Kaalchakra Today: शुक्र और शनि दोनों ही प्रभावशाली ग्रह हैं, जिनकी तय समय में जगह बदलती है। शुक्र को जहां धन, वैभव, प्रेम, सुंदरता और भौतिक सुख का दाता माना जाता है, वहीं शनि देव दुख, बीमारी, मोक्ष और संघर्ष के दाता हैं। जब भी ये दोनों ग्रह साथ में किसी राशि में मौजूद होते हैं तो उसका शुभ और अशुभ दोनों तरह का प्रभाव लोगों की जिंदगी पर पड़ता है।
आज के कालचक्र में प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ पंडित सुरेश पांडेय आपको बताने जा रहे हैं कि कुंडली के किस भाव में शुक्र-शनि की युति बनने से राशियों के जीवन में सकारात्मक व नकारात्मक बदलाव आते हैं।
कब शुक्र-शनि की युति देती है शुभ फल?
जिन लोगों की जन्म कुंडली के दूसरे, तीसरे, पांचवें और छठे भाव में शुक्र-शनि की युति बनती है, उनसे उन्हें शुभ फल मिलता है।
दूसरे भाव-
- व्यक्ति का समाज में नाम बढ़ता है।
- करियर में फायदा होता है।
- व्यापार में मुनाफा बढ़ता है।
- मकान, कार और पैतृक संपत्ति आदि का सुख मिलता है।
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तीसरा भाव-
- पिता से आर्थिक लाभ होता है।
- मेहनत का पूरा फल मिलता है।
- रिश्तेदारों से संबंध मजबूत होते हैं।
- ससुराल वालों के साथ चल रहा झगड़ा सुलझ जाता है।
पांचवें भाव-
- उच्च शिक्षा प्राप्त होती है।
- 35 की आयु के बाद संघर्ष का फल मिलता है।
- संतान सुख मिलता है।
- क्रिएटिव फील्ड में सफलता मिलती है।
छठे भाव-
- विरोधियों पर सफलता प्राप्त होती है।
- अलग-अलग स्रोतों से धन लाभ होता है।
- कोर्ट में कोई मुकदमा चल रहा होता है तो उसमें सफलता मिलती है।
- पैतृक संपत्ति की प्राप्ति होती है।
यदि आप जानना चाहते हैं कि शुक्र-शनि की युति का कुंडली के किस भाव में बनना अशुभ फल देता है तो इसके लिए ऊपर दिए गए वीडियो को देखें।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।