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डॉ. भीमराव आंबेडकर के गुरु कौन? संविधान निर्माता से सीखने चाहिए ये 5 सबक

बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश में हुआ था। वे संविधान निर्माता और भारत के पहले कानून मंत्री थे। कई लोगों के मन में सवाल ये भी उठता है कि उन्हें इतना महान बनाने के पीछे किसका हाथ था और उनके गुरु कौन थे?

Author Edited By : Shivani Jha Updated: Apr 14, 2025 09:11
Ambedkar Jayanti
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डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर की जयंती हर साल 14 अप्रैल को मनाई जाती है, जिन्हें ‘भारतीय संविधान के जनक’ के रूप में जाना जाता है। उनका जन्म 1891 में मध्य प्रदेश के महू कैंटोनमेंट में हुआ था। एक महान भारतीय समाज सुधारक के रूप में, उन्होंने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने और सामाजिक न्याय और समानता की वकालत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपना जीवन जाति-आधारित भेदभाव और असमानता के खिलाफ लड़ने और दलितों और महिलाओं सहित हाशिए के समुदायों के अधिकारों की वकालत करने के लिए समर्पित कर दिया। अंबेडकर के अथक प्रयासों ने उन्हें बहुत सम्मान दिलाया और उन्हें 1990 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल ये भी उठता है कि जो खुद इतने महान थे उनके गुरु कौन थे, जिन्होंने भीमराव आंबेडकर को इतना महान बना दिया?

कौन थे अंबेडकर के गुरु?

डॉ.भीमराव अंबेडकर के गुरु का नाम महात्मा ज्योतिबा फुले था। महात्मा ज्योतिबा फुले भारतीय समाज में सामाजिक और शिक्षा रुझानों के प्रेरक रहे थे और उन्होंने दलितों और अनुसूचित वर्गों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। भीमराव अंबेडकर ने भी महात्मा ज्योतिबा फुले के विचारों और उनके आदर्शों के अनुयायी बने रहे और उनके साथ काम किया।

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डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को किसने पढ़ाया था?

ऐसा माना जाता है कि बड़ौदा के महाराजा सायाजी राव गायकवाड़ ने अंबेडकर की पढ़ाई का खर्च उठाया था, जिसके बाद वह मुम्बई एलीफेंट कॉलेज पढ़ने गये थे। इनको उपनाम इनके गुरूजी ने दिया था, जो जाति से ब्राह्मण थे। यह तथ्य अंबेडकरवादी किसी को नहीं बताते। दूसरे अंबेडकर की दूसरी पत्नी डा. सविता ब्राह्मण थी, जिन्होंने अपने पति की जी जान से सेवा की। इनको भी अंबेडकर वादियों ने कभी सम्मान नहीं दिया। उल्टे अंबेडकर की लम्बी बीमारी से पीड़ित अंबेडकर की मृत्यु का कारण सविता को माना और अंबेडकर की मृत्यु के बाद उनसे बहुत बुरा व्यवहार किया, यहां तक कि उनके घर तक से निकाल दिया।

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डॉ. भीमराव आंबेडकर के सबक

मैं उस धर्म को मानता हूं जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है

बाबा साहेब ऐसे धर्म को मानते थे जो सबको बराबर माने, किसी में भेद न करे और प्रेम व इंसानियत को बढ़ावा दे।

शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो

बाबा साहेब का यह नारा सामाजिक जागरूकता और अधिकारों की प्राप्ति का रास्ता दिखाता है। वे मानते थे कि शिक्षा से ही व्यक्ति आत्मनिर्भर बनता है, संगठन से ताकत मिलती है और अन्याय के खिलाफ संघर्ष जरूरी है।

संविधान केवल वकीलों का दस्तावेज नहीं है, यह एक जीवन दृष्टि है

संविधान को केवल कानून की किताब समझना गलत है। यह आम नागरिक के जीवन को बेहतर बनाने वाला मार्गदर्शक दस्तावेज है।

जो व्यक्ति अपनी मृत्यु तक नहीं सीखता, वह मरा हुआ है

डॉ. अंबेडकर लाइफलॉन्ग लर्निंग के पक्षधर थे। उनका मानना था कि सीखते रहना ही इंसान को सही मायने में जिंदा और प्रगतिशील बनाता है।

हम सबसे पहले और अंत में भारतीय हैं

इस कथन में राष्ट्रीय एकता और नागरिक कर्तव्य की भावना झलकती है। डॉ. अंबेडकर का मानना था कि जाति, धर्म या भाषा से पहले हमारी पहचान भारतीय होना है।

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Edited By

Shivani Jha

First published on: Apr 14, 2025 09:11 AM

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