Rajasthan Assembly Elections 2023 Winning Equation: राजस्थान विधानसभा चुनाव में जहां एक ओर मतदान का समय नजदीक आता जा रहा है। वहीं दूसरी ओर जनता के मन में यह सवाल भी उठ रहे हैं कि जिनकी वजह से पूरे प्रदेश में राजनीति हमेशा उबाल मारती है। उनके गढ़ में उन्हीं की सीटें कितनी दांव पर लगी हैं। सबसे पहले अगर बात वसुंधरा राजे की करें तो राजस्थान का हाड़ौती इलाका भाजपा का मजबूत गढ़ माना जाता है। पिछले 30 साल से भाजपा कांग्रेस से आगे रहती आई है। इस बार गहलोत के मंत्री शांति धारीवाल ने कोटा में विकास कार्य खूब करवाए। इसके बावजूद वह कड़े मुकाबले में फंसते दिखाई दे रहे हैं।
सियासी जानकारों का मानना है कि RSSA के प्रभाव की वजह से भाजपा को हर बार फायदा मिलता है। हाड़ौती संभाग में कुल 4 जिले आते हैं, जिनमें कोटा बूंदी और 12 झालावाड़ हैं। इन 4 जिलों में 17 विधानसभा सीटें हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में हाड़ौती के 4 जिलों की कुल 17 सीटों में से भाजपा ने 10 और कांग्रेस ने 7 पर जीत दर्ज की थी, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का झालावाड़ और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला इस रीजन से आते हैं, जिसके चलते इस बार भाजपा यहां मजबूत स्थिति में आती दिखाई दे रही है।
गहलोत के जोधपुर में कड़ा मुकाबला
सियासी जानकारों का मानना है कि जोधपुर संभाग की लगभग 33 सीटों पर भाजपा कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला दिख रहा है। मारवाड़ रीजन में जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर पाली आदि जिले आते हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस को सफलता मिली थ। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जोधपुर से आते हैं। इस बार भाजपा ने बाड़मेर में प्रधानमंत्री मोदी की सभा करवाकर कांग्रेस पर शुरुआती बढ़त बना ली है। पिछले चुनाव में बाड़मेर की 10 में से 9 सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। इस बार कांटे का मुकाबला होता दिख रहा है, हालांकि हनुमान बेनीवाल की पार्टी ने बाड़मेर की ज्यादातर सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है। कांग्रेस के बड़े नेता हरीश चौधरी बाड़मेर की बायतु सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
ढूंढाड़ में पायलट की प्रतिष्ठा दांव पर
ढूंढाड़ रीजन में विधानसभा की 58 सीटें हैं। राज्य के इस हिस्से में मिश्रित आबादी है। इसकी सीमा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा से लगती है। जयपुर समेत शहरी सीटों का बड़ा हिस्सा इसी क्षेत्र में आता है। यहां मुस्लिम और SC वर्ग की अच्छी खासी आबादी है। इस रीजन में हिंदुत्व और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण बड़े मुद्दे हैं। इस बार कांग्रेस के लिए यहां समस्या यह है कि सचिन पायलट पूर्वी राजस्थान के अलवर, भरतपुर, दौसा, टोंक सवाई माधोपुर, जयपुर करौली और धौलपुर ढूंढाड़ से आते हैं। पिछली बार कांग्रेस को सफलता मिली थी। इस बार बसपा कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती है, लेकिन बसपा ने मुकाबले को कई सीटों पर त्रिकोणीय बना दिया है। सचिन पायलट टोंक से चुनाव लड़ रहे हैं। पायलट के कहने पर गुर्जर वोटर कांग्रेस के पक्ष में लामबंद भी हो सकते हैं।