Jaya Parvati Vrat: सनातन धर्म के लोगों के लिए आषाढ़ मास बेहद शुभ और पवित्र होता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, आषाढ़ को चौथा महीना माना जाता है। इस दौरान भगवान विष्णु और सूर्य देवता की आराधना की जाती है। इस बार आषाढ़ माह का आरंभ 23 जून 2024 से हो चुका है, जिसका समापन 21 जुलाई 2024 को होगा। इसके अलावा आषाढ़ माह में आने वाले व्रत और त्योहार का भी विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि इस दौरान व्रत रखने से साधक को देवी-देवताओं का विशेष आशीर्वाद मिलता है।
हर साल आषाढ़ माह में जया पार्वती का व्रत भी रखा जाता है, जोकि 5 दिनों तक चलता है। वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार, हर साल आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन विजया-पार्वती व्रत रखा जाता है। देश के कई राज्यों में विजया-पार्वती व्रत को जया पार्वती के व्रत नाम से भी जाना जाता है।
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कब रखा जाएगा विजया-पार्वती व्रत?
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार जुलाई में आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी का आरंभ 19 जुलाई 2024 से हो रहा है, जिसका समापन 24 जुलाई 2024 को प्रात: काल होगा। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर जया-पार्वती का पहला व्रत 19 जुलाई 2024 को रखा जाएगा।
जया-पार्वती पूजा का शुभ मुहूर्त?
इस साल विजया-पार्वती व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम में है। 19 जुलाई को देवी-देवताओं की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 19 मिनट से लेकर देर रात 09 बजकर 23 मिनट तक है। इस दौरान मां पार्वती की पूजा करना शुभ माना जाता है।
बता दें कि जया पार्वती का पर्व खासतौर पर गुजरात में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जया पार्वती का व्रत रखने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है। वहीं विवाहित महिलाएं ये व्रत रखती हैं, तो इससे उनके पति की उम्र बढ़ती है। साथ ही घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
जया पार्वती व्रत की पूजा विधि
- जया पार्वती व्रत के दिन महिलाएं प्रात: काल जल्दी उठें और घर में गंगाजल का छिड़काव करें।
- पूजा स्थल में एक चौकी रखें और उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। उस पर हाथी की मूर्ति रखें। साथ ही भगवान शिव और मां पार्वती की तस्वीर और मूर्ति को स्थापित करें।
- इसके बाद देवी-देवताओं और हाथी को फल, फूल और मिठाई का भोग लगाएं।
- व्रत के पहले दिन घर के मंदिर में ही एक कटोरे में गेहूं और ज्वार को बोएं। साथ ही उनकी पूजा करें।
- 5 दिनों तक देवी-देवताओं की पूजा करें और उन्हें फल-फूल अर्पित करें।
- व्रत के आखिरी दिन गेहूं और ज्वार को किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर दें और उसके बाद व्रत का पारण करें।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।