Shiv Mandir : भगवान शिव को देवों के देव महादेव कहा गया है। माना जाता है कि भगवान शिव मात्र एक लोटा जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं। भोलेनाथ के कई मंदिर हैं। इनमें से कुछ ऐसे रहस्यमयी मंदिर हैं, जिनके रहस्य का आज तक कोई पता नहीं लगा पाया है।
ऐसा ही एक मंदिर भारत के उत्तरप्रदेश राज्य के मुरादाबाद और संभल जिले के बहजोई के सादतबाड़ी नामक गांव में स्थित है। इस मंदिर को पातालेश्वर मंदिर के नाम से जानते हैं। यह शिव मंदिर अपने आपमें अनोखा है। इस मंदिर में भगवान शिव को झाड़ू अर्पित की जाती है।
कब से अर्पित हो रही है झाड़ू?
स्थानीय लोगों की मानें तो झाड़ू चढ़ाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। यहां लोग कांवड़ लेकर भी आते हैं और गंगाजल से महादेव का अभिषेक करते हैं। मान्यता है कि यहां हर सोमवार को दूर-दूर से भक्त आते हैं और प्रभु को झाड़ू अर्पित करते हैं।
चर्म रोग होता है दूर
मान्यता है कि पातालेश्वर महादेव मंदिर में झाड़ू अर्पित करने से स्किन डिजीज का अंत हो जाता है। सावन, महाशिवरात्रि और हर सोमवार के दिन यहां काफी अधिक संख्या में भक्त आते हैं। मान्यता है कि यह मंदिर करीब 150 साल पुराना है। इस मंदिर में दूध, जल, फल-फूल, बेलपत्र, भांग और धतूरे के साथ ही सीकों वाली झाड़ू भी अर्पित की जाती है।
कही जाती है ये कथा
मान्यता है कि एक धनवान व्यापारी चर्म रोग से पीड़ित था। वह एक बार किसी वैद्य से अपना इलाज कराने जा रहा था तभी रास्ते में उसको प्यास लगी। अपनी प्यास बुझाने के लिए वह एक आश्रम में गया। जाते-जाते वह एक झाड़ू से टकरा गया। इतने में उसका चर्म रोग ठीक हो गया। माना जाता है कि उस झाड़ू के स्पर्श से ही उसका चर्म रोग ठीक हो गया। उसने उस आश्रम के संत को सोना और हीरा देने की पेशकश की, लेकिन संत ने ये सब लेने से मना कर दिया। संत ने उससे कहा कि आप इसी स्थान पर मंदिर बनवा दें तो अच्छा होगा। व्यापारी ने संत के कहे अनुसार आश्रम के पास शिव मंदिर बनवाया और वह मंदिर पातालेश्वर मंदिर नाम से प्रसिद्ध हुआ। उस दिन से यहां झाड़ू अर्पित करने की मान्यता है।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।