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Sankashti Chaturthi: कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी आज, दूर्वा के साथ इन मंत्रों से करें गणेश पूजा; सिद्ध होंगे सभी काम

Sankashti Chaturthi: आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। भगवान गणेश को समर्पित इस व्रत को करने से संकष्टों से मुक्ति मिलती और संतान की लंबी उम्र लंबी होती है। गणेश पूजा में विशेष मंत्रों के साथ दूर्वा अर्पित करना अत्यंत शुभ माना गया है। आइए जानते हैं, गणेश पूजा में दूर्वा का क्या महत्व है और किन मंत्रों के जाप से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं?

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Shyamnandan Updated: Jun 14, 2025 07:34
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Sankashti Chaturthi: आज शनिवार 14 जून, 2025 को आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है। हिन्दू धर्म में चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है और इस तिथि को संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाता है। आषाढ़ माह की संकष्टी चतुर्थी को कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन इस दिन भगवान गणेश के कृष्णपिंगल स्वरूप की पूजा की जाती है, जो आधे शरीर से काले और आधे शरीर से भूरे रंग के होते हैं।

भगवान गणेश के भक्तों का मानना है कि भगवान गणेश को समर्पित कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी व्रत को करने से सभी संकट दूर होते हैं और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। वहीं, यह व्रत संतान की लंबी उम्र के लिए भी रखा जाता है। आइए जानते हैं, गणेश पूजा में दूर्वा का क्या महत्व और किन मंत्रों से पूजा करने पर मनोकामना पूरी होती है?

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गणेश पूजा में दूर्वा का महत्व

गणेश पूजा में हरी दूर्वा हरी घास का अत्यधिक महत्व है। यह भगवान गणेश को अत्यंत प्रिय है, क्योंकि पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान गणेश को पेट दर्द से राहत दिलाने में दूर्वा घास ने निर्णायक भूमिका निभाई थी। इसलिए इसे चढ़ाने से वे बहुत प्रसन्न होते हैं। कहते हैं, गणेश जी को दूर्वा चढ़ाने से घर की सुख-समृद्धि और खुशहाली में बढ़ोतरी होती है।

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इन मंत्रों से करें गणेश पूजा

गणेश पूजा का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। वे विघ्नहर्ता और शुभता के प्रतीक माने जाते हैं। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत भगवान गणेश के पूजन से ही की जाती है। गणेश जी की पूजा विशेष मंत्रों के साथ करना अत्यंत फलदायी माना गया है। आइए जानें वे मंत्र, जिनका जाप कर गणपति बप्पा की कृपा आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।

1.

ॐ गं गणपतये नमः
Om Gam Ganapataye Namah

इस मंत्र का अर्थ: ‘मैं भगवान गणेश को नमन करता हूँ, जो सभी बाधाओं को दूर करने वाले और सभी शुभ कार्यों के स्वामी हैं।’

यह गणेश का सबसे मूल और व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला मंत्र है। इसका उपयोग किसी भी नए कार्य की शुरुआत में सफलता प्राप्त करने, बाधाओं को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा आकर्षित करने के लिए किया जाता है। यह ध्यान और पूजा के लिए एक उत्कृष्ट मंत्र है।

2.

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
Vakratunda Mahakaya Suryakoti Samaprabha.
Nirvighnam Kuru Me Deva Sarvakaryeshu Sarvada.

इस मंत्र का अर्थ: ‘हे घुमावदार सूंड वाले, विशाल शरीर वाले, करोड़ों सूर्यों के समान तेजस्वी देव! मेरे सभी कार्यों को हमेशा बाधा रहित बनाएं।’

यह मंत्र विशेष रूप से किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए शक्तिशाली माना जाता है। विद्यार्थी अपनी पढ़ाई में सफलता के लिए, व्यवसायी अपने उद्यमों में सफलता के लिए और सामान्य व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में आने वाली चुनौतियों को दूर करने के लिए इसका पाठ कर सकते हैं। यह मंत्र एकाग्रता और सकारात्मक दृष्टिकोण को भी बढ़ावा देता है।

3.

ॐ एकदंताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि।
तन्नो दंति प्रचोदयात्॥
Om Ekadantaya Vidmahe Vakratundaya Dhimahi.
Tanno Danti Prachodayat.

इस मंत्र का अर्थ: ‘हम एकदंत यानी एक दांत वाले भगवान को जानते हैं, हम घुमावदार सूंड वाले भगवान का ध्यान करते हैं। इस प्रकार के दांत वाले प्रभु, जो ज्ञान और शक्ति के प्रतीक हैं, हमें प्रेरित करें।’

यह गणेश गायत्री मंत्र है। गायत्री मंत्र विशेष रूप से ज्ञान, बुद्धि और आध्यात्मिक विकास के लिए उपयोग किए जाते हैं। इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को गणेश जी की कृपा से ज्ञान, बुद्धि और विवेक प्राप्त होता है। यह आत्म-साक्षात्कार और आध्यात्मिक जागृति के लिए भी सहायक है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Jun 14, 2025 07:34 AM

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