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Daslakshan Parv: दिगंबर जैन अनुयायियों के दशलक्षण पर्व शुरू, जानें पर्यूषण पर्व के 10 दिनों का महत्व

Daslakshan Parv 2025: दिगंबर जैन अनुयायियों के सबसे बड़े महापर्व पर्यूषण का आरंभ हो गया है, जिसका उत्सव 10 दिनों तक चलेगा। इस दौरान लोग ज्यादातर समय पूजा-पाठ करते हैं और कठिन नियमों का पालन करते हैं। आइए जानते हैं आत्म-शुद्धि और तपस्या के इस महापर्व के महत्व के बारे में।

Author Written By: Nidhi Jain Author Published By : Nidhi Jain Updated: Aug 29, 2025 09:51
Daslakshan Parv 2025
Credit- Social Media

Daslakshan Parv 2025: जैन धर्म के लोगों के लिए दशलक्षण पर्व का खास महत्व है, जिसे क्षमावाणी पर्व, संवत्सरी और पर्यूषण पर्व के नाम से जाना जाता है। सबसे पहले श्वेतांबर जैन समाज के अनुयायी इस पर्व को 8 दिनों तक मनाते हैं, जिसके बाद दिगंबर जैन समाज में पर्यूषण पर्व की शुरुआत होती है। हर साल भाद्रपद महीने में ये पर्व मनाया जाता है। साल 2025 में दिगंबर जैन अनुयायियों के दशलक्षण पर्व का आरंभ 28 अगस्त से हो गया है, जिसका समापन 6 सितंबर को अनंत चौदस के दिन होगा।

ये पर्व भक्तों को भगवान महावीर के मूल सिद्धांत ‘अहिंसा परमो धर्म’ पर चलना सिखाता है। इन 10 दिनों के दौरान दिगंबर जैन अनुयायी त्याग और संयम के साथ शारीरिक और मानसिक तप से आत्मा को शुद्ध करने का प्रयास करते हैं। माना जाता है कि इससे पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। दशलक्षण पर्व के 10 दिनों का अपना महत्व है, जिस दौरान पूजा-पाठ के अलावा विभिन्न नियमों का पालन करना होता है। आइए जानते हैं पर्यूषण पर्व के 10 दिनों के धार्मिक महत्व के बारे में।

प्रथम दिन- उत्तम क्षमा

पर्यूषण पर्व के पहले दिन जैन अनुयायी क्षमा यानी माफ करने के गुणों का चिंतन करते हैं।

दूसरे दिन- उत्तम मार्दव

दूसरे दिन व्यवहार में नम्रता व सरलता लाने का प्रयास करते हैं।

तीसरे दिन- उत्तम आर्जव

पर्यूषण पर्व के तीसरे दिन भावों की शुद्धता पर ध्यान दिया जाता है।

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चौथे दिन- उत्तम शौच

इस दिन मन में किसी भी तरह का लोभ न आए, इसका चिंतन किया जाता है।

पांचवें दिन- उत्तम सत्य

पांचवें दिन सत्य की राह पर चलने का प्रयास किया जाता है। साथ ही जीवन में इसे अपनाने का संकल्प लिया जाता है।

छठे दिन- उत्तम संयम

पर्यूषण पर्व के छठे दिन मन, वचन और शरीर पर काबू कैसे किया जाए, इसका चिंतन किया जाता है।

सातवें दिन- उत्तम तप

मन में उत्पन्न होने वाले गलत विचारों को दूर करने के लिए सातवें दिन तपस्या की जाती है।

आठवें दिन- उत्तम त्याग

आठवें दिन आत्म-शुद्धि के लिए क्रोध, माया और लोभ का त्याग करने का प्रयास किया जाता है।

नौवें दिन- उत्तम आकिंचन

इस दिन किसी भी चीज से मोह न करना, बल्कि धन-संपत्ति के बंधनों से मुक्त करके खुद को धर्म की राह पर ले जाने के लिए प्रेरित किया जाता है।

दसवें दिन- ब्रह्मचर्य

पर्यूषण पर्व के दसवें दिन सद्गुणों का अभ्यास करके खुद को हर परिस्थिति में पवित्र रखने पर चिंतन किया जाता है। साथ ही इस दिन क्षमावाणी का पर्व मनाया जाता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Aug 28, 2025 11:43 AM

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