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Karwa Chauth पर छलनी से ही चांद क्यों देखते हैं? वजह पौराणिक, पर काफी दिलचस्प

Karwa Chauth Special: करवा चौथ पर छलनी से ही चांद और पति को देखने की प्रथा है, लेकिन आखिर ऐसा क्यों है, जानिए इसके पीछे की पौराणिक और दिलचस्प कहानी...

Edited By : Khushbu Goyal | Updated: Nov 1, 2023 09:42
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Karwa Chauth
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Importance Of Chhalni On Karwa Chauth Festival: करवा चौथ के त्योहार पर पत्नियां अपने पति के लिए व्रत रखती हैं। उसकी लंबी उम्र की कामना करती है। दिनभर भूखी-प्यासी रहकर रात को छलनी से पहले चांद और फिर अपने पति का दीदार करती हैं। पति पानी पिलाकर पत्नी का व्रत खुलवाते हैं, लेकिन लोगों के मन में एक सवाल जरूर उठता होगा कि आखिर छलनी से ही चांद और पति को क्यों देखा जाता है? इससे क्या होता है? क्या कोई खास वजह है या पति की लंबी उम्र से इसका कनेक्शन हैं? इस बारे में आइए विस्तार से बात करते हैं…

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वीरवती की कहानी से छलनी का कनेक्शन

करवा चौथ 2 शब्दों से मिलकर बना है -‘करवा’ यानि ‘मिट्टी का बर्तन’ और ‘चौथ’ यानि ‘गणेश जी की पसंदीदा तारीख चतुर्थी’। वहीं बात करें छलनी से चांद और पति को देखने की तो इसके पीछे की कहानी पौराणिक है, लेकिन काफी दिलचस्प है। छलनी से चांद देखने की कहानी करवा चौथ के दिन सुनाई जाने वाली वीरवती की कहानी से जुड़ी है। बहन वीरवती को भूखा देख कर उसके भाइयों को अच्छा नहीं लगा। इसलिए उन्होंने चांद निकलने से पहले ही एक पेड़ की आड़ में छलनी में दीपक रखकर चांद बनाया और बहन का व्रत खुलवाया। उस दिन से छलनी से चांद देखने की प्रथा प्रचलित हो गई।

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चंद्रमा को श्राप के कारण नहीं देखा जाता सीधे

दूसरी ओर, मान्यता है कि क्योंकि चंद्रमा को श्राप मिला है, इसलिए करवा चौथ के दिन चंद्रमा को सीधे नहीं देखना चाहिए। किसी चीज की आड़ में इसे देखना ठीक रहता है। छलनी से चांद देखने की एक वजह यह भी है कि छलनी में असंख्य छिद्र होते हैं, इसलिए माना जाता है कि इसके छिद्रों से पति को देखने पर उनकी उम्र भी लंबी हो जाएगी, इसलिए पहले पत्नियां छलनी की आड़ में चांद को देखती हैं और उसके बाद लंबी उम्र की कामना करते हुए पति को छलनी से देखती हैं। इस तरह छलनी की कहानी पौराणिक है, लेकिन काफी दिलचस्प है। वहीं छलनी के इस्तेमाल ने समय के साथ इसके रंग रूप भी बदले हैं।

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चंद्रमा को महिलाएं करवा चौथ पर सीधा क्यों नहीं देखतीं?

करवा चौथ पर चांद के सीधे दर्शन क्यों नहीं करने चाहिएं? इसका उल्लेख पुराणों में भी हुआ है। पुराणों में इसे करक चतुर्दशी के नाम से जानते हैं। पुराणों के अनुसार, प्रजापति दक्ष ने चंद्रमा को श्राप दिया था। उन्होंने चंद्रमा के कमजोर पड़ने की कामना की तुम कमजोर पड़ जाओ, जो तुम्हारे दर्शन करेगा, वह कलंकित हो जाएगा। श्राप मिलने के बाद चंदा मामा रोते हुए भगवान के पास आए और कहानी सुनाई। इसके बाद शंकर भगवान ने उन्हें वरदान दिया कि जो भी करक चतुर्थी के दिन तुम्हारे दर्शन करेगा, उसकी सारी कामनाएं पूरी हो जाएंगी। रामायण के अनुसार, भगवान श्रीराम ने कहा था कि चंद्रमा का काला दाग जहर के समान है।

HISTORY

Edited By

Khushbu Goyal

First published on: Oct 31, 2023 09:42 AM

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