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Ayodhya: राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा के लिए निकाली जाएगी कलश यात्रा, जानें प्रायश्चित कर्म पूजा का महत्व

Ayodhya, RamDarbar kalash Yatra: उत्तर प्रदेश के अयोध्या के श्रीराम मंदिर में 5 जून 2025 को एक और भव्य धार्मिक अनुष्ठान होने जा रहा है। गुरुवार को राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा होगी। इससे पहले कलश यात्रा निकाली जाएगी, जिसकी शुरुआत आज 2 जून से हो गई है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Nidhi Jain Updated: Jun 2, 2025 16:26
Ayodhya, RamDarbar kalash Yatra
Credit- News24 Graphics

Ayodhya, RamDarbar kalash Yatra: 22 जनवरी 2024 का दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है। इसी दिन अयोध्या के राम मंदिर में मौजूद भगवान राम की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी, जिसमें देश-विदेश से लोगों ने भाग लिया था। अयोध्या में रामलला के आने के बाद अब राम दरबार भी सजने जा रहा है। 5 जून 2025 को भगवान राम परिवार सहित मंदिर के प्रथम तल पर बने राम दरबार में विराजेंगे। इससे पहले आज 2 जून को 101 ऋत्विजों की उपस्थिति में प्रायश्चित कर्म पूजा की गई और जलकलश यात्रा निकाली जा रही है।

स्वर्ण कलश की भी होगी स्थापना

यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में महिलाएं पुण्य सलिला सरयू का पवित्र जल कलशों में भरकर सरयू तट से यज्ञमंडप तक जाएंगी। अनुष्ठान के आरंभिक दिन ‘प्रायश्चित कर्म पूजा’ दोपहर 3 बजे से शाम 4 बजकर 30 मिनट तक चलेगी। इस बीच राम मंदिर के शिखर पर स्वर्ण कलश की भी स्थापना होगी। इसी के साथ आज राम दरबार की संगमरमर की मूर्ति प्रथम तल पर स्थापित की जाएगी।

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5 जून को होगी राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 3 जून 2025 को प्रातः 6 बजकर 30 मिनट से प्राण प्रतिष्ठा का मुख्य अनुष्ठान शुरू होगा। इस दिन यज्ञ मंडप की पूजा होगी। जबकि 4 जून को विभिन्न अधिवास और पालकी यात्रा निकाली जाएगी। आखिरी दिन 5 जून को राम मंदिर के प्रथम तल पर राम दरबार, सरयू तट पर सहस्त्र धारा पर स्थित शेषावतार मंदिर में लक्ष्मण और परकोटा के बाहर सप्त मंदिरों में 7 देवी-देवताओं की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा होगी।

कलश यात्रा क्या होती है?

कलश यात्रा एक धार्मिक अनुष्ठान है। इस यात्रा में महिलाएं पवित्र जल से भरा कलश अपने सिर पर धारण करके शोभायात्रा तक लेकर जाती हैं। इस दौरान देवी-देवताओं का आह्वान किया जाता है ताकि पूजा का शुभ फल मिले। आमतौर पर ये यात्रा भागवत कथा, विवाह, मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा या अन्य धार्मिक समारोहों से पहले निकाली जाती है।

प्रायश्चित कर्म पूजा क्या होती है?

जाने-अनजाने में किए गए पापों की क्षमा याचना और जगह व मन के शुद्धिकरण के लिए प्रायश्चित कर्म पूजा की जाती है। इस पूजा को करने से साधक का मन शांत होता है और जान-अनजाने में की गई गलतियों के पाप से मुक्ति मिलती है।

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First published on: Jun 02, 2025 04:26 PM

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