पुराण में वर्णित कथाओं के अनुसार, देवी छिन्नमस्ता मां पार्वती का एक भीषण रौद्र रूप है। मां पार्वती के इस उग्र रूप की जयंती वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। मां छिन्नमस्ता की जयंती इस बार 11 मई, 2025 को पड़ रही है। देवी छिन्नमस्ता 10 महाविद्या देवियों में से छठवीं देवी हैं और उन्हें काली कुल से संबंधित माना गया है। मां छिन्नमस्ता, प्रचण्ड चण्डिका के नाम से भी लोकप्रिय हैं, जिनकी साधना तांत्रिकों, अघोरियों और योगियों द्वारा की जाती है। आइए जानते हैं, मां छिन्नमस्ता कौन हैं और उन्होंने अपना सिर क्यों काट लिया था।
मां छिन्नमस्ता की कथा
पौराणिक कथा है कि एक बार देवी पार्वती अपनी दो सहचरियों के साथ काफी देर से मंदाकिनी नदी में स्नान कर रही थी। इस बीच उनकी दोनों सहचरियों को बहुत जोर से भूख लगी, तो उन्होंने पार्वतीजी भोजन मांगा। नहाने और जल क्रीड़ा की धुन में देवी पार्वती ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
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दूसरी ओर सहचरियां भूख से व्याकुल हो उठीं, तो उन्होंने फिर भोजन की मांग की। इस पर मां पार्वती ने कहा कि भोजन की व्यवस्था स्नान के बाद की जाएगी। तब सहचरियों की सब्र की सीमा टूट गई। उन्होंने कहा- ‘मां तो अपने बच्चों का पेट भरने के लिए रक्त तक पिला देती है। लेकिन आप हमारी भूख शांत करने कुछ भी नहीं कर रही हैं।’
इतना सुनना था कि देवी पावती ने क्रोध में आ गई और उन्होंने आनन-फानन में अपने खड्ग से अपना ही शीश यानी सिर को धड़ से अलग कर दिया। सिर का धड़ से अलग होते ही उससे रक्त की 3 धाराएं तेजी से बह निकली निकली। देवी पार्वती ने दो रक्त-धाराओं से अपनी दोनों सहचरियों की भूख मिटाई और तीसरी रक्त-धारा से खुद को भी तृप्त किया।
इसलिए मनाते हैं छिन्नमस्ता जयंती
मान्यता है कि देवी पार्वती का यह रूप यूं तो काफी भीषण और लोमहर्षक था। लेकिन उनके इस रूप में भी जगत कल्याण का भाव था। तभी से देवी पार्वती के छिन्नमस्ता रूप की पूजा और उपासना की जाती है। मान्यता है कि जिस दिन यह घटना घटित हुई थी, उस दिन वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी।
मां छिन्नमस्ता पूजन का महत्व
छिन्नमस्ता देवी दस महाविद्याओं में छठवें स्थान पर हैं। इनकी पूजा खास मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए की जाती है। तांत्रिक साधना में इनका विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि ये सभी चिंताओं का अंत करती हैं। इसी कारण इन्हें चिंतपूर्णी देवी भी कहते हैं। कहा जाता है कि विधि-विधान से की गई पूजा से मां छिन्नमस्ता सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं:
- मां छिन्नमस्ता की पूजा कोर्ट-कचहरी के मामलों से छुटकारा पाने के लिए की जाती है।
- इनकी साधना सरकारी नौकरी में उन्नति और प्रतिष्ठा के लिए भी की जाती है।
- बिजनेस में सफलता और लाभ के लिए इनसे प्रार्थना की जाती है।
- इनकी आराधना स्वास्थ्य लाभ और रोगों से मुक्ति के लिए भी होती है।
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