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बुढ़वा मंगल आज, जानें क्यों खास है भाद्रपद माह का आखिरी मंगलवार?

Budhwa Mangal 2025: भाद्रपद माह के आखिरी मंगलवार को बुढ़वा मंगल का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान हनुमान का पूजन करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके साथ ही कई बुरी शक्तियों से भी निजात मिलता है। उत्तरभारत में यह पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल भाद्रपद माह का आखिरी मंगलवार 2 सितंबर 2025 को पड़ रहा है। आइए जानते हैं कि यह मंगलवार क्यों खास है?

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Mohit Tiwari Updated: Sep 2, 2025 00:05
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Budhwa Mangal 2025: भाद्रपद माह का आखिरी मंगलवार 2 सितंबर 2025 को पड़ रहा है। उत्तर भारत के कई हिस्सों में इस दिन को बुढ़वा मंगल के रूप में बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह पर्व भगवान हनुमान के वृद्ध रूप को समर्पित है और इसे बूढ़े मंगल या बड़े मंगल के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान हनुमान ने महाबली भीम का घमंड तोड़ा था। इस कारण यह मंगलवार बेहद ही खास माना जाता है। इस दिन भगवान हनुमान जी का पूजन करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती है। इसके साथ ही जीवन की सभी प्रकार की बाधाओं का अंत हो जाता है।

क्यों खास है बुढ़वा मंगल?

बुढ़वा मंगल भाद्रपद माह के अंतिम मंगलवार को मनाया जाता है। इस दिन भगवान हनुमान के बूढ़े स्वरूप की पूजा की जाती है। यह दिन उत्तर भारत, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों जैसे कानपुर, लखनऊ, और वाराणसी में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन भक्त हनुमान जी की पूजा-अर्चना करते हैं, मंदिरों में भंडारे आयोजित करते हैं। मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से हनुमान जी की पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं, और भक्तों को बल, बुद्धि, और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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क्या है बुढ़वा मंगल की पौराणिक कथा?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत काल में पांडवों के वनवास के दौरान कुंती पुत्र भीम को अपनी अपार शक्ति पर घमंड हो गया था। उनकी ताकत हजारों हाथियों के बराबर मानी जाती थी और यह घमंड उन्हें अहंकारी बना रहा था। भीम को लगने लगा था कि उनके बराबर कोई भी शक्तिशाली नहीं है। एक दिन द्रौपदी के लिए गंधमादन पर्वत से सुगंधित फूल लाने के उद्देश्य से भीम वहां पहुंचे। रास्ते में उन्हें एक वृद्ध वानर विश्राम करते हुए मिला, जिसकी पूंछ रास्ते में फैली थी।

भीम ने घमंड में आकर वानर से अपनी पूंछ हटाने को कहा, लेकिन वृद्ध वानर ने शांत भाव से जवाब दिया कि वह थक गया है और पूंछ हटाने में असमर्थ है। उन्होंने भीम से कहा कि वह स्वयं पूंछ हटा लें। भीम ने अपनी पूरी ताकत लगाई, लेकिन वह पूंछ को एक इंच भी नहीं हिला पाए।

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अंत में हनुमान जी ने अपने वास्तविक स्वरूप में प्रकट होकर भीम को बताया कि वह श्रीराम के भक्त हनुमान हैं और उनकी यह लीला देखकर भीम को अपनी गलती का अहसास हुआ। इस घटना से भीम का अहंकार चूर-चूर हो गया, और उन्होंने हनुमान जी से क्षमा मांगी। माना जाता है कि यह घटना भाद्रपद माह के अंतिम मंगलवार को हुई थी, जिसके कारण इस दिन को बुढ़वा मंगल के रूप में मनाया जाने लगा।

बुढ़वा मंगल पर ऐसे करें पूजन

इस दिन हनुमान मंदिर में जाकर चालीसा, बजरंग बाण और सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। इसके साथ ही अपनी श्रद्धा के अनुसार दान भी करें। हनुमान जी को लाल चोला, चमेली का तेल और बूंदी के लड्डू का भोग लगाना शुभ माना जाता है।

ज्येष्ठ माह में होते हैं बड़े मंगल

ढ़वा मंगल की परंपरा सामान्य रूप से ज्येष्ठ माह के मंगलवारों से जोड़ी जाती है। दरअसल ज्येष्ठ माह में बुढ़वा मंगल को बड़ा मंगल भी कहा जाता है और यह श्रीराम और हनुमान जी के प्रथम मिलन से जुड़ा है। वहीं, भाद्रपद माह का बुढ़वा मंगल विशेष रूप से हनुमान जी द्वारा भीम के घमंड को तोड़ने की कथा से प्रसिद्ध है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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First published on: Sep 02, 2025 12:04 AM

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