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Zodiac Signs: इन 4 राशियों पर बरसती है शनिदेव की कृपा, संघर्षों से जीतकर पाते हैं अपार धन, सम्मान और शोहरत!

Zodiac Signs: शनि ग्रह मनुष्यों को उसके कर्म के अनुसार अच्छा या बुरा फल देने के स्वामी हैं। उन्हें ग्रहों में न्यायाधीश की पदवी दी गई है। कहते हैं, जिस ग्रह पर शनि की कृपा बरसती है, उसे कंगाल से करोड़पति बनते देर नहीं लगती है। आइए जानते हैं, शनिदेव की प्रिय 4 राशियां कौन-सी हैं?

Edited By : Shyam Nandan | Nov 16, 2024 17:05
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Zodiac Signs: वैदिक ज्योतिष की गणितीय गणना के अनुसार कुल 139 दिनों तक वक्री रहने के बाद शनि ग्रह 15 नवंबर से मार्गी हो गए हैं। शनि ग्रह के वक्री होकर उल्टी चाल का देश-दुनिया पर अक्सर नेगेटिव असर होता है, क्योंकि वक्री शनि ग्रह कठिनाइयों और चुनौतियों को बढ़ा देते हैं। अब शनि के मार्गी होकर सीधी चाल चलने से सभी राशियों के जातकों को उनके कर्म के अनुसार सही फल मिलने का समय शुरू हो चुका है।

ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह एक बेहद महत्वपूर्ण ग्रह हैं, जिन्हें न्याय का देवता भी कहा गया है, क्योंकि शनि व्यक्ति के कर्मों के अनुसार शुभ या अशुभ फल देते हैं। शनि ग्रह एक धीमी गति से चलने वाले ग्रह हैं। इसलिए इनका प्रभाव लंबे समय तक रहता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, 4 राशियों पर शनिदेव की ख़ास कृपा रहती है। आइए जानते हैं, ये 4 भाग्यशाली राशियां कौन-सी हैं?

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वृषभ राशि

वृषभ राशिचक्र की दूसरी राशि है, जो पृथ्वी तत्व से जुड़ी है। इसके स्वामी ग्रह शुक्र हैं, जो शनि के मित्र ग्रह हैं। यही कारण है कि इन राशि के जातकों पर शनिदेव का विशेष अनुग्रह रहता है। शुक्र के प्रभाव से ये लोग शारीरिक रूप से शक्तिशाली, सुंदर और ऊर्जावान होते हैं। वहीं शनि कृपा से इस राशि के व्यक्ति दृढ़ निश्चयी, स्थिर और जमीन से जुड़े होते हैं।

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कहते हैं, शुरुआत में ये लोग बहुत संघर्ष कर आगे बढ़ते हैं। इनकी प्रतिभा को दबा पाना असंभव होता है। शनि की मेहरबानी से एक बार जब ये लोग जीत हासिल करते हैं, जीवन में फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखते हैं। इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और महान साहित्यकार विलियम शेक्सपियर, फुटबॉल प्लेयर डेविड बेकहम और क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर इसी राशि की विश्व प्रसिद्ध पर्सनालिटी हैं।

तुला राशि

तुला राशि के स्वामी शुक्र हैं। इस राशि में शनि ग्रह उच्च के हो जाते हैं, लिहाजा यह राशि शनिदेव को बेहद प्रिय है। इस राशि के जातकों में सौंदर्य और ऐश्वर्य से भरी सुरुचिपूर्ण जीवन जीने की ललक होती है। शुक्र और सही दोनों की मेहरबानी से उनकी यह इच्छा पूरी भी होती है।

तुला राशिचक्र की 7वीं राशि है, जो वायु तत्व से संबंधित है। शुक्र की कृपा से तुला राशि के जातक मेहनती, मिलनसार, रचनात्मक और कलात्मक होते हैं। वहीं, शनि की कृपा से वे किसी भी काम को एक व्यवस्था के तहत करना विशेष पसंद करते हैं। इस राशि के लोग जज, एडवोकेट, लीगल एक्सपर्ट, कलाकार, संगीतकार, लेखक आदि बनकर काफी शोहरत और धन अर्जित करते हैं।

मकर राशि

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, मकर राशिचक्र की 10वीं राशि है। पृथ्वी तत्व से संबंधित होने कारण मकर राशि के व्यक्ति स्वभाव से स्थिर और मेहनती होते हैं। मकर राशि के स्वामी ग्रह स्वयं शनिदेव हैं। शनि कृपा से कुंभ राशि वाले काम की डिटेलिंग को समझने के कारण वे हर काम को नफासत से करते हैं। साथ ही यह भी देखा गया है कि इस राशि के व्यक्ति टीम वर्क में भी बेहतरीन होते हैं।

इस राशि के जातक साहसी, मेहनती और महत्वाकांक्षी होते हैं। साथ ही ये जमीन से जुड़े और वफादार भी होते हैं। इनमें लीडरशिप के भी गुण होते हैं, इसलिए ये सेना और पुलिस की जॉब में काफी अच्छे होते हैं। यह देखा गया है कि जब शनि की इन पर कृपा बरसती है, मकर राशि के लोग कंगाल से भी करोड़पति बन जाते हैं।

कुंभ राशि

राशिचक्र की 11वीं राशि कुंभ में जन्मे व्यक्तियों पर शनिदेव की बहुत अधिक कृपा रहती है, क्योंकि यह उनकी मूल त्रिकोण राशि है। सभी 12 राशियों में यह वायु तत्व की तीसरी और अंतिम राशि है। शनि के प्रभाव से इस राशि के जातक स्थिर, आत्मनिर्भर, मेहनती, सामाजिक सरोकार रखने वाले और विचारशील होते हैं।

कुंभ राशि के व्यक्ति अनुशासित होने के साथ-साथ ये समय की जरूरत को देखते हुए वे ढल जाने में भी यकीन रखते हैं। यह देखा गया है कि ये लोग साइंस, टेक्नोलॉजी इनोवेशन के साथ-साथ सामाजिक सरोकार वाले काम में आगे होते हैं। इन क्षेत्रों में ये खूब नाम और धन कमाते हैं।

लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि शनिदेव इन राशियों के जातकों को उनके गलत कर्म का दंड नहीं देते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि तब ये तीनों राशियां के भगवान शनि की प्रिय होने से क्या लाभ है? इन 3 राशियों पर शनिदेव के मेहरबानी होने से इन राशियों के जातक गलत और बुरे आचरण में लिप्त नहीं हो पाते हैं। शनिदेव किसी न किसी तरह से इन्हें कुकर्म में लिप्त होने से बचा लेते हैं। बता दें कि कर्म के फल को भोगने से देवता भी नहीं बच सकते हैं, तो मनुष्यों की बिसात ही क्या है!

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Written By

Shyam Nandan

First published on: Nov 16, 2024 05:05 PM

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