International womens day: दुनियाभर में कमाई के मामले में सभी रिकॉर्ड को तोड़ने वाली फिल्म ‘एनिमल’ में रणबीर कपूर को लोगों ने अल्फा मेल का नाम दिया। अल्फा मेल माने एक ऐसा मर्द, जो सब पर अपनी धौंस जमाता हो, घर का ब्रेड अर्नर हो, अपनी बात को महत्व देता हो, गुस्सा करता हो, चीजों को अपने हिसाब से सही और गलत बताता हो। हर स्थिति में अल्फा मेन का कंट्रोल रहता है। ऐसे पुरुष जो अपने रास्ते में आने वाली हर अड़चन को हटाना जानते हो, वो अल्फा मेन कहलाते हैं। ऐसे पुरुष को सोसाइटी भी ‘मर्द’ या ‘मैन ऑफ द हाउस’ का टैग देती है।
मगर, यही टैग अगर किसी महिला पर लगने लगे तो उसके आस-पास के लोगों और सोसाइटी को बर्दाश्त नहीं होता। अगर एक महिला अल्फा वुमन कहलाए और अल्फा मेन की सारी क्वालिटीज उसमें दिखाई देने लगे तो सोसाइटी के लिए इसे स्वीकार करना मुश्किल हो जाता है। आज विमेंस डे के मौके पर हम बात करेंगे उन्हीं अल्फा फीमेल्स की, जो आज कमाऊ है, इंडिपेंडेंट है, घर की ब्रेड अर्नर है और उसे भी गुस्सा आता है, चीजों को कंट्रोल मे रखना जानती है, अहम की लड़ाई लड़ना जानती है। मगर, फिर भी एक ऐसा समय आता है जब ऐसी महिलाएं दब कर रह जाती हैं। ऐसे में इंटरनेशनल विमेंस डे के मौके पर जानिए आखिर क्या है एक महिला के अल्फा न बन पाने की वजह।
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महिलाओं में अल्फा नेचर नहीं उभर पाता
ये कम लोग जानते हैं कि हर महिला में अल्फा नेचर पहले से मौजूद होता है, लेकिन समाज में वो उभर कर सामने नहीं आ पाता। अगर डाटा की बात की जाए तो 100 प्रतिशत में 40 प्रतिशत महिलाओं का ही अल्फा नेचर उभर पाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि महिलाओं को बचपन से बात करने से लेकर व्यवहार करने की सीख दी जाती है। यही नहीं उन्हें बोलने से चलने तक के तरीके बताए जाते हैं। क्या आपने कभी आस पास किसी लड़के को इस बात पर डांट लगाते सुना है कि कम बोलो। लड़कियों को सिखाए जाने वाले सामाजिक तौर-तरीकों के कारण उनका अल्फा नेचर नहीं उभर पाता।
जिम्मेदारियों का दिया जाता है हवाला
महिलाओं को कोई भी पारिवारिक जिम्मेदारी का हवाला देकर इमोशन्स के जाल में फंसाया जा सकता है। ज्यादातर महिलाएं इन्हीं इमोशन्स में दब कर रह जाती हैं। वहीं अगर कुछ आगे बढ़ती भी हैं, तो उनपर घर और बाहर दोनों को संभालने का कॉम्पिटिशन थोपा जाता है। उसके काम को समझते और जानते हुए भी, वो सब तक तो ठीक है लेकिन घर तो संभालना ही पड़ेगा, ये कहकर रुलाया जाता है और उसे हराने की पूरी कोशिश की जाती है।
परिवार की इज्जत का टोकरा उठाने में मारी जाती हैं अल्फा वुमन
महिलाओं के सिर पर हमेशा परिवार की इज्जत का टोकरा होता है। उन्हें बाहर की दुनिया देखने से पहले डू एंड डोंट्स समझा दिए जाते हैं। अगर किसी महिला के अंदर अल्फा वुमन की क्वालिटीज दिखने लगे तो उसे आक्रमक, बॉसी, घमंडी, कंट्रोल करने वाली कहा जाता है। ये शब्द उन्हीं महिलाओं के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, जो आत्मविश्वास से अपनी बातों को रखना जानती हो। जो अपनी क्षमता से आगे बढ़कर काम करने की कोशिश करती हो। जो समाज से बराबरी की उम्मीद करती हो या फिर जो डिसीजन मेकर हो और दूसरे के प्रभाव में नहीं आती हो।
अल्फा वुमन क्वालिटीज को कैसे बचाएं
कई महिलाएं अल्फा वुमन की क्वालिटीज को समझ नहीं पाती और इसलिए भी उनको इसका नुकसान उठाना पड़ता है। इसके लिए जरूरी है कि अपने आस-पास की चीजों को समझने की कोशिश करें। इसके लिए सिक्स सेंस को एक्टिव रखने की जरूरत है। अपने फैसले को खुद लेने और उस पर कायम रहने की कोशिश करें। रिसर्च भी ये दावा करता है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं अधिक कंफ्यूज होती हैं, ऐसे में किसी सिचुएशन में कंफ्यूज होने से बचें। इस बात का ध्यान रखें कि कही आप इमोशनल दवाब में तो नहीं आ रहीं। इमोशनल इंटेलिजेंस डेवलप करें। अपने कम्युनिकेशन स्किल्स को बेहतर करें, अपनी बातों को आसान तरीके से रखना सीखें। बॉडी लैंग्वेज पॉजिटिव रखें, दवाब में भी खुद को शांत रखें। हर पल कुछ नया सीखने और पढ़ने की कोशिश करें।
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