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Kaalchakra: चैत्र नवरात्रि में कैसे पाएं मां विंध्यवासिनी की कृपा? पंडित सुरेश पांडेय से जानें उपाय

चैत्र नवरात्रि में मां विंध्यवासिनी की पूजा करना शुभ माना जाता है। चलिए पंडित सुरेश पांडेय से जानते हैं मां विंध्यवासिनी की महिमा और उन्हें प्रसन्न करने के अचूक उपायों के बारे में।

Author Edited By : Nidhi Jain Updated: Apr 4, 2025 10:49
Kaalchakra Today News24
मां विंध्यवासिनी को कैसे करें प्रसन्न?

चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है, जो मां दुर्गा को समर्पित है। नवरात्रि में जो लोग व्रत रखते हैं और मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा करते हैं, उनके घर-परिवार में सदा खुशहाली बनी रहती है। साथ ही साधक को अपनी सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है। नवरात्रि में मां दुर्गा के साथ-साथ मां विंध्यवासिनी की पूजा करना भी शुभ माना जाता है।

मां विंध्यवासिनी विंध्याचल की अधिष्ठात्री देवी हैं, जिनका शक्तिपीठ उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में विंध्याचल पर्वत पर स्थित है। विंध्य क्षेत्र का त्रिकोण भी बहुत महत्वपूर्ण है। किसी अन्य पीठ में ऐसी त्रिकोण यात्रा का विधान नहीं है। त्रिकोण परिक्रमा 9 कि.मी. की है, जिससे साधक को विशेष लाभ होता है। आज के कालचक्र में पंडित सुरेश पांडेय आपको त्रिकोण परिक्रमा के महत्व के बारे में भी बताएंगे।

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मां विंध्यवासिनी की पूजा का महत्व

माना जाता है कि मां विंध्यवासिनी का शक्तिपीठ, एक ऐसा स्थान है जिसे मां ने खुद अपने जन्म के बाद चुना है। यहां आदिशक्ति देवी अपने पूर्ण रूप में मौजूद हैं, जहां भक्तों को देवी के पूरे विग्रह के दर्शन होते हैं। विंध्याचल में ही मां सत, रज और तम तीनों गुणों के साथ स्थापित हैं। कहा जाता है कि विंध्याचल का अस्तित्व सृष्टि आरंभ होने से पहले भी रहा है और सृष्टि समाप्न होने के बाद भी रहेगा। ये एक ऐसा सिद्ध पीठ है, जहां मां अपनी दस अन्य शक्तियों के साथ विद्यमान हैं। इसलिए इसे 10 महाविद्या का प्रधान केंद्र भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ब्रह्मा, विष्णु और महेश भी मां विंध्यवासिनी की उपासना करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां विंध्यवासिनी और विंध्य क्षेत्र के त्रिकोण की नंगे पैर परिक्रमा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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त्रिकोण परिक्रमा का महत्व

  • 1 बार त्रिकोण परिक्रमा करने से रोग और शोक से मुक्ति मिलती है। साथ ही मां विंध्यवासिनी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • 9 बार परिक्रमा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है पर एक दिन में केवल एक ही परिक्रमा करनी चाहिए। परिक्रमा करते समय दंपत्ति एक-दूसरे से बात न करें और निरंतर ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नम:’ मंत्र का जाप करें। 5 नवरात्रि यदि आप ये उपाय करते हैं, तो आपको जल्द ही खुशखबरी सुनने को मिल सकती है।
  • कर्ज से परेशान व्यक्ति को नवार्ण मंत्र का जाप करते हुए 7 परिक्रमा करनी चाहिए।
  • 108 बार त्रिकोण परिक्रमा करने से व्यक्ति मां विंध्यवासिनी की कृपा का विशेष पात्र बन जाता है। ऐसे में व्यक्ति को मां स्वयं दर्शन देती हैं।

यदि आप मां विंध्यवासिनी को प्रसन्न करने वाले अन्य उपायों के बारे में जानना चाहते हैं, तो इसके लिए ऊपर दिए गए वीडियो को देख सकते हैं। 

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Edited By

Nidhi Jain

First published on: Apr 04, 2025 10:49 AM

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