Raksha Bandhan: रक्षाबंधन का त्योहार रक्षा के लिए होता है। इस दिन बहनें भाई को राखी बांधकर उन्हें मिठाई खिलाती हैं। ऐसा तो लगभग हर कोई करता है, मगर क्या आपने कभी खाने वाली राखी या मिठाई वाली राखी देखी है? जोधपुर के हुनरमंद कारीगरों ने इस रक्षाबंधन पर कुछ अलग ही पेश किया है। यहां एक मिठाई की दुकान पर एक ऐसी राखियां बनाई गई हैं, जिन्हें पहनने के बाद भाई उसे भी खा सकते हैं।
खास है ये राखी
राजस्थान के जोधपुर में ये मिठास भरी राखी बनाई गई है। दरअसल, इन राखियों को खोये और मेवों की मदद से बनाया गया है। इन राखियों पर बर्फी जैसे रंग-बिरंगे पेड़े लगाए गए हैं, जो देखने में बेहद खूबसूरत है। इन पर फूलों वाले डिजाइन भी दिए गए हैं। इस दुकान पर आपको खाने वाली कई अलग-अलग प्रकार की राखियां मिल जाएंगी। इनके रंग, स्वाद और डिजाइन तीनों अलग हैं।
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#WATCH | Jodhpur, Rajasthan | Jodhpur sweet makers craft edible ‘Rakhi’ sweets that can be tied on th wrist on the occasion of Rakshabandhan pic.twitter.com/7GLqe9omo9
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) August 9, 2025
राखी बनाने की प्रक्रिया
- इन राखियों को खोया, ड्राई फ्रूट्स और चॉकलेट से बनाया जाता है।
- कुछ राखियों में सिल्वर वर्क (चांदी का वर्क) भी इस्तेमाल किया जाता है ताकि वे और सुंदर दिखें।
- मिठाई वाली इन राखियों को हाइजीनिक तरीके से तैयार किया जाता है ताकि खाने में कोई समस्या न हो।
इको फ्रेंडली राखी
जोधपुर की दुकान पर बनी ये राखियां बायोडिग्रेडेबल यानी खाने योग्य हैं, इसलिए इन्हें फेंकने की जरूरत नहीं पड़ती है, जिससे यह पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाता है।
#WATCH | Lucknow, Uttar Pradesh | National Botanical Research Institute (NBRI) has come up with floral biodegradable rakhis, a unique, eco-friendly product made of natural, dried flowers and plant material. (07/08) pic.twitter.com/MRbAMV3kjF
— ANI (@ANI) August 7, 2025
लखनऊ में भी बन चुकी है इको फ्रेंडली राखी
यूपी की राजधानी लखनऊ में भी इस साल रक्षाबंधन पर कुछ नया किया गया। यहां भी ऐसी राखियों का निर्माण किया गया है, जो पर्यावरण के लिए अनुकूल है। यहां के नेशनल बोटेनिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट में फ्लोरल बायोडिग्रेडेबल राखी बनाई गई है, जिन्हें पहनने के बाद आप पौधों में डाल सकते हैं। इसके बीजों की मदद से पौधे उगेंगे। इनमें किसी प्रकार का कोई रसायनिक और प्लास्टिक का यूज नहीं किया गया है।
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