Dev Deepawali Ki Katha: देव दीपावली का पर्व बहुत ही खास होता है. मान्यताओं के अनुसार, देव दीपावली पर देवता धरती पर दिवाली मनाने के लिए आते हैं. देव दीपावली की रात देवता काशी बनारस में उतरते हैं. इस दिन दीपदान करने और गंगा स्नान करने का खास महत्व है. देव दीपावली पर स्नान दान करने के साथ ही शाम के समय दीपक जलाने का महत्व होता है. आज दीपक जलाने का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में रहेगा. दीपक जलाने का शुभ समय आज शाम 5 बजकर 15 मिनट से लेकर रात को 7 बजकर 50 मिनट तक है. देव दीपावली पर आपको इसकी कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए.
देव दीपावली की कथा (Dev Deepawali Ki Katha)
एक शक्तिशाली राक्षस त्रिपुरासुर था जिसने ब्रह्मा जी की तपस्या कर अमरता का वरदान प्राप्त किया था. उसने वरदान में शर्त रखी थी कि, उसे केवल वहीं मार सकता है जो एक हजार सालों के बाद सभी ग्रह एक पंक्ति में आएं और वह एक ही बाण से मरे. ऐसे वरदान के कारण वह अमर हो गया था. त्रिपुरासुर तीनों लोकों पर अत्याचार कर रखा था.
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ऐसे में सभी परेशान होकर शिव जी की शरण में गए. उन्होंने देवता की प्रार्थना स्वीकार कर त्रिपुरासुर के वध का संकल्प लिया. शिव जी ने एक दिव्य रथ पर सवार होकर त्रिपुरासुर पर चढ़ाई की. इस रथ में पृथ्वी रथ, सूर्य-चंद्रमा पहिये, मेरु पर्वत धनुष और शेषनाग डोर थे. भगवान शिव ने एक बार में एक बाण से त्रिपुरासुर के तीनों नगर और त्रिपुरासुर का संहार किया.
भगवान शिव की इस विजय पर देवताओं ने खुशी मनाते हुए दीप प्रज्वलित करें. तभी से इस दिन दीपदान करने और देव दीपावली मनाने की शुरुआत हुई. कार्तिक पूर्णिमा पर महादेव की पूजा से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. आपको आज व्रत के दिन इस कथा को अवश्य सुनना या पढ़ना चाहिए.
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