Holika Dahan: होली का त्योहार रंगों, खुशियों और परंपराओं से भरा होता है, लेकिन इससे एक दिन पहले होने वाला होलिका दहन एक गहरी आस्था और विश्वास से जुड़ा होता है। यह सिर्फ लकड़ियों और उपलों को जलाने की परंपरा नहीं, बल्कि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। जब आग की लपटें उठती हैं, तो ऐसा लगता है जैसे सारी नकारात्मकता जलकर राख हो रही हो। खासतौर पर जब गाय के गोबर के उपले होलिका में डाले जाते हैं, तो मान्यता है कि इससे नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
होलिका दहन में उपले जलाने की परंपरा
होलिका दहन हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जिसे बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान कई चीजों की आहुति दी जाती है, जिनमें गाय के गोबर से बने उपले भी शामिल होते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, गाय को पूजनीय माना जाता है और उसके गोबर को पवित्रता का प्रतीक समझा जाता है। यही कारण है कि होलिका दहन में उपले जलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। कहा जाता है कि इससे वातावरण शुद्ध होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
होलिका दहन में क्यों जलाए जाते हैं गोबर के उपले:
जानें महत्व🔥होलिका दहन में मुख्य रूप से गोबर से बड़कुल्ले बनाए जाते हैं। इसके लिए गोबर के छोटे-छोटे गोले बनाकर उसमें बीच से छेद करके धूप में सुखाया जाता है और इसकी माला को होलिका की अग्नि में जलाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि… pic.twitter.com/zF9l5pDt2M
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वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व
होलिका दहन में गोबर के उपले जलाने के पीछे वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों कारण हैं। मान्यता है कि जब गोबर के उपले जलाए जाते हैं तो उससे निकलने वाला धुआं वातावरण की शुद्धि करता है और हानिकारक कीटाणुओं को नष्ट करता है। यही कारण है कि यज्ञ और हवन में भी गाय के गोबर का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा कई परिवारों में यह परंपरा है कि वे होलिका की अग्नि में सूखा नारियल, अक्षत (चावल) और ताजे फूल भी चढ़ाते हैं, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
नजर दोष से बचाव की मान्यता
गोबर के उपले जलाने से जुड़े एक और विशेष रीति-रिवाज की बात करें तो कई स्थानों पर महिलाएं उपलों की माला बनाकर अपने बच्चों और भाइयों के सिर से घुमाकर होलिका में चढ़ा देती हैं। मान्यता है कि इससे नजर दोष से मुक्ति मिलती है और परिवार पर कोई बुरी शक्ति असर नहीं डालती। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि होली पर जलाए गए उपले घर की हर समस्या का समाधान करने में सहायक होते हैं। यही वजह है कि इसे सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि पारंपरिक और वैज्ञानिक आधार पर भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
सुख-समृद्धि और शुद्ध वातावरण
होलिका दहन के समय गाय के गोबर के उपले जलाने से घर-परिवार की बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि बढ़ती है। इससे निकलने वाला धुआं नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है और सकारात्मकता लाता है। साथ ही यह वातावरण को शुद्ध करने में मदद करता है, जिससे कई प्रकार की बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है। यही कारण है कि आज भी कई लोग इस परंपरा का पालन करते हैं और इसे अपने जीवन में शुभ मानते हैं। होलिका दहन न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह हमारे जीवन को शुद्ध, सुरक्षित और खुशहाल बनाने की एक परंपरा भी है।