Gupt Navratri 2025: माघ गुप्त नवरात्रि साल में मनाई जाने वाली चार नवरात्रियों में से एक है, लेकिन इसका अपना एक विशेष और अलग महत्व है। इसे ‘गुप्त’ नवरात्रि इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इस दौरान देवी दुर्गा के 10 तांत्रिक स्वरूपों की उपासना गुप्त रूप से की जाती है। देवी दुर्गा के 10 तांत्रिक स्वरूपों को ‘दश महाविद्या’ कहा जाता है। माघ गुप्त नवरात्रि के दौरान साधक देवी मां की इन 10 शक्तियों का आह्वान कर अपनी साधना को सिद्ध करते हैं। मान्यता है कि माघ गुप्त नवरात्रि में देवी मां की शक्ति जागृत होती है। इस दौरान की गई साधना से व्यक्ति में शक्ति, साहस और आत्मविश्वास का विकास होता है और मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं।
कब से कब तक है माघ गुप्त नवरात्रि
माघ गुप्त नवरात्रि विशेष रूप से गुप्त साधना, तंत्र विद्या और आध्यात्मिक सिद्धियों के लिए जानी जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से माघ गुप्त नवरात्रि शुरू होती हैं और नवमी तिथि को समाप्त होती हैं। इस साल माघ गुप्त नवरात्रि 30 जनवरी, 2025 से प्रारंभ होकर 7 फरवरी, 2025 को संपन्न होगी।
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इन 10 महाविद्याओं की होती है पूजा
माघ गुप्त नवरात्रि अक्सर वही लोग करते हैं, जिनकी कुछ मन्नतें होती हैं या जिनकी मनोकामनाएं पूरी हो गई होती हैं या फिर कोई साधना सिद्ध करनी होती है। यह आम जनता का त्योहार नहीं है। इस नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की पूजा होती है। ये 10 महाविद्याएं हैं: मां काली, मां तारा, मां षोडशी, मां भुवनेश्वरी, मां त्रिपुरभैरवी, मां छिन्नमस्तिका, मां धूमावती, मां बगलामुखी और मां मातङ्गी। कहते हैं कि इन सभी देवियों की पूजा तांत्रिक विधान से अलग-अलग उद्देश्य की प्राप्ति के लिए की जाती है।
माघ गुप्त नवरात्रि घट स्थापना मुहूर्त
हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, माघ गुप्त नवरात्रि का आरंभ इस महीने की प्रतिपदा तिथि को घट स्थापना या कलश स्थापना से आरंभ होती है। सनातन पंचांग के अनुसार, प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ बुधवार जनवरी 29, 2025 को 06:05 PM से हो रही है और इस तिथि का समापन गुरुवार जनवरी 30, 2025 को 04:10 PM बजे होगा। इसकी घट स्थापना 30 जनवरी को होगी, जिसका शुभ मुहूर्त सुबह में 09:25 AM से 10:46 AM तक है। वहीं अभिजित मुहूर्त 12:13 PM से 12:56 PM के दौरान भी कलश स्थापना किया जा सकता है।
इसलिए खास है माघ गुप्त नवरात्रि
माघ गुप्त नवरात्रि की उपासना अन्य नवरात्रियों से अलग होती है। इस दौरान पूजा गुप्त रूप से की जाती है, यानी इसे बहुत कम लोगों के सामने या अकेले में किया जाता है। माघ गुप्त नवरात्रि में तंत्र साधना के लिए कई विशेष मंत्रों और यंत्रों का उपयोग किया जाता है। यह साधना अत्यंत गहन होती है और इसे केवल अनुभवी साधक ही कर सकते हैं। मान्यता के अनुसार, इस नवरात्रि में देवी मां की शक्ति का जागरण होता है, जो व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है। इस दौरान शक्तिपीठों पर जाकर पूजा करना भी विशेष महत्व रखता है। कहते हैं, उद्देश्यों और लक्ष्यों की पूर्ति के लिए साधक गुप्त बलि भी देते हैं।
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