बाद भस्म आरती की जाती है।
यह भी पढ़ें: Chandra Grahan: लग्जरी लाइफ जीने के लिए तैयार हो जाएं 3 राशियां, चंद्र ग्रहण के साथ होगा चंद्रमा का गोचर










