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Religion

Kawad Yatra 2025: कांवड़ यात्रा के दौरान भूलकर भी न करें ये 15 गलतियां, महादेव हो सकते हैं क्रोधित

Kawad Yatra Niyam: साल 2025 में 11 जुलाई से सावन माह की शुरुआत हो रही है, जिसके साथ ही कांवड़ यात्रा का भी आरंभ हो जाएगा। कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ियों को कई जरूरी नियमों का पालन करना होता है, नहीं तो उन्हें अपनी तपस्या का फल नहीं मिलता है। चलिए जानते हैं कांवड़ यात्रा से जुड़े महत्वपूर्ण 15 नियमों के बारे में।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Nidhi Jain Updated: Jul 4, 2025 10:04
Kawad Yatra 2025 Niyam
Credit- ANI

Kawad Yatra 2025 Niyam: सावन को भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है, जिस दौरान की गई पूजा-पाठ का फल भक्तों को जरूर मिलता है। महादेव को प्रसन्न करने के लिए हर साल बड़ी संख्या में भक्तजन सावन में कांवड़ यात्रा करते हैं, जो कि एक कठिन तपस्या है। भगवान शिव के भक्त गंगा, नर्मदा, शिप्रा या गोदावरी जैसी किसी भी एक पवित्र नदी से जल को कांवड़ से ढोकर लाते हैं और फिर उस जल को अपने घर के पास मौजूद प्राचीन शिव मंदिर में शिवलिंग पर अर्पित करते हैं।

हर साल सावन माह की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से कांवड़ यात्रा की शुरुआत होती है, जो सावन मास में आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि यानी सावन शिवरात्रि तक चलती है। इस साल 11 जुलाई, दिन शुक्रवार से कांवड़ यात्रा शुरू होगी, जबकि जलाभिषेक 23 जुलाई 2025 को होगा। मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन और नियमबद्ध होकर ये यात्रा संपन्न करते हैं, केवल उन्हें ही अपनी तपस्या का फल मिलता है। चलिए अब जानते हैं कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ियों को किन 15 नियमों का पालन जरूर करना चाहिए।

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कांवड़ यात्रा के जरूरी नियम

  • कांवड़ की ऊंचाई 12 फीट से कम होनी चाहिए।
  • कांवड़ में भगवान शिव को समर्पित चीजों के अलावा और कोई वस्तु नहीं लटकानी चाहिए।
  • कांवड़ यात्रा के दौरान शुद्धता का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। शारीरिक रूप से स्वस्थ होने के साथ-साथ आपका मन से शुद्ध होना भी जरूरी है। यात्रा के दौरान मन में गलत विचारों को न आने दें और न ही गलत शब्दों का इस्तेमाल करें।
  • यात्रा के दौरान सुबह-शाम भगवान शिव की पूजा करने के साथ-साथ कांवड़ की भी विधिवत आराधना करें।

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  • कांवड़ यात्रा के दौरान भक्त का नंगे पैर चलना जरूरी है। लेकिन किसी व्यक्ति को कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या है, तो ऐसी परिस्थिति में वह चप्पल पहन सकता है।
  • पूरी यात्रा के दौरान “हर हर महादेव” का जयघोष या नाम जाप करना जरूरी है।
  • झूठे मुंह से कांवड़ को नहीं उठाना चाहिए। भोजन करने के बाद स्नान करके ही कांवड़ को उठाएं।
  • कांवड़ उठाने के बाद गलती से भी उसे कहीं पर भी जमीन पर न रखें। यदि आप ऐसा करते हैं, तो आपकी यात्रा को पूरा नहीं माना जाएगा। कांवड़ को आप किसी स्टैंड या पेड़ की डाली पर लटका सकते हैं।
  • यात्रा के दौरान यदि किसी कांवड़िए को मल या मूत्र त्याग करना है, तो पहले वह कांवड़ को स्टैंड या पेड़ की डाली पर लटकाएं और कांवड़ से बहुत दूर जाकर मल-मूत्र त्याग करें। हालांकि कांवड़ को फिर से उठाने से पहले स्नान करना जरूरी होता है।
  • यात्रा के दौरान तामसिक भोजन न करें और न ही नशे वाली चीजों का इस्तेमाल करें।
  • कांवड़ या कलश पर पैर नहीं लगने चाहिए। इससे वह अशुद्ध हो जाती है।
  • कांवड़ यात्रा से ढोकर लाए जल से सबसे पहले शिवलिंग का जलाभिषेक करें। शिवलिंग के बाद देवी पार्वती, गणेश जी और हनुमान को जल अर्पित करें।
  • कांवड़ यात्रा हमेशा समूह में करनी चाहिए।
  • आज के समय में कई लोग कांवड़ यात्रा के दौरान तस्वीर व वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर दिखावा करते हैं, जो कि गलत है। यह एक धार्मिक यात्रा है, जिस दौरान दिखावा करने से बचना चाहिए।
  • यात्रा के दौरान इलेक्ट्रॉनिक आइटम का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। हालांकि संकट से बचने के लिए आप अपने साथ फोन रख सकते हैं, लेकिन बार-बार उसका इस्तेमाल न करें और न ही कोई गलत चीज उसमें देखें।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Jul 04, 2025 10:04 AM

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