Kaalchakra News24 Today, Pandit Suresh Pandey: सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ के व्रत का खास महत्व है। ये व्रत महिलाएं अपने पति के अच्छे स्वास्थ्य, लंबी आयु और खुशहाल दांपत्य जीवन के लिए रखती हैं। व्रत के दौरान माता करवा, मां पार्वती, भगवान शिव, गणेश जी और कार्तिकेय जी की पूजा की जाती है। ये व्रत शाम में चंद्रोदय होने के बाद च्रंद देवता की उपासना और उन्हें अर्घ्य देने के बाद पति के हाथ से पानी पीकर खोला जाता है। इस साल करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर, दिन रविवार को रखा जाएगा।
हालांकि ये व्रत काफी कठिन होता है, क्योंकि व्रत के दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन करना जरूरी होता है। नहीं तो पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है। आज के कालचक्र में पंडित सुरेश पांडेय आपको करवा चौथ व्रत से जुड़े अहम नियम और उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका यदि आप पालन करते हैं, तो आपको देवी-देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त हो सकती है।
इन बातों का जरूर रखें ध्यान
- करवा के बिना करवा चौथ की पूजा को अधूरा माना जाता है। मान्यता है कि करवा चौथ की पूजा में करवा में जल भरकर रखने से सब मंगल ही मंगल होता है। बता दें कि करवा मिट्टी का बर्तन होता है और उसमें भरा हुआ जल भगवान गणेश का प्रतिनिधित्व करता है। गणेश जी को जल तत्व का कारक माना जाता है, जबकि करवे में लगी हुई टूंटी गणेश जी की सूंड का प्रतीक है।
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- करवा चौथ की पूजा में आटे का दीपक जरूर जलाएं। आटे का दीपक शुद्ध और अन्न से निर्मित होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस शुभ दिन आटे का दीपक जलाने से प्रेम जीवन में आ रही परेशानियां दूर होती हैं। पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है और वैवाहिक जीवन सुखी रहता है। परिवार पर मां अन्नपूर्णा की कृपा बनी रहती है। हनुमान जी, मां दुर्गा, भोलेनाथ और भगवान विष्णु के मंदिर में आटे का दीपक जलाने से कर्ज से भी मुक्ति मिल सकती है।
- कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को चंद्रमा की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में खुशियों का वास होता है। जैसे चंद्रमा शीतल प्रदान करता है। ठीक वैसे ही उसके प्रभाव से रिश्तों में भी शीतलता बनी रहती है। इसलिए इस दिन व्रत का पारण करने से पहले चंद्र देव की पूजा जरूर करें।
- करवा चौथ को व्रत को अखंड सौभाग्य का कारक माना जाता है। करवा चौथ व्रत का आरंभ सुबह सास द्वारा दी गई सरगी को खाकर होता है, जिसे दक्षिण-पूर्व दिशा में बैठकर नहीं खाना चाहिए।
- करवा चौथ के दिन शाम में पूजा करते या कथा सुनते समय अपना मुख उत्तर या पूर्व दिशा में ही रखना चाहिए। करवा चौथ की रात चंद्रमा को अर्घ्य देते समय उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर खड़े होने का प्रयास करें। इस दिशा का संबंध चंद्र देव से है। माना जाता है कि यदि व्रत के दौरान आप इन नियमों का पालन करते हैं, तो आपको माता करवा, देवी पार्वती, भगवान शिव और चंद्र देव की विशेष कृपा प्राप्त होगी, जिनके आशीर्वाद से आपके वैवाहिक जीवन में सदा खुशियां बनी रहेंगी।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।