I.N.D.I.A Alliance 19 december Meeting Latest Update: I.N.D.I.A गठबंधन की 19 दिसंबर को दिल्ली में होगी। I.N.D.I.A गठबंधन बनने और सीट शेयरिंग के मसले को लेकर पहले से ही कयास लगाए जा रहे थे कि इन्हें लेकर गठबंधन की अगली अग्निपरीक्षा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और पंजाब में होनी है… क्योंकि इन दोनों ही जगहों पर फिलहाल आम आदमी पार्टी की सरकार है। दोनों ही राज्यों को मिलाकर लोकसभा की 20 सीटें आती हैं। दिल्ली में पिछले दो लोकसभा चुनावों में बीजेपी सभी सात सीटें जीतती रही हैं।
गठबंधन की अगली अग्निपरीक्षा दिल्ली और पंजाब में
पिछले लोकसभा चुनाव में पंजाब में 8 सीटों पर कांग्रेस, 2 पर अकाली दल, 2 सीटों पर बीजेपी और 1 सीट पर AAP को जीत मिली थी। वहीं विधानसभा चुनाव में पंजाब में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस से ही सरकार छीनी है… वहां दोनों ही दलों में 36 का आंकड़ा है…2019 के आम चुनावों में कांग्रेस ने 13 सीटों में से आठ पर जबकि आप ने एक सीट पर जीत दर्ज की थी। दिल्ली अध्यादेश के मुद्दे पर भी दिल्ली और पंजाब कांग्रेस की स्थानीय इकाइयों ने भी आप को साथ देने पर ऐतराज जताया था।
बिहार में भी सीट बंटवारा आसान नहीं
गठबंधन की मुसीबत सिर्फ पंजाब और दिल्ली में नहीं है… इंडिया अलायंस के लिए बिहार में भी सीट बंटवारा इतना आसान नहीं दिखता है। CPI(ML) ने बिहार से 5 सीटों के लिए अपनी दावेदारी पेश कर चुकी है। इन सीटों में सीवान, आरा, काराकाट, जहानाबाद और पाटलिपुत्र शामिल हैं। आपको बता दें कि बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें है, जिसमें 16 सीटों पर JDU के सांसद हैं। RJD के पास एक भी सांसद नही है, 2024 के लिए सीट फॉर्मूले के मुताबिक 16 सीट RJD, 16 सीट JDU, 6 सीट कांग्रेस और 2 सीट वाम दलों को मिल सकती हैं, लेकिन इस बीच CPI(ML) ने 5 सीट पर बात कह कर मंथन के लिए मजबूर कर दिया है।
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UP की राह नहीं आसान?
कहते हैं दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाता है… और उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा 80 सांसद चुनाकर लोकसभा पहुंचते हैं। 2019 के चुनावों में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल के एक साथ चुनाव लड़ने के बावजूद बीजेपी ने 62 सीटों पर जीत दर्ज कर ली, जबकि सहयोगी अपना दल को दो सीटों पर सफलता मिली थी। NDA गठबंधन को तब 50 फीसदी से ज्यादा वोट शेयर मिले थे, जबकि SP, BSP और RLD गठबंधन को करीब 40 फीसदी वोट मिले थे। अकेले चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस सिर्फ एक सीट रायबरेली पर ही जीत दर्ज कर सकी थी।
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J&K में सीट शेयरिंग का क्या?
जम्मू-कश्मीर में पिछले दो लोकसभा चुनावों पर नजर डालें तो पता चलता है कि…2014 में राज्य में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस की सरकार थी। दोनों दलों ने तब मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन एक भी सीट नहीं जीत सके। राज्य की पांच लोकसभा सीटों में से घाटी की तीनों सीटें श्रीनगर, बारामूला और अनंतनाग पर पीडीपी ने जीत हासिल की जबकि बाकी बची दो सीटें जम्मू और उधमपुर पर बीजेपी ने जीत हासिल की।
2019 में तीनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा लेकिन एनसी और पीडीपी दोनों ने जम्मू और उधमपुर कांग्रेस के लिए छोड़ दिया। कश्मीर घाटी में नेशनल कॉन्फ्रेन्स ने सभी तीन सीटें जीत लीं जबकि बीजेपी ने 50% से अधिक वोटों के साथ जम्मू और उधमपुर को बरकरार रखा। आपको बता दें कि घाटी की तीन सीटों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी समान वोट शेयर के लिए लड़ते रहे हैं और ऐतिहासिक रूप से नेशनल कॉन्फ्रेंस मजबूत रही है
इंडिया गठबंधन के लिए सीट शेयरिंग एक मुश्किल काम है… क्योंकि कई राज्यों में इंडिया के ही घटक दल आपस में एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं… छह राज्य तो ऐसे हैं जहां लड़ाई के केंद्र में खुद कांग्रेस पार्टी ही है… और ऐसी जगहों पर एनडीए के खिलाफ इंडिया गठबंधन के एक चेहरे को चुनना सबसे बड़ी चुनौती है…