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Religion

जानिए क्या है मंजुनाथेश्वर मंदिर विवाद, क्यों हो रही जांच?

कर्नाटक का प्रसिद्ध धर्मस्थल मंजुनाथेश्वर मंदिर सदियों से सेवा और समाज कल्याण का केंद्र रहा है। गरीबों को कर्ज से मुक्त करने, नशामुक्ति, मुफ्त इलाज और शिक्षा जैसे कार्यों से लाखों लोगों की जिंदगी बदली है। लेकिन हाल ही में एक अप्रमाणित आरोप ने इसकी छवि पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिससे यह विवादों में आ गया है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Mohit Tiwari Updated: Aug 14, 2025 22:17
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कर्नाटक का प्रसिद्ध धर्मस्थल मंजुनाथेश्वर मंदिर सिर्फ पूजा और भक्ति का केंद्र नहीं है, बल्कि यह पिछले कई दशकों से समाज की भलाई के लिए बड़े पैमाने पर काम करता आ रहा है। यहां रोजाना हजारों लोगों को भोजन कराया जाता है, गरीब परिवारों को कर्ज से मुक्त किया जाता है, शराब की लत से छुटकारा दिलाया जाता है, युवाओं को शिक्षा दी जाती है और ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर बढ़ाए जाते हैं।

हाल के दिनों में यह मंदिर एक विवाद में घिर गया है। सोशल मीडिया पर एक आरोप तेजी से फैल रहा है। यह आरोप अभी तक साबित नहीं हुआ है, न ही इसकी पूरी तरह जांच हुई है, लेकिन फिर भी इसने मंदिर की सालों से बनी छवि पर असर डालना शुरू कर दिया है।

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क्या है विवाद?

कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में स्थित प्रसिद्ध श्री धर्मस्थल मंजुनाथेश्वर मंदिर हाल ही में गंभीर विवाद में घिर गया है। मामला तब सामने आया जब मंदिर में लंबे समय तक काम कर चुके एक पूर्व सफाई कर्मचारी ने सनसनीखेज दावा किया कि 1995 से 2014 के बीच मंदिर परिसर में बड़ी संख्या में शवों को गुप्त तरीके से दफनाया गया। आरोप के मुताबिक, उसे मंदिर प्रशासन के आदेश पर महिलाओं और बच्चों के शव दफनाने या जलाने के लिए मजबूर किया जाता था। पूर्व कर्मचारी का यह भी कहना है कि कई शवों पर यौन शोषण, गला घोंटने और हिंसा के निशान मौजूद थे।

इस गंभीर आरोप के बाद कर्नाटक सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। राज्य के गृह मंत्री और बीजेपी नेता आर. अशोक ने बयान जारी कर कहा कि अब तक ये दावे अपुष्ट हैं और किसी भी धार्मिक संस्था की प्रतिष्ठा को अफवाहों या गलत सूचनाओं के आधार पर नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। बीजेपी का आरोप है कि यह विवाद मंदिर और तीर्थस्थल की छवि को खराब करने की सुनियोजित कोशिश हो सकता है।

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800 साल पुराना है मंदिर

श्री धर्मस्थल मंजुनाथेश्वर मंदिर करीब 800 साल पुराना है और इसकी एक खासियत यह है कि यहां पूजा वैष्णव परंपरा के हिंदू पुजारियों द्वारा कराई जाती है, जबकि मंदिर का प्रशासन जैन-बंट समुदाय के पेरगडे (Pergade) परिवार के हाथों में है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए भी प्रसिद्ध है।

विवाद की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने मामले में पारदर्शिता और निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया है। फिलहाल SIT जांच जारी है और रिपोर्ट आने के बाद ही यह तय हो सकेगा कि इन आरोपों में कितनी सच्चाई है। इस बीच, मंदिर और आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है, जबकि श्रद्धालुओं की आवाजाही सामान्य बनी हुई है।

मंदिर प्रशासन की तरफ से होते रहे हैं सेवा कार्य

मंदिर की सामाजिक शाखा श्री क्षेत्र धर्मस्थल ग्रामीण विकास परियोजना (SKDRDP) लाखों लोगों के जीवन में बदलाव ला चुकी है। पहले ग्रामीण इलाकों में लोग सूदखोरों से 60% या उससे ज्यादा ब्याज पर कर्ज लेते थे। SKDRDP ने इन्हें सिर्फ 12% वार्षिक ब्याज पर माइक्रोफाइनेंस लोन देना शुरू किया। इससे हजारों परिवार कर्ज के जाल से बाहर निकले।

इसी तरह, मंदिर ने जना जागृति वेदिके अभियान चलाकर 1.3 लाख से ज्यादा लोगों को शराब की लत से बाहर निकाला और ‘नवजीवी समितियां’ बनाई ताकि लोग दोबारा नशे में न फंसें।

स्वास्थ्य सेवाओं में भी मंदिर ने बड़ा योगदान दिया है। SDM मेडिकल ट्रस्ट के अस्पताल गरीबों को मुफ्त या सस्ते में इलाज देते हैं। मंदिर सामूहिक विवाह कराता है ताकि दहेज और जाति जैसी बाधाएं खत्म हों। 60 लाख से ज्यादा महिलाएं सेल्फ-हेल्प ग्रुप से जुड़कर खेती, छोटे कारोबार और शिक्षा के लिए लोन ले रही हैं। बुजुर्गों और असहाय लोगों के लिए ₹110 करोड़ की पेंशन दी गई है और डेयरी किसानों को ₹37.85 करोड़ की सहायता मिली है।

First published on: Aug 14, 2025 09:11 PM

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