आज एक अशुभ योग का भी निर्माण हो रहा है. आज सुबह 6 बजकर 33 मिनट पर विडाल योग का आरंभ हुआ था, जिसका समापन कल सुबह 4 बजकर 51 मिनट पर होगा.
Bhai Dooj 2025 Shubh Muhurat, Puja Vidhi in Hindi: आज भाई दूज के साथ दिवाली के पांच दिवसीय पर्व का समापन हो जाएगा. भाई दूज का पर्व आज कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि को मनाया जा रहा है. भाई दूज पर बहनें अपने भाई का टीका करके उनकी लंबी आयु और खुशहाल जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं. यह पर्व भाई दूज के साथ ही भैय्या दूज, भाऊ बीज, भात्र द्वितीया, भतरु द्वितीया, यम द्वितीया और भाई द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. आज के दिन यमराज की पूजा भी होती है. चलिए आपको आज भाई दूज पर शुभ मुहूर्त, विधि आदि के बारे में बताते हैं.
Bhai Dooj 2025 Date: कब मनाया जाएगा भाई दूज का पर्व, यहां जाने सटीक तारीख
Bhai Dooj 2025: 22 या 23 अक्टूबर, भाई दूज कब? जानें तिथि, तिलक करने का मुहूर्त और विधि
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है और केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
आज भाई दूज के पावन दिन रवि योग और स्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है, जिसका कहीं न कहीं शुभ प्रभाव सभी राशियों के जीवन पर पड़ेगा.
आज 23 अक्टूबर 2025, वार गुरुवार को भाई दूज के दिन सुबह-सुबह चंद्र देव ने विशाखा नक्षत्र में गोचर किया है, जो कि मेष राशि, कन्या राशि, तुला राशि और मीन राशि के लोगों के लिए शुभ रहा है.
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आज बहनें अपने घर के बाहर दक्षिण दिशा की तरफ सरसों के तेल का एक चौमुखी दीप जलाएं. इस दौरान अपने भाई की लंबी उम्र, खुशहाल जीवन और अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करें. इस उपाय को करने से आपके भाई की तरक्की की राह में आ रही बढ़ाएं दूर होंगी.


भाई दूज का संबंध यमुना जी और मृत्यु के देवता यमराज से माना जाता है. इसको लेकर यमुना और यमराज की कथा काफी प्रचलित है. इससे अलग भाई दूज को लेकर अन्य मान्यता भी है. पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण नरक चतुर्दशी के दिन नरकासुर का वध कर वापस द्वारका लौटे और यहां उनकी बहन सुभद्रा ने श्रीकृष्ण का स्वागत किया. सुभद्रा ने फल, फूल, मिठाई के साथ भगवान श्री कृष्ण का स्वागत किया. इसके साथ ही बहन सुभद्रा ने श्री कृष्ण का तिलक कर दीर्घायु की कामना की. तभी से भाई दूज मनाने की परंपरा बन गई.
भाई दूज पर भैया को तिलक करने का सर्वोत्तम समय यानी श्रेष्ठ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 13 मिनट से शुरू हो चुका है. भाई दूज पर तिलक का मुहूर्त दोपहर को 03 बजकर 28 मिनट तक रहेगा. आज तिलक के लिए 2 घंटे 15 मिनट का शुभ समय प्राप्त हो रहा है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष द्वितीया को यमराज और अपनी बहन यमुनाजी के घर गए थे. तब यमुना जी ने उनका आदर सत्कार कर यमराज का तिलक किया और आरती उतारकर भोजन कराया. बहन के प्रेम और स्नेह को देखकर यमराज ने वचन दिया कि, जो भी बहन भाई दूज के दिन भाई को आदरपूर्वक आमंत्रित कर तिलक कर उसे भोजन कराएगी उसके भाई को दीर्घायु, सुखी और समृद्ध की प्राप्ति होगी.
ओम जय चित्रगुप्त हरे, स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।
भक्तजनों के इच्छित, फलको पूर्ण करे॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे,
विघ्न विनाशक मंगलकर्ता, सन्तनसुखदायी ।
भक्तों के प्रतिपालक, त्रिभुवनयश छायी ॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥
रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरत, पीताम्बरराजै।
मातु इरावती, दक्षिणा,वामअंग साजै ॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥
कष्ट निवारक, दुष्ट संहारक, प्रभुअंतर्यामी ।
सृष्टि सम्हारन, जन दु:ख हारन, प्रकटभये स्वामी॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥
कलम, दवात, शंख, पत्रिका, करमें अति सोहै।
वैजयन्ती वनमाला, त्रिभुवनमन मोहै ॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥
विश्व न्याय का कार्य संभाला, ब्रम्हाहर्षाये।
कोटि कोटि देवता तुम्हारे, चरणनमें धाये॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥
नृप सुदास अरू भीष्म पितामह, यादतुम्हें कीन्हा।
वेग, विलम्ब न कीन्हौं, इच्छितफल दीन्हा॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥
दारा, सुत, भगिनी, सबअपने स्वास्थ के कर्ता ।
जाऊँ कहाँ शरण में किसकी, तुमतज मैं भर्ता ॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥
बन्धु, पिता तुम स्वामी, शरणगहूँ किसकी ।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी ॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥
जो जन चित्रगुप्त जी की आरती, प्रेम सहित गावैं।
चौरासी से निश्चित छूटैं, इच्छित फल पावैं ॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥
न्यायाधीश बैंकुंठ निवासी, पापपुण्य लिखते ।
‘नानक’ शरण तिहारे, आसन दूजी करते ॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे । भक्तजनों के इच्छित, फलको पूर्ण करे ॥ ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥
धर्मराज कर सिद्ध काज, प्रभु मैं शरणागत हूँ तेरी।
पड़ी नाव मझदार भंवर में, पार करो, न करो देरी॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥
धर्मलोक के तुम स्वामी, श्री यमराज कहलाते हो।
जों जों प्राणी कर्म करत हैं, तुम सब लिखते जाते हो॥
अंत समय में सब ही को, तुम दूत भेज बुलाते हो।
पाप पुण्य का सारा लेखा, उनको बांच सुनते हो॥
भुगताते हो प्राणिन को तुम, लख चौरासी की फेरी॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥
चित्रगुप्त हैं लेखक तुम्हारे, फुर्ती से लिखने वाले।
अलग अगल से सब जीवों का, लेखा जोखा लेने वाले॥
पापी जन को पकड़ बुलाते, नरको में ढाने वाले।
बुरे काम करने वालो को, खूब सजा देने वाले॥
कोई नही बच पाता न, याय निति ऐसी तेरी॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥
दूत भयंकर तेरे स्वामी, बड़े बड़े दर जाते हैं।
पापी जन तो जिन्हें देखते ही, भय से थर्राते हैं॥
बांध गले में रस्सी वे, पापी जन को ले जाते हैं।
चाबुक मार लाते, जरा रहम नहीं मन में लाते हैं॥
नरक कुंड भुगताते उनको, नहीं मिलती जिसमें सेरी॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥
धर्मी जन को धर्मराज, तुम खुद ही लेने आते हो।
सादर ले जाकर उनको तुम, स्वर्ग धाम पहुचाते हो।
जों जन पाप कपट से डरकर, तेरी भक्ति करते हैं।
नर्क यातना कभी ना करते, भवसागर तरते हैं॥
कपिल मोहन पर कृपा करिये, जपता हूँ तेरी माला॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥
ओम जय यमुना माता, हरि जय यमुना माता।
जो नहावे फल पावे सुख दुःख की दाता।।
ओम जय यमुना माता…
पावन श्रीयमुना जल अगम बहै धारा।
जो जन शरण में आया कर दिया निस्तारा।।
ओम जय यमुना माता…
जो जन प्रातः ही उठकर नित्य स्नान करे।
यम के त्रास न पावे जो नित्य ध्यान करे।।
ओम जय यमुना माता…
कलिकाल में महिमा तुम्हारी अटल रही।
तुम्हारा बड़ा महातम चारो वेद कही।।
ओम जय यमुना माता…
आन तुम्हारे माता प्रभु अवतार लियो।
नित्य निर्मल जल पीकर कंस को मार दियो।।
ओम जय यमुना माता…
नमो मात भय हरणी शुभ मंगल करणी।
मन बेचैन भया हैं तुम बिन वैतरणी ।।
ओम जय यमुना माता…
भाई को तिलक लगाने का मंत्र
ॐ यमाय नमः
भाई दूज के लिए उन्नति मंत्र
ॐ स्वस्ति भद्राणि शुभानि, पूर्णं भवतु ते आयुष्मान्। दीर्घायुः
भाई को भोजन कराने के दौरान मंत्र
‘भ्रातस्तवानुजाताहं भुंक्ष्व भक्तमिमं शुभं। प्रीतये यमराजस्य यमुनाया विशेषत:।।’
भाई दूज को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है. चलिए आपको बताते हैं भाई दूज के अन्य नाम के बारे में...
भाई दूज के पर्व को लोग भाऊ बीज, भाई दूज, भात्र द्वितीया और भातृ द्वितीया के नाम से भी जानते हैं. भाई दूज पर यमराज की पूजा-अर्चना की जाती है. बहनें भाई को तिलक कर भाई के लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना करती हैं.
बहन सबसे पहले एक सुंदर थाली सजाएं. थाली में रोली, अक्षत, दीपक, फूल, फूलों की माला, सुपारी और नारियल, मिठाई, कलावा, एक सिक्का रखें.
भाई को पूर्व दिशा या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर बैठाएं.
गणेश जी का ध्यान और प्रार्थना कर पूजा की शुरुआत करें और भगवान गणेश का स्मरण कर भाई की कलाई पर कलावा बांधें और भाई को तिलक करें.
भाई को फूल अर्पित करें और फूल माला पहनाएं. थाली में दीपक जलाकर भाई की आरती करें और उसके सुख-समृद्धि की कामना करें.
भाई को तिलक और आरती के बाद मिठाई खिलाएं इसके बाद उपहार और आशीर्वाद का आदान-प्रदान करें. भाई अपनी बहन को उपहार या शगुन दें.
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:43 से दोपहर 12:28 तक
श्रेष्ठ मुहूर्त: दोपहर 01:13 से 03:28 तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 01:58 से 02:43 तक
गोधूली मुहूर्त: शाम 05:43 से 06:09 तक
इन सभी में से भाई को टीका लगाने का सर्वोत्तम समय श्रेष्ठ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 13 मिनट से दोपहर को 03 बजकर 28 मिनट तक है.
द्रिक पंचांग के अनुसार, इस बार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 22 अक्टूबर 2025 की रात 08:16 मिनट से लेकर 23 अक्टूबर 2025 की देर रात 10:46 मिनट तक है. उदया तिथि के आधार पर, इस बार 23 अक्टूबर 2025, गुरुवार को भाई दूज का पर्व मनाया जा रहा है.










