Hanuman Puja 2025: भारत के कई हिस्सों, खासकर गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और कुछ दक्षिण भारतीय राज्यों में, दीवाली से एक दिन पहले हनुमान जी की पूजा करने की परंपरा है। हालांकि, यह पूजा उत्तर भारत के कुछ स्थानों पर भी होती है, लेकिन यह इतना चलन में नहीं है। यह दिन नरक चतुर्दशी या काली चौदस के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन नकारात्मक ऊर्जा अपने चरम पर होती है, और इन्हीं से रक्षा के लिए हनुमान जी की पूजा की जाती है।
प्रेत शक्तियों से रक्षा
मान्यता है कि काली चौदस की रात को प्रेत आत्माएं, भूत-प्रेत, टोटका, जादू-टोना आदि शक्तियां अधिक सक्रिय होती हैं। आपको बता दें कि काली चौदस को भूत चतुर्दशी भी कहते हैं। ऐसे में हनुमान जी, जो कि अष्टसिद्धियों और नव निधियों के स्वामी, और भूत-प्रेत नाशक कहे जाते हैं, उनकी पूजा करने से सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। इस दिन विशेष रूप से हनुमान चालीसा का पाठ, दीप जलाकर पूजा, और ‘ॐ हनुमते नमः’ मंत्र का जप किया जाता है।
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रामभक्त हनुमान को पहला पूजन क्यों?
एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान श्रीराम 14 वर्षों का वनवास समाप्त कर अयोध्या लौटे, तो दीपावली का उत्सव मनाया गया। श्रीराम ने हनुमान जी की भक्ति और सेवा से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया कि ‘जहां भी मेरी पूजा होगी, उससे पहले तुम्हारा पूजन होगा।’ इसलिए, दीपावली से ठीक एक दिन पहले हनुमान पूजा की जाती है।
अयोध्या में हनुमान जन्मोत्सव
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अयोध्या के प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मंदिर में इस दिन को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। हजारों श्रद्धालु यहाँ एकत्र होकर हनुमान जी की पूजा करते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं, और विशेष प्रसाद चढ़ाते हैं।
हनुमान पूजा से लाभ
हनुमान पूजा करने से अनेक आध्यात्मिक और मानसिक लाभ प्राप्त होते हैं। यह पूजा व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जा, बुरी शक्तियों और अज्ञात भय से सुरक्षा प्रदान करती है। हनुमान जी की आराधना से आत्मबल, साहस और आत्मविश्वास में उल्लेखनीय वृद्धि होती है, जिससे व्यक्ति जीवन की चुनौतियों का सामना निर्भय होकर कर पाता है। हनुमान जी की कृपा से जीवन में संकटमोचन शक्ति का संचार होता है, जो हर विपत्ति में सहारा बनती है और व्यक्ति को सही मार्ग पर अग्रसर करती है।
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