Lal Kitab Ke Upay: लाल किताब कहती है कि पूर्वजों का कर्म हर मनुष्य को भुगतना पड़ता है। आपके पूर्वजों ने यदि कोई गलत कार्य किया होगा तो वह भी आपको भुगतना ही पड़ेगा और यही पितृ ऋण कहलाता है। चलिए जानते हैं कि लाल किताब के अनुसार पितृ ऋण से कैसे छुटकारा पाया जा सकता है।
1. सूर्य का पितृ ऋण
जिस जातक की कुंडली में शुक्र, शनि ग्रह पांचवें भाव में स्थित हो, उस जातक पर सूर्य का पितृ-ऋण होता है। ऐसे लोग अपनी रीति-रिवाजों का अपमान करते हैं और दिल की बीमारी से ग्रसित होते हैं। लाल किताब कहती है कि ऐसे लोग नास्तिक भी होते हैं। लाल किताब के अनुसार ऐसे लोगों को पितृ ऋण से मुक्ति के लिए अपने खून के संबंधियों के साथ सूर्यदेव का यज्ञ करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस उपाय को करने से पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है।
2. चन्द्र का पितृ ऋण
जिन लोगों की कुंडली में केतु ग्रह चतुर्थ भाव में होता है वे पितृ ऋण से युक्त होते हैं। ऐसे लोग अपनी माता का अपमान करते हैं और किसी भी जगह पूजा करना शुरू कर देते हैं, चाहे वो स्थान अपित्र ही क्यों न हो? पितृ ऋण के कारण ऐसे लोग अच्छी सेहत होते हुए भी कोई काम नहीं कर पाते। ऐसे लोगों को पितृ ऋण से मुक्ति के लिए अपने संबंधी से बराबर मात्रा में चांदी लेकर सोमवार को चलते पानी में डालना चाहिए।
3. मंगल का पितृऋण
जिन लोगों पर मंगल का पितृ ऋण होता है उनकी कुंडली में मंगल पहले या आठवें स्थान पर होता है। ऐसे लोग मित्र के साथ गद्दारी करते हैं और परिवार या रिश्तेदार से घृणा करते हैं। लाल किताब के अनुसार ऐसे लोगों को पितृ ऋण से मुक्ति पाने के लिए अपने परिवार के लोगों से धन एकत्रित कर उन पैसों से दवाइयां खरीद कर, ऐसे डॉक्टर को देनी चाहिए जो मुफ़्त में लोगों का इलाज करता हो। साथ ही ये भी ध्यान रखें की कभी भी उस डॉक्टर से अपना इलाज न कराएं जिसको आपने दवाइयां दान में दी हो।
4. बुध का पितृ ऋण
लाल किताब के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में चंद्र भाव तीसरे और छठे स्थान पर हो, तो उन्हें समझ जाना चाहिए कि उन पर बुध का पितृ ऋण है। ऐसे लोग अपनी ही बहन की या तो हत्या कर देते हैं या फिर उसे धोखा देते हैं। इतना ही नहीं ऐसे लोग छोटे बच्चों पर भी जुल्म करने से बाज नहीं आते। इन लोगों की एक और निशानी ये होती है कि ये कमाते तो कम हैं लेकिन खर्च ज्यादा करते हैं। ऐसे लोगों को पितृ ऋण से मुक्ति के लिए परिवार के सदस्यों से पैसे एकत्रित कर, बुधवार को नौ साल से कम उम्र की कन्या को हलवा-पूरी दान में देनी चाहिए।
5. बृहस्पति का पितृ ऋण
लाल किताब की मानें तो जिन लोगों की कुंडली में शुक्र, बुध और राहु ग्रह 2, 5, 9 और 12वें भाव में होता है, उन पर बृहस्पति पितृ ऋण होता है। ऐसे लोग पूजा-पाठ के लिए अपना पंडित बार-बार बदलते हैं। इतना ही नहीं बृहस्पति पितृ ऋण से ग्रसित लोग बार-बार अपना धर्म स्थान भी बदलते हैं। ऐसे लोगों को धर्म स्थान में धन के दान से ही इस ऋण से मुक्ति मिलती है।
6. शुक्र का पितृ ऋण
लाल किताब कहती है कि जिन लोगों की कुंडली में सूर्य, राहु, केतु दूसरे और सातवें भाव में उपस्थित होते हैं, वे शुक्र पितृ ऋण से ग्रसित होते हैं। ऐसे लोगों की पहचान ये होती है कि ये गर्भवती स्त्री को मारते हैं और परिवार के सदस्यों के साथ झगड़ते रहते हैं। लाल किताब के अनुसार यदि ऐसे लोग अपने परिवार के लोगों से बराबर-बराबर पैसे लेकर, सौ गायों को चारा खिलाते हैं तो वे शुक्र पितृ ऋण से मुक्त हो जाते हैं।
7. शनि का पितृ ऋण
यदि किसी मनुष्य की कुंडली में सूर्य, चन्द्र दसवें और ग्यारहवें भाव में स्थित हो, तो ऐसा मनुष्य शनि पितृ ऋण से युक्त होता है। ऐसे लोगों की पहचान ये होती है कि ये लोग किसी भी विधवा की संपत्ति धोखे से हड़प लेते हैं और जीव हत्या करने से भी बाज नहीं आते। ऐसे लोगों को अपने परिवार के सभी सदस्यों से पैसे लेकर मजदूरों को भोजन कराना चाहिए। लाल किताब कि मानें तो इस उपाय को करने से शनि पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है।
8. राहु का पितृ ऋण
लाल किताब के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में सूर्य, शुक्र, मंगल 12वें भाव में होतें हैं, वह राहु पितृ ऋण से ग्रसित होता है। ऐसे लोग ससुराल के लोगों को धोखा देने में माहिर होते हैं। साथ ही ऐसे लोगों के घर के बगल में कब्रिस्तान भी हो सकता है। ऐसे लोगों को केतु पितृ ऋण से मुक्ति के लिए, अपने घर के सदस्यों से एक-एक नारियल लेकर एक ही स्थान पर चलते हुए पानी में उसे प्रवाहित कर देना चाहिए।
9.केतु का पितृ ऋण
यदि किसी की कुंडली में चंद्र, मंगल छठे भाव में हो तब उन पर केतु का ऋण होता है। ऐसे लोगों को दूसरे के पुत्रों को कष्ट पहुंचाने में मजा आता है। ऐसे लोगों को पितृ ऋण से मुक्ति के लिए एक ही दिन में सौ कुत्तों को खाना खिलाना चाहिए।
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