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Religion

वचन से बंधे श्री कृष्ण देखते रहे द्रौपदी चीर हरण, जानें किस वजह से पहले नहीं कर पाए मदद

Mahabharat Katha: श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को जुआ खेलने से क्यों नहीं रोका? आखिर क्यों सब कुछ पता होने के बाद भी श्री कृष्ण ने जुए में युधिष्ठिर को द्रौपदी को दांव पर लगाने से नहीं रोका? चलिए जानते हैं इसी सवाल का जवाब।

Author Edited By : Nidhi Jain Updated: Jul 20, 2024 13:23
Mahabharat Katha

Mahabharat Katha: महाभारत कथा की जब भी बात की जाती है, तो युधिष्ठिर द्वारा जुए में उनकी गलतियों की सबसे ज्यादा चर्चा होती हैं। यदि पांडव द्यूत क्रीड़ा यानी जुए में भाग नहीं लेते, तो न तो वो द्रौपदी को दांव पर लगाते और न ही महाभारत का इतिहास रचा जाता। अधिकतर लोग मानते हैं कि अगर श्री कृष्ण युधिष्ठिर को जुआ खेलने से रोक देते, तो द्रौपदी का चीर हरण कभी नहीं होता। द्रौपदी को पुरुषों से भरी सभा में कभी भी अपमानित नहीं होना पड़ता। लेकिन सब कुछ जानने के बाद भी श्री कृष्ण क्यों चुप रहें? यदि आपके मन में भी ये ही सवाल है, तो चलिए जानते हैं इसी सवाल का जवाब।

नहीं बनाई थी कोई रणनीति

पौराणिक ग्रंथों में बताया गया है कि श्री कृष्ण सभी पांडवों से बेहद प्रेम करते थे। लेकिन कभी भी उन्होंने किसी पांडव को कर्म करने से नहीं रोका। युधिष्ठिर को धर्म और कर्म दोनों का ज्ञान था। इसलिए वो कभी झूठ नहीं बोलते थे। युधिष्ठिर को द्युतक्रीड़ा का ज्ञान नहीं था, बावजूद इसके उन्होंने जुआ खेलने का फैसला किया, जिसके बारे में उन्होंने श्री कृष्ण से सलाह नहीं ली थी। जुआ खेलने से पहले उन्होंने कोई रणनीति भी नहीं बनाई थी और न ही किसी अन्य व्यक्ति की सहायता ली थी। सबकुछ उन्होंने भाग्य के भरोसे छोड़ दिया था।

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Mahabharat Katha

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युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण से लिया था ये वचन

युधिष्ठिर को पता था कि जुआ एक बुरा खेल है। उन्हें डर था कि यदि श्री कृष्ण को पता चल जाएगा कि वो जुआ खेल रहे हैं, तो वो उन्हें जरूर रोंकेगे। इसलिए सभा में जाने से पहले युधिष्ठिर श्री कृष्ण के पास गए थे और उन्होंने श्री कृष्ण को बताया कि वो सभा में कौरवों से केवल बात करने के लिए जा रहे हैं। उन्होंने जुआ खेलने की बात श्री कृष्ण को नहीं बताई थी।

इसी के साथ युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण से एक वचन भी लिया था। उन्होंने श्री कृष्ण से कहा था कि जब तक उन्हें कोई सभा में नहीं बुलाएगा, तब तक वो स्वयं सभा में नहीं आएंगे। इसलिए वचन में बंधे श्री कृष्ण सभा में नहीं गए थे। लेकिन जब द्रौपदी ने उन्हें अपनी सहायता के लिए पुकारा, तो तब श्री कृष्ण सभा में गए थे। कहा जाता है कि यदि पांडव जुआ खेलने से पहले श्री कृष्ण से सलाह लेते, तो द्रौपदी का चीर हरण कभी नहीं होता।

महाभारत का युद्ध होना क्या जरूरी था?

कहा जाता है कि द्वापर युग में समाज में नकारात्मकता बढ़ती जा रही थी, जिसे रोकने के लिए महाभारत का युद्ध होना जरूरी था। श्री कृष्ण यदि युधिष्ठिर को जुआ खेलने से रोकते, तो द्वापर युग में उनके जन्म लेने का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाता है, क्योंकि महाभारत पूरी तरह से जुए से जुड़ी थी।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक और ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Jul 20, 2024 01:18 PM

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