Ashtami Navami 2025 Date: आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है, जिसे आदिशक्ति मां दुर्गा की उपासना के लिए बेहद शुभ माना जाता है। जो लोग नवरात्रि के 9 दिन पूजा नहीं कर पाते हैं, वे अष्टमी-नवमी तिथि पर जरूर उपासना करते हैं। इन दोनों तिथियों को मां दुर्गा की पूजा के लिए बेहद शुभ माना गया है, जिस दौरान उपासना करने से साधक को नवरात्रि के 9 दिन व्रत रखने के समान ही फल मिलता है।
द्रिक पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का आरंभ होता है, जबकि नवमी तिथि पर समापन होता है। इस साल 26 जून 2025 से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का आरंभ हो गया है, जिसका समापन 9 दिन बाद 4 जुलाई 2025 को होगा। चलिए अब जानते हैं आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की अष्टमी-नवमी तिथि के बारे में।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की अष्टमी-नवमी कब?
द्रिक पंचांग की गणना के अनुसार, इस बार आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि 3 जुलाई 2025, वार गुरुवार को मनाई जाएगी। जबकि नवमी तिथि की पूजा 4 जुलाई 2025, वार शुक्रवार को होगी। इन दोनों दिन मां दुर्गा की पूजा करने के साथ-साथ व्रत भी रखा जाता है। पूजा-पाठ के अलावा कुछ लोग अष्टमी व नवमी तिथि पर कन्या पूजन भी करते हैं। बता दें कि जो लोग अष्टमी पर कन्या पूजा करते हैं, वे घट विसर्जन भी इस दिन कर सकते हैं।
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03 जुलाई 2025 का पंचांग
- सूर्योदय- प्रात: काल 05:28 मिनट पर
- चन्द्रोदय- दोपहर 12:54 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: काल में 04:07 से लेकर 04:47 मिनट तक
- अभिजित मुहूर्त- सुबह 11:58 से लेकर दोपहर 12:53 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त- शाम में 07:22 से लेकर 07:42 मिनट तक
- अमृत काल- प्रात: काल 07:09 से लेकर सुबह 08:56 मिनट तक
- राहुकाल- दोपहर में 02:10 से लेकर 03:54 मिनट तक
- गुलिक काल- सुबह में 08:57 से लेकर 10:41 मिनट तक
04 जुलाई 2025 का पंचांग
- सूर्योदय- प्रात: काल 05:28 मिनट पर
- चन्द्रोदय- दोपहर 01:47 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: काल में 04:07 से लेकर 04:48 मिनट तक
- अभिजित मुहूर्त- सुबह 11:58 से लेकर दोपहर 12:53 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त- शाम में 07:22 से लेकर 07:42 मिनट तक
- अमृत काल- सुबह में 09:38 से लेकर 11:26 मिनट तक
- राहुकाल- सुबह 10:41 से लेकर दोपहर 12:26 मिनट तक
- गुलिक काल- प्रात: काल 07:12 से लेकर सुबह 08:57 मिनट तक
अष्टमी और नवमी की पूजा विधि
- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
- स्वच्छ पीले या लाल रंग के वस्त्र पहनें।
- मां दुर्गा का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें।
- मां दुर्गा को लाल वस्त्र, फल, फूल, मिठाई और श्रृंगार का सामान अर्पित करें। इस दौरान मां दुर्गा को समर्पित मंत्रों का जाप करें।
- दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
- संभव हो तो घर में हवन कराएं।
- देवी दुर्गा की आरती करें और परिवारवालों को प्रसाद बांटे।
- नौ कन्याओं को भोजन कराएं और उन्हें उपहार दें।
- कन्या पूजन करने के बाद घट विसर्जन (कलश विसर्जन) करें।
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