Holika Dahan Timing: बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व होलिका दहन रंग वाली होली से एक दिन पहले मनाई जाती है। दहन का अनुष्ठान प्रायः सूर्य ढलने के बाद रात में किया जाता है। पंचांग और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, होलिका दहन सूर्यास्त के पश्चात प्रदोष के समय, जब पूर्णिमा तिथि व्याप्त हो, करना चाहिए। भद्रा, जो पूर्णिमा तिथि के पूर्वाद्ध में व्याप्त होती है, के समय होलिका पूजा और होलिका दहन नहीं करना चाहिये। बता दें कि भद्रा सभी शुभ कार्य में वर्जित अवधि है।
साल 2025 में होलिका दहन पर भद्रा की अशुभ साया मंडरा रही है। इस काल में कोई भी शुभ काम जैसे पूजा-पाठ, हवन, जप आदि नहीं किया जाता है। इस दौरान सभी शुभ कार्यों पर रोक लग जाता है। इसलिए होलिका दहन की अग्नि प्रज्वलित करने से पहले सही समय जान लेना जरूरी हैं, क्योंकि होलिका दहन कभी भी भद्रा रहित मुहूर्त में करना चाहिए। आइए जानते हैं, इस दिन भद्रा कब से कब तक है और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या है?
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13 घंटे तक रहेगा भद्रा का साया
13 मार्च, 2025 को पूर्णिमा तिथि सुबह 10:36 बजे शुरू होगी, जो अगले दिन दोपहर 12:15 बजे तक रहेगी। लेकिन इस दिन पूर्णिमा का मान तीन प्रहर से कम होगा इसलिए होलिका दहन 13 मार्च को ही करना बेहतर है। वहीं, इस समय में लगभग 13 घंटे तक भद्रा काल व्याप्त रहेगा। पंचांग के अनसार, भद्रा काल 13 मार्च को सुबह में 10:36 AM से रात्रि 11:27 PM बजे तक रहेगी।
ये होलिका दहन का ‘सही मुहूर्त’ और योग
रिवाज के अनुसार, हिन्दू धर्म में होलिका दहन भद्रा काल समाप्त होने के बाद किया जाता है। चूंकि भद्रा की अवधि 11:27 PM बजे तक है, इसलिए इसके बाद रात में 11:28 PM बजे से होलिका दहन का अनुष्ठान आरंभ किया जा सकता है। पंचांग के अनुसार, इस बार होलिका दहन मुहूर्त की अवधि मात्र 47 मिनट की ही रहेगी और यह मध्य रात्रि 12:15 AM बजे तक मान्य है। इस दौरान होलिका पूजन और संबंधित अनुष्ठान संपन्न कर लेने चाहिए।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।