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Guru Ast: 9 जुलाई तक नहीं होंगे वैवाहिक और मांगलिक कार्य, जानें क्या है गुरु तारा का अस्त होना

Guru Ast: गुरु तारा अस्त होना ज्योतिष और हिंदू धर्म में अशुभ माना जाता है। 12 जून 2025 से 9 जुलाई 2025 तक बृहस्पति ग्रह के अस्त रहने के दौरान शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। इस अवधि में मांगलिक गतिविधियों पर धार्मिक रूप से रोक लग जाती है। आइए जानते हैं, गुरु तारा का अस्त होना क्या है, शुभ कार्यों पर रोक क्यों लग जाती लग जाती है और कौन-कौन से शुभ कार्य नहीं करने चाहिए?

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Shyamnandan Updated: Jun 14, 2025 19:49
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Guru Ast: बृहस्पति ग्रह का अस्त होना ज्योतिष और हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। इसे गुरु तारा अस्त होना भी कहते हैं, जिसे धार्मिक, सामाजिक और वैवाहिक दृष्टिकोण से विशेष रूप से देखा जाता है। द्रिक पंचांग के अनुसार, बृहस्पतिवार 12 जून, 2025 को 07:56 PM बजे से गुरु तारा अस्त हो चुके हैं।

अब गुरु का उदय बुधवार 9 जुलाई, 2025 की सुबह में 04:44 AM बजे होगा। गुरु ग्रह कुल 27 दिनों के लिए अस्त रहेंगे। हिन्दू धर्म की प्रचलित मान्यताओं और रिवाजों के अनुसार, इस अवधि में सभी शुभ और मांगलिक कार्य बंद रहेंगे। आइए जानते हैं, गुरु तारा का अस्त होना क्या है? गुरु के अस्त होने पर शुभ कार्यों पर रोक क्यों लग जाती लग जाती है और इस अवधि में कौन-कौन से शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है?

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गुरु तारा का अस्त होना क्या है?

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जब जब गुरु ग्रह सूर्य के समीप आ जाते हैं, तो वे सूर्य के प्रखर तेज के सामने फीके हो जाते हैं। इससे वे अपनी स्वाभाविक तेज खो देते हैं। गुरु ग्रह की चमक सूर्य के प्रकाश में खो जाने के कारण वे लगभग अदृश्य हो जाते हैं। इस खगोलीय घटना को गुरु ग्रह का अस्त होना या गुरु ग्रह का विलोपित या लोप हो जाना भी कहते हैं। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, यह घटना तब घटित होती है, जब गुरु ग्रह अपने परिक्रमा पथ पर सूर्य के 10 डिग्री तक पहुंच जाते हैं।

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इस दूरी पर पहुंचने के बाद गुरु निस्तेज होने लगते हैं। जब तक गुरु ग्रह सूर्य से 10 डिग्री से दूर नहीं हो जाते हैं, तब तक गुरु को अस्त माना जाता है। इसे ‘गुरु अस्त’ या ‘बृहस्पति तारा अस्त’ कहा जाता है। इस दौरान ऐसा माना जाता है कि बृहस्पति की शुभ और सकारात्मक ऊर्जा पृथ्वी पर नहीं पहुंचती, जिससे शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है।

हिंदू धर्म में गुरु तारा अस्त का महत्व

बृहस्पति ग्रह को धर्म, ज्ञान, विवाह, संतान, गुरु, शिक्षा और शुभ कार्यों का कारक माना गया है। जब यह ग्रह अस्त होता है, तो इसे धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए अशुभ काल माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, बृहस्पति के अस्त काल में किए गए मांगलिक कार्य बाधित होते हैं या उनमें सफलता नहीं मिलती।

गुरु तारा अस्त में नहीं होते हैं ये काम

गुरु बृहस्पति का हिन्दू धर्म और ज्योतिष शास्त्र में विशेष महत्व है। वे पीली रंग का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो शुभता को प्रतीक है। जब गुरु तारा अस्त होते हैं, तो ये काम नहीं किए जाते हैं:

  • वैवाहिक कार्यक्रम: जैसे शादी, सगाई, रोका, वरमाला, द्विरागमन आदि।
  • गृह संबंधी मांगलिक कार्य: जैसे गृह प्रवेश, भूमि पूजन, निर्माण कार्य की शुरुआत, वास्तु पूजन आदि।
  • सामाजिक शुभ संस्कार: जैसे मुंडन, नामकरण, अन्नप्राशन, उपनयन संस्कार (जनेऊ) आदि।
  • अन्य धार्मिक और शुभ कार्य: जैसे नया व्यापार शुरू करना, वाहन या संपत्ति खरीदना-बेचना, दुकान का उद्घाटन, नई योजना या प्रोजेक्ट का शुभारंभ आदि।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Jun 13, 2025 10:15 PM

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